Last Updated on February 16, 2025 15:56, PM by Pawan
भारतीय शेयर बाजारों में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) की सेलिंग का सिलसिला जारी है। अमेरिका की ओर से इंपोर्ट पर नए टैरिफ लगाए जाने के बाद वैश्विक स्तर पर तनाव बढ़ने के बीच फरवरी के पहले दो सप्ताह में FPI ने भारतीय शेयर बाजारों से 21,272 करोड़ रुपये निकाले हैं। इससे पहले जनवरी में भी FPI ने 78,027 करोड़ रुपये के शेयर बेचे थे। डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, साल 2025 में अब तक FPI शेयरों से 99,299 करोड़ रुपये निकाल चुके हैं।
न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के चीफ इनवेस्टमेंट स्ट्रैटेजिस्ट वी के विजयकुमार का मानना है कि जब डॉलर इंडेक्स नीचे जाएगा, तो FPI की रणनीति में उलटफेर होगा। आंकड़ों के अनुसार, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने इस महीने 14 फरवरी तक 21,272 करोड़ रुपये के भारतीय शेयर बेचे हैं।
ट्रेड वॉर छिड़ने का पैदा हो गया है डर
मॉर्निंगस्टार इनवेस्टमेंट रिसर्च इंडिया के एसोसिएट डायरेक्टर-मैनेजर रिसर्च हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से स्टील और एल्युमीनियम इंपोर्ट पर नए टैरिफ लगाए जाने और कई देशों पर रिसीप्रोकल टैरिफ लगाने की घोषणा से बाजार की चिंता बढ़ गई है। श्रीवास्तव ने कहा कि इन घटनाक्रमों ने ग्लोबल ट्रेड वॉर होने की आशंकाओं को फिर से जगा दिया है। इसके चलते FPI भारत सहित उभरते बाजारों में अपने निवेश को रीइवैल्यूएट कर रहे हैं।
वॉटरफील्ड एडवायजर्स के सीनियर डायरेक्टर (लिस्टेड इनवेस्टमेंट) विपुल भोवर ने कहा, ‘‘वैश्विक विशेष रूप से अमेरिकी नीतियों में बदलाव FPI के बीच अनिश्चितता का सेंटिमेंट पैदा कर रहे हैं, जो बदले में भारत जैसे बाजारों में अपनी निवेश रणनीतियों को नया रूप दे रहे हैं।’’ उन्होंने कहा कि घरेलू मोर्चे पर कंपनियों के उम्मीद से कमतर तिमाही नतीजों और डॉलर के मुकाबले रुपये में बड़ी गिरावट से भारतीय एसेट्स का आकर्षण घटा है।
2024 में किया था 427 करोड़ का निवेश
कुल मिलाकर भारतीय बाजारों को लेकर FPI सतर्क रुख अपना रहे हैं। पिछले साल यानि 2024 में भारतीय शेयरों में FPI का निवेश सिर्फ 427 करोड़ रुपये रहा था। इससे पहले 2023 में उन्होंने भारतीय शेयर बाजार में 1.71 लाख करोड़ रुपये डाले थे। इसकी तुलना में 2022 में FPI ने 1.21 लाख करोड़ रुपये निकाले थे। फरवरी में अब तक FPI बॉन्ड या डेट मार्केट में शुद्ध बायर रहे हैं। उन्होंने बॉन्ड में जनरल लिमिट के तहत 1,296 करोड़ रुपये और वॉलंटरी रिटेंशन रूट के जरिए 206 करोड़ रुपये डाले हैं।