Last Updated on February 6, 2025 10:39, AM by Pawan
Trump Effect: अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप की सरकार बनने के बाद टेक कंपनियों में बड़ा बदलाव आ रहा है। दिग्गज सर्च इंजन गूगल (Google) ने अपने एंप्लॉयीज से कह दिया है कि औपचारिक तौर पर अब यह अपने वर्कफोर्स को डाईवर्सिफाई को सुधारने की कोशिश नहीं करेगी। न्यूज एजेंसी ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक अल्फाबेट (Alphabet) की सर्च इंजन गूगल ने बुधवार को इसे लेकर एंप्लॉयीज को नोट भेजकर कहा कि अब यह डाईवर्सिफाई से जुड़े अपने लक्ष्य पर काम नहीं करेगी। गूगल के प्रवक्ता का कहना है कि कंपनी ऐसा माहौल बनाने के लिए प्रतिबद्ध है, जहां इसके सभी एंप्लॉयीज सफल हो सकें और उनके लिए समान मौके बने और पिछले साल तक कंपनी ने अपने सभी प्रोग्राम को रिव्यू किया ताकि इस लक्ष्य को हासिल किया जा सके। अब कंपनी कोर्ट के हालिया फैसलों और इस मसले पर एग्जेक्यूटिव ऑर्डर्स के बाद जरूरी बदलाव के लिए एवैल्यूशन कर रही है।
Donald Trump के रुझान पर पलटी Google
गूगल का कोशिश पहले अपने वर्कफोर्स को डाईवर्सिफाई करने की थी लेकिन जब अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने यह स्पष्ट कर दिया कि वह कंपनियों में डाईवर्सिटी, इक्विटी एंड इंक्लूजन (DEI) को खत्म करना चाहते हैं तो गूगल ने इसके पक्ष में फैसला लिया। ट्रंप ने सरकारी एजेंसियों को इस काम पर भी लगा दिया है कि वह ऐसी कंपनियों और अन्य संगठनों की पहचान करें, जहां अवैध रूप से डीईआई पर काम हो रहा है। कंपनियां भी अब खुद कानूनी पचड़े से बचने के लिए अपने प्रोग्राम को रिव्यू कर रही हैं। गूगल के पहले एमेजॉन, मेटा और वॉलमार्ट भी डीईआई से पीछे हट चुकी हैं।
डीईआई के खिलाफ प्रस्ताव से जूझ रही है अल्फाबेट
अल्फाबेट उन कुछ कंपनियों में शुमार है, जो ओकलाहोमा राज्य में डीईआई के खिलाफ शेयरहोल्डर के प्रस्ताव से जूझ रही है। निवेशक की कोशिश कॉरपोरेट अमेरिका में डीईआई को खत्म करने की है। यह अमेरिकी सिलिकॉन वैली में बहुत बड़ा बदलाव है जहां कंपनियां हर विचार स्वागत करती थीं। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक इस हफ्ते की शुरुआत में गूगल ने अपने एआई सिद्धातों में से एक पैसेज हटा दिया जिसमें हथियार जैसे हानिकारक एप्लीकेशन में इसका इस्तेमाल नहीं करने का वादा किया गया था।