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Pvt Banks को लेकर बुरी खबर, माना चूक हुई; पढ़ें, इस पर टॉप एक्सपर्ट्स का एनालिसिस

Pvt Banks को लेकर बुरी खबर, माना चूक हुई; पढ़ें, इस पर टॉप एक्सपर्ट्स का एनालिसिस

Last Updated on January 20, 2025 1:40, AM by Pawan

वित्त वर्ष 2025 की अक्टूबर-दिसंबर तिमाही (वित्त वर्ष 2025 की तीसरी तिमाही) के परिणाम की घोषणा में निजी क्षेत्र के बैंकों ने ऋण की लागत में वृद्धि की जानकारी दी है। बैंकों ने कहा है कि खासकर असुरक्षित खुदरा ऋण के प्रावधान सख्त होने के कारण ऐसा हुआ है। तीसरी तिमाही की कमाई की घोषणा करने वाले ऐक्सिस बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक और आरबीएल बैंक ने क्रेडिट कार्ड और माइक्रोफाइनैंस सेग्मेंट में चूक और गैर निष्पादित संपत्ति (NPA) में वृद्धि की भी जानकारी दी है और उम्मीद जताई है कि वित्त वर्ष 2026 की दूसरी तिमाही में इस सेग्मेंट में स्थिति सामान्य हो जाएगी।

मौसमी वजहों और बढ़े प्रावधानों के कारण ऐक्सिस बैंक (Axis Bank) के ऋण की लागत कई तिमाही के उच्च स्तर पर पहुंच गई है। ऐक्सिस बैंक की नई चूक सालाना आधार पर 46 प्रतिशत बढ़कर 5,432 करोड़ रुपये हो गई, जो वित्त वर्ष 2024 की तीसरी तिमाही में 3,715 करोड़ रुपये थी। इस अवधि के दौरान ऋण-हानि प्रॉविजन बढ़कर 2,184 करोड़ रुपये हो गया, जो पिछले साल इस अवधि में 691 करोड़ रुपये था।

ऐक्सिस बैंक (Axis Bank) के मुख्य कार्याधिकारी (CEO) और प्रबंध निदेशक ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा, ‘जहां तक खुदरा संपत्ति की गुणवत्ता का सवाल है, स्थिति सामान्य होने का चक्र प्रगति पर है। हमारी चिह्नित करने की और प्रॉविजन संबंधी नीतियां संभवतः समकक्ष बैंकों के बीच सबसे रूढ़िवादी हैं। हम उम्मीद करते हैं कि अगली कुछ तिमाहियों में स्थिति सामान्य हो जाएगी।’

एलारा कैपिटल (Elara Capital)  के विश्लेषकों ने कहा, ‘तिमाही आधार पर तीसरी तिमाही में सकल ऋण लागत में 38 आधार अंक की तेज बढ़ोतरी हुई है, जबकि शुद्ध ऋण लागत में 26 आधार अंक की बढ़ोतरी हुई है। सालाना आधार पर यह क्रमशः 74 आधार अंक व 53 आधार अंक बढ़ा है। हमारा मानना है कि ऋण की लागत वित्त वर्ष 2024 के स्तर से अधिक होगी।’

इसी तरह से उच्च प्रॉविजनिंग और माइक्रोफाइनैंस पोर्टफोलियो के कारण कोटक महिंद्रा बैंक (Kotak Mahindra Bank) के ऋण की लागत भी बढ़ी है। ऋण लागत वित्त वर्ष 2025 की दूसरी तिमाही के 0.65 प्रतिशत से बढ़कर वित्त वर्ष 2025 की तीसरी तिमाही में 0.68 प्रतिशत हो गई है। वहीं सालाना आधार पर प्रॉविजन 37 प्रतिशत और तिमाही आधार पर 20.3 प्रतिशत बढ़कर 794 करोड़ रुपये हो गया है।

नुवामा के विश्लेषकों (Nuvama Experts) ने कोटक महिंद्रा बैंक की तीसरी तिमाही की आय पर एक रिपोर्ट में कहा, ‘एमएफआई चूक पर अधिक प्रॉविजनिंग की वजह से कम चूक के बावजूद ऋण की लागत तिमाही आधार पर 20 प्रतिशत बढ़ी है।’

प्राइवेट सेक्टर के एक और ऋणदाता आरबीएल बैंक (RBL Bank) के उच्च प्रॉविजनिंग के कारण ऋण की लागत बढ़ी है और क्रमिक और सालाना दोनों आधार पर शुद्ध मुनाफा कम हुआ है। बैंक की ऋण लागत वित्त वर्ष 2025 की तीसरी तिमाही में 139 आधार अंक रही है, जिसमें जेएलजी ऋणों पर 49 आधार अंक अतिरिक्त प्रॉविजन शामिल है, जो वित्त वर्ष 2025 की तीसरी तिमाही में 48 आधार अंक और वित्त वर्ष 2025 की दूसरी तिमाही में 80 आधार अंक था।

प्रबंधन के मुताबिक बैंक का माइक्रोफाइनैंस पोर्टफोलियो में शुद्ध चूक 521 करोड़ रुपये और क्रेडिट कार्ड में 533 करोड़ रुपये है। बैंक द्वारा प्रॉविजन सालाना आधार पर करीब 160 प्रतिशत और तिमाही आधार पर 92 प्रतिशत बढ़कर 1,188 करोड़ रुपये हो गया है। इसने जेएलजी (ज्वाइंट लाइबिलिटी ग्रुप) सेग्मेंट के लिए तिमाही के दौरान 414 करोड़ रुपये का अतिरिक्त प्रावधान किया है।

आरबीएल बैंक (RBL Bank) के एमडी और सीईओ आर सुब्रमण्याकुमार ने परिणाम के बाद बातचीत में कहा, ‘हमने 273 करोड़ रुपये का पूर्ण आकस्मिक प्रॉविजनिंग जारी रखा है, जिससे हमें अगली तिमाही (चौथी तिमाही) में सामान्य से ऊपर की गिरावट से निपटने में मदद मिलेगी। चूक में गिरावट की धारणा नजर आ रही है और अगली तिमाही (चौथी तिमाही) में हम जेएलजी में भी इसी धारणा की उम्मीद कर रहे हैं। दिसंबर 2024 के सालाना बकेट रिजॉल्यूशन नंबर्स से हमें भरोसा है कि वित्त वर्ष 2026 की पहली या दूसरी तिमाही से स्थिति सामान्य होते देखेंगे।’

बढ़ी चूक और उच्च प्रॉविजनिंग के बावजूद बैंक को उम्मीद है कि वित्त वर्ष 2026 की पहली या दूसरी तिमाही से माइक्रोफाइनैंस पोर्टफोलियो में चूक कम होने लगेगी।

बैंक के परिणाम की घोषणा के दौरान माइक्रोफाइनैंस ऋण को लेकर कोटक महिंद्रा बैंक (Kotak Mahindra Bank) के एमडी और सीईओ अशोक वासवानी ने कहा, ‘हम चूक में बढ़ोतरी देख रहे हैं, लेकिन चूक की रफ्तार में वृद्धि धीमी पड़ी है।’ वासवानी ने कहा कि इस तिमाही में नहीं तो संभवतः अगली तिमाही में माइक्रोफाइनैंस में स्थिरता आएगी और कुल मिलाकर अगले वित्त वर्ष की पहली तिमाही से चूक में कमी शुरू हो जाएगी।

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