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Year End: शेयर बाजारों के लिए काफी उतार-चढ़ाव भरा रहा 2024, लेकिन​ फिर भी लगातार 9वें साल मिला रिटर्न

Year End: शेयर बाजारों के लिए काफी उतार-चढ़ाव भरा रहा 2024, लेकिन​ फिर भी लगातार 9वें साल मिला रिटर्न

Last Updated on December 29, 2024 13:59, PM by Pawan

शेयर बाजारों के लिए साल 2024 काफी उतार-चढ़ाव भरा रहा। साल के दौरान जहां भारतीय शेयर बाजारों ने कई बार रिकॉर्ड बनाया, वहीं दूसरी ओर उसे बीच-बीच में बड़े नुकसान का भी सामना करना पड़ा। हालांकि, इसके बावजूद शेयरों ने साल के दौरान निवेशकों को पॉजिटिव रिटर्न दिया है। मोतीलाल ओसवाल वेल्थ मैनेजमेंट ने एक नोट में कहा है कि साल की पहली छमाही यानि जनवरी-जून में कंपनियों के मजबूत वित्तीय नतीजों, डॉमेस्टिक फंड्स की ओर से निवेश में उछाल और मजबूत मैक्रो लैंडस्केप की वजह से निफ्टी सितंबर, 2024 में 26,277.35 के ऑल टाइम हाई पर पहुंचा गया था।

नोट में कहा गया, ‘‘पिछले दो माह में बाजार अपने रिकॉर्ड हाई से नीचे आ गया है। यह 2020 में कोविड-19 महामारी के बाद तीसरा बड़ा करेक्शन रहा। इसकी मुख्य वजह घरेलू और वैश्विक कारकों की वजह से विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) की जबर्दस्त बिकवाली है।’’

बीएसई का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स इस साल 27 सितंबर को 85,978.25 के अपने रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा था। उसी दिन निफ्टी ने भी अपने 26,277.35 अंक के ऑल टाइम हाई को छुआ था। सितंबर के अपने ऑल टाइम हाई से सेंसेक्स 8.46 प्रतिशत नीचे आ चुका है। वहीं, निफ्टी रिकॉर्ड स्तर से 9.37 प्रतिशत टूट चुका है।

इस साल अब तक सेंसेक्स 8.94 प्रतिशत चढ़ा

इस साल 27 दिसंबर तक बीएसई का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 6,458.81 अंक या 8.94 प्रतिशत चढ़ा है। वहीं नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के निफ्टी में 2,082 अंक या 9.58 प्रतिशत का उछाल आया है। यह साल काफी घटनाक्रमों से भरा रहा। साल के दौरान भारत में आम चुनाव के अलावा अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव मुख्य घटनाक्रम रहे। इसके अलावा शेयर बाजारों पर दो प्रमुख भू-राजनीतिक घटनाक्रमों- इजरायल-ईरान संघर्ष और रूस-यूक्रेन युद्ध का भी असर पड़ा।

वैल्यूएशन में उछाल का साल भी रहा

वर्ष 2024 में बुल्स और बियर्स के बीच काफी संघर्ष देखने को मिला। ग्लोबल मैक्रो इकोनॉमिक आंकड़ों और भू-राजनीतिक तनाव ने बाजार को काफी प्रभावित किया, जिसकी वजह से बाजार में लगातार उतार-चढ़ाव देखने को मिला। हालांकि, दुनियाभर में अनिश्चितताओं के बावजूद भारतीय बाजारों ने काफी हद तक दबाव के बीच अच्छा प्रदर्शन किया और निवेशकों को बेहतर रिटर्न दिया।

मेहता इक्विटीज लिमिटेड के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट रिसर्च, रिसर्च एनालिस्ट प्रशांत तापसे का कहना है, ‘‘यह वैल्यूएशन में उछाल का साल भी रहा, जिसने भारतीय बाजारों को दुनिया में सबसे महंगा बना दिया। बाजार में अतिरिक्त लिक्विडिटी ने वैल्यूएशन को ऊंचाई पर पहुंचा दिया, जिसकी वजह से बाद में करेक्शन देखने को मिला।

मिडकैप और स्मॉलकैप शेयर ज्यादा चमके

2024 लगातार नौवां साल रहा है, जब भारतीय शेयर बाजारों ने निवेशकों को पॉजिटिव रिटर्न दिया है। इस दौरान छोटी और मझोली कंपनियों के शेयरों का प्रदर्शन बड़ी कंपनियों से बेहतर रहा। यही वजह है कि मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों ने निवेशकों को लार्जकैप की तुलना में अधिक रिटर्न दिया है। स्वस्तिका इनवेस्टमार्ट लिमिटेड के रिसर्च हेड संतोष मीणा ने कहा, ‘‘हालांकि, निफ्टी और सेंसेक्स का प्रदर्शन अन्य देशों विशेष रूप से अमेरिका के बाजारों से कमजोर रहा है। इस खराब प्रदर्शन की वजह विदेशी संस्थागत निवेशकों की जबर्दस्त बिकवाली है।’’

मीना ने कहा कि अंतिम तिमाही यानि अक्टूबर-दिसंबर में चुनौतियां और भी बढ़ गईं, क्योंकि निराशाजनक कॉरपोरेट आय और अपेक्षा से कम आर्थिक वृद्धि ने निवेशकों के विश्वास को और कम कर दिया। विदेशी निवेशकों के घरेलू बाजार से भागने और वैल्यूएशन में वृद्धि की चिंताओं के बीच अक्टूबर के बाद से बाजार में मंदी आई।

अक्टूबर में सेंसेक्स 5.82 प्रतिशत लुढ़का

अकेले अक्टूबर में सेंसेक्स 4,910.72 अंक या 5.82 प्रतिशत नीचे आया था। इसी महीने निफ्टी में 1,605.5 अंक या 6.22 प्रतिशत की गिरावट आई थी। दिसंबर में अब तक सेंसेक्स 1,103.72 अंक या 1.38 प्रतिशत नीचे आया है। अक्टूबर में FII ने भारतीय बाजारों से रिकॉर्ड 94,017 करोड़ रुपये निकाले थे।

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