Last Updated on December 17, 2024 18:59, PM by Pawan
New Business Opportunity: एक समय था जब सजना-संवरना औरतों का काम समझा जाता था लेकिन अब पुरुषों भी इसकी प्रवृत्ति तेजी से बढ़ी है और सोशल मीडिया ने इस चलन को मजबूत किया है। जीरोधा के को-फाउंडर निखिल कामत का कहना है कि मेन सेक्शन की ग्रूमिंग इंडस्ट्री रॉकेट की स्पीड से आगे बढ़ने की कगार पर है। निखिल ने ये बातें सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म लिंक्डइन पर कही। उनका कहना है कि सोशल मीडिया के आने से वैलिडेशन की जरूरत बढ़ गई जिससे पुरुषों में भी ग्रूमिंग की आदत बढ़ने लगी जो कभी महिलाओं के लिए ही मानी जाती थी।
इस कारण बढ़ रही मेन्स ग्रूमिंग इंडस्ट्री
निखिल कामत के मुताबिक पुरुषों और महिलाओं के बीच का फर्क हल्का हो रहा है और इन सबके बीच पुरुषों से जुड़ी ग्रूमिंग इंडस्ट्री भी तेजी से बढ़ रही है। उन्होंने संकेत दिया कि ज्वैलरी जैसे सेक्टर्स में ग्रोथ की मजबूत गुंजाइश है। उन्होंने मार्केट रिसर्च और कंसल्टिंग फर्म IPSOS समेत भारतीय रिटेलर और अन्य की स्टडी के आधार पर कहा कि अब 56 फीसदी युवा आदमी डेली स्किनकेयर रूटीन फॉलो करते हैं जबकि 35 फीसदी डार्क सर्किल और डल स्किन को लेकर चिंतित होते हैं। करीब आधा जेन जेड डेटिंग ऐप्स, सोशल मीडिया और सेलिब्रिटी कल्चर से प्रभावित हैं। मेन के ग्रूमिंग सेक्शन की ग्रोथ कितनी तेज रही, इसका अंदाजा इससे लगा सकते हैं कि अकेले मेन्स स्किवकेयर रूटीन ही पांच साल में 857 फीसदी बढ़ गया है।
कारोबारियों को दी सलाह
नितिन कामत ने अपनी लिंक्डइन पोस्ट में कारोबारियों को सलाह भी दी है कि महिलाओं के लिए जो किया है, अब पुरुषों के लिए करने की बारी है। उन्होंने कहा कि शायद अगला नंबर ज्वैलरी का हो यानी कि निखिल कामत के मुताबिक पुरुषों के ग्रूमिंग सेगमेंट में अब ज्वैलरी की मांग अच्छी हो सकती है। ग्रैंडव्यू रिसर्च की रिपोर्ट के मुताबिक वैश्विक स्तर पर मेन्स ग्रूमिंग मार्केट वर्ष 2022 में 2.02 हजार करोड़ डॉलर से वर्ष 2030 तक सालाना 8 फीसदी की चक्रवृद्धि दर (CAGR) से बढ़ सकता है। भारत में बात करें तो पिछले साल ग्रूमिंग मार्केट 1300 करोड़ रुपये का था जो वर्ष 2030 तक दोगुना होकर 2589 करोड़ रुपये तक पहुंचने का अनुमान है। चूंकि भारत में दुनिया के 18 फीसदी पुरुष हैं और ग्रूमिंग रेवेन्यू में अभी इसकी 6.4 फीसदी हिस्सेदारी है तो यहां ग्रोथ की काफी गुंजाइश है।