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मार्केट में उतारचढ़ाव का SIP पर नहीं पड़ा असर, जानिए नवंबर में SIP से कितना हुआ निवेश

मार्केट में उतारचढ़ाव का SIP पर नहीं पड़ा असर, जानिए नवंबर में SIP से कितना हुआ निवेश

म्यूचुअल फंडों में सिप से नवंबर में करीब उतना ही इनवेस्टमेंट हुआ जितना अक्टूबर में हुआ था। हालांकि, अक्टूबर में नए सिप की संख्या में गिरावट आई। अक्टूबर में सिप के जरिए 25,323 करोड़ रुपये का निवेश हुआ था। नवंबर में यह आंकड़ा 25,320 करोड़ रुपये रहा, जो अक्टूबर के आंकड़े के बराबर है। लेकिन, नवंबर में नए सिप की संख्या अक्टूबर के 63,69,919 से घटकर 49,46,408 रह गई। सिप की संख्या में कमी की वजह इनवेस्टर्स सेंटिमेंट में बदलाव हो सकता है। मार्केट में अक्टूबर और नवंबर में आई गिरावट का असर निवेशकों के सेंटीमेंट पर पड़ा होगा।

सिप अकाउंट की संख्या 10.22 करोड़ पहुंची

नवंबर में SIP का कुल एसेट अंडर मैनेजमेंट 13.54 लाख करोड़ रुपये रहा। सिप अकाउंट की संख्या 10.22 करोड़ पहुंच गई, जो ऑल-टाइम हाई है। सितंबर में यह 10.12 करोड़ थी। इससे यह पता चलता है कि लंबी अवधि के निवेश के लिहाज से SIP अब भी निवेशकों की पहली पसंद बना हुआ है। नवंबर में म्यूचुअल फंड हाउस की तरफ से 18 नए ओपन-एंडेड स्कीमें लॉन्च की गईं। इनके जरिए कुल 4,052 करोड़ रुपये का निवेश जुटाया गया।

म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री का AUM 68 लाख करोड़ के पार

स्टॉक मार्केट में उतारचढ़ाव के बावजूद नवंबर में नवंबर में म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री का एसेट अंडर मैनेजमेंट बढ़कर 68.08 लाख करोड़ रुपये हो गया, जो ऑल-टाइम हाई है। यह अक्टूबर में 67.25 लाख करोड़ रुपये था। एयूएम में इस ग्रोथ में इक्विटी ओरिएंटेड स्कीमों की ज्यादा हिस्सेदारी है। इसके अलावा थिमैटिक फंडों में भी अच्छा निवेश देखने को मिला। यह 7,000 करोड़ रुपये को पार कर गया।

लंबी अवधि के निवेश के लिए सिप पहली पसंद

अक्टूबर में आई स्टॉक मार्केट में आई गिरावट के बाद नवंबर के म्यूचुअल फंड में सिप से निवेश के डेटा का इंतजार था। नवंबर के डेटा आ जाने के बाद यह तय हो गया है कि अब भी निवेशकों का भरोसा इक्विटी और म्यूचुअल फंड पर बना हुआ है। खासकर निवेशक अब भी सिप के जरिए म्यूचुअल फंड की स्कीमों में निवेश कर रहे हैं। यह इंडियन मार्केट के लिए बहुत पॉजिटिव है। रिटेल इनवेस्टर्स के मार्केट और म्यूचुअल फंडों में लगातार निवेश करने से विदेशी निवेशकों की बिकवाली का ज्यादा असर इंडियन मार्केट पर नहीं पड़ा है। विदेशी निवेशकों ने पिछले कुछ महीनों में जितनी बिकवाली की है, उतनी खरीदारी घरेलू संस्थागत निवेशकों ने की है।

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