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अभी आपकी स्ट्रेटेजी क्या होनी चाहिए? तेजी लौटने का इंतजार करना चाहिए या गिरावट पर खरीदारी करनी चाहिए?

मार्केट के प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स और निफ्टी सितंबर के अपने ऑल-टाइम हाई से 10 फीसदी से ज्यादा गिर चुके हैं। पिछले डेढ़ महीने से जारी गिरावट का असर रिटेल इनवेस्टर्स के सेंटीमेंट पर पड़ा है। हालांकि, अगर महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनाव के नतीजे एग्जिट पोल के मुताबिक रहते हैं तो इसका स्टॉक मार्केट्स पर पॉजिटिव असर दिख सकता है। इस बीच, अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप की जीत का पॉजिटिव असर भी मार्केट्स पर पड़ने के आसार हैं। सवाल है कि क्या इनवेस्टर्स को सस्ते भाव पर खरीदारी करनी चाहिए? या अभी इंतजार करना चाहिए, क्योंकि मार्केट में गिरावट बढ़ सकती है?

लगातार दूसरी तिमाही अर्निंग्स ग्रोथ में कमजोरी

सितंबर तिमाही में कंपनियों की अर्निंग्स ग्रोथ (Earnings Growth) कमजोर रही। निफ्टी कंपनियों की अर्निंग्स ग्रोथ साल दर साल आधार पर सिर्फ 4 फीसदी रही। यह लगातार दूसरी तिमाही है, जब कंपनियों की अर्निंग्स ग्रोथ कमजोर रही है। शहरी इलाकों में कंजम्प्शन सुस्त रही। उधर, माइक्रो-फाइनेंस इंस्टीट्यूशंस के बिजनेस पर दबाव देखन को मिला। अनसेक्योर्ड रिटेल लोन में स्लिपेज बढ़ा। हालांकि, कई बैंकों की डिपॉजिट और क्रेडिट ग्रोथ अच्छी रही। कैपिटल मार्केट्स से जुड़ी कंपनियों का प्रदर्शन अच्छा रहा।

अमेरिकी स्टॉक मार्केट्स के बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद

उधर, अमेरिका में ट्रंप के दोबारा राष्ट्रपति बनने से अमेरिकी स्टॉक मार्केट्स में तेजी जारी रह सकती है। ट्रंप की पॉलिसी कॉर्पोरेट टैक्स में कमी करने की रही है। अमेरिका में कॉर्पोरेट टैक्स घटने से से कंपनियों का प्रॉफिट बढ़ेगा। इसका असर अमेरिकी कंपनियों के शेयरों पर दिखेगा। ऐसे में दूसरे बाजारों के मुकाबले अमेरिकी बाजारा का प्रदर्शन बेहतर रह सकता है। इस बीच, अमेरिका में फिस्कल पॉलिसी में बदलाव की उम्मीद से डॉलर में मजबूती दिखी है। ग्लोलब ट्रेड को लेकर ट्रंप की पॉलिसी से इनफ्लेशन बढ़ने का डर है। इससे इंटरेस्ट रेट को काबू में करना फेडरल रिजर्व के लिए मुश्किल साबित हो सकता है।

वैल्यूएशन में कमी आई है

जहां तक इंडिया का बात है तो हालिया गिरावट का असर कंपनियों की वैल्यूएशन पर पड़ा है। खासकर लार्जकैप कंपनियों की वैल्यूएशन घटी है। हालांकि अब भी कुछ शेयरों की वैल्यूएशन ज्यादा है। अभी निफ्टी की वैल्यूएशन फॉरवर्ड अर्निंग्स का 19 गुना है, जो लंबी अवधि के 20.4 गुना वैल्यूएशन के मुकाबले कम है। बॉन्ड यील्ड और अर्निंग्स यील्ड के बीच के अंतर से कुछ संकेत मिल रहे हैं। मार्केट में गिरावट आने पर यह अंतर घट जाता है, जबकि मार्केट के पीक होने पर यह अंतर बढ़ जाता है। निफ्टी इंडेक्स के लिए लॉन्ग टर्म औसत करीब 1.4-1.5 फीसदी रहा है। अभी यह करीब 1.6 फीसदी है। इसका मतलब है कि अभी 2-3.5 फीसदी और गिरावट आ सकती है।

आपको क्या करना चाहिए?

इंडियन मार्केट्स में फिलहाल उतारचढ़ाव जारी रहने के आसार हैं। लेकिन, निवेशकों को इस उतारचढ़ाव पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत नहीं है। इनवेस्टर्स को इंडिया की लॉन्ग टर्म स्टोरी पर भरोसा बनाए रखने की सलाह है। गिरावट से वैल्यूएशन में कमी आ रही है। इनवेस्टर्स सही वैल्यूएशन पर लंबी अवधि के लिहाज से खरीदारी कर सकते हैं। सस्ते भाव पर खरीदारी का ऐसा मौका बार-बार नहीं मिलता है।

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