Last Updated on November 7, 2024 8:05, AM by
यह साल (2024) सितंबर के आखिर तक स्टॉक मार्केट्स के लिए शानदार दिख रहा था। लेकिन, अक्टूबर में आई गिरावट से निवेशकों का मजा किरकिरा हो गया। अक्टूबर में प्रमुख सूचकांकों में आई बड़ी गिरावट के बाद इनवेस्टर्स चिंतित हैं। लेकिन, मार्केट एक्सपर्ट्स की मानें तो अगले साल यानी 2025 में भी इनवेस्टर्स को मार्केट से अच्छा रिटर्न मिलने की उम्मीद है। यह रिटर्न डबल डिजिट में हो सकता है। हालांकि, एक्सपर्ट्स का कहना है कि निवेशकों को हाई लेवल पर शेयरों में निवेश करने से बचना चाहिए।
निफ्टी में नहीं आएगी और गिरावट
3P Investment Managers के फाउंडर प्रशांत जैन के मुताबिक, यहां से निफ्टी में और गिरावट की ज्यादा गुंजाइश नहीं है। इसकी वजह इंडियन इकोनॉमी की अच्छी ग्रोथ है। उन्होंने बैंकिंग सहित कुछ सेक्टर्स का रिटर्न अच्छी रहने की उम्मीद जताई। इन सेक्टर्स में वैल्यूएशन ठीक है। उन्होंने कहा, “अगर आप निफ्टी के 10-20 फीसदी रिटर्न को देखें तो यह रुपये में इकोनॉमी की ग्रोथ के करीब है। निफ्टी में बैंक जैसे बड़े पॉकेट्स हैं, जिनका प्रदर्शन कमजोर रहा है। इनकी वैल्यूएशन अच्छी है। इसलिए मेरा मानना है कि निफ्टी में यहां से गिरावट के आसार नहीं हैं।”
शेयरों की वैल्यूएशन बढ़ने का खतरा
इनाम होल्डिंग्स के डायरेक्टर मनीष चोखानी ने कहा कि मार्केट अपने फंडामेंटल्स से आगे चल रहा है। उन्होंने कहा कि वह निफ्टी में कंसॉलिडेशन चाहते हैं। इससे उनकी टॉप होल्डिंग्स की वैल्यूएशन ज्यादा नहीं होगी। कंसॉलिडेशन जारी रहने से मुझे अपनी पसंदीदा कंपनियों के शेयरों को बेचना नहीं पड़ेगा, क्योंकि इनकी कीमतें काफी बढ़ गई हैं। उधर, दिग्गज निवेशक मधु केला का मानना है कि निफ्टी में उतारचढ़ाव या इसके सीमित दायरे में बने रहने से उन लोगों पर असर नहीं पड़ेगा, जो निचले स्तर पर स्टॉक खरीदना चाहते हैं।
छोटी कंपनियों के स्टॉक्स पर रहेगा फोकस
चोखानी ने कहा कि एनएसई 500 शेयरों की दुनिया 5 लाख करोड़ डॉलर की है। इसमें से सिर्फ 11 कंपनियां ऐसी हैं, जिनके पास 25 फीसदी हिस्सेदारी है। ऐसे शेयरों से लंबी अवधि में सिंगल डिजिट से ज्यादा रिटर्न की उम्मीद करना मुश्किल है। इसके बाद ऐसी करीब 30 कंपनियां आती हैं जो करीब 1.2 लाख करोड़ डॉलर की हैं। इसका मतलब है कि हर कंपनी औसतन 40 अरब डॉलर की है। तीसरी कैटेगरी में अतिरिक्त 80 कंपनियां आती हैं, जो करीब 1.2 लाख करोड़ डॉलर की है। लेकिन, असली फोकस करीब 370 खोटी कंपनियों पर है, जिनकी वैल्यूएशन प्रति कंपनी 3-4 अरब डॉलर की है।