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Meta India का नेट प्रॉफिट FY24 में 43% बढ़ा, ग्रॉस ऐड रेवेन्यू में 24% का उछाल

Last Updated on November 3, 2024 8:19, AM by

Meta India Results: फेसबुक की पैरेंट कंपनी मेटा की इंडिया यूनिट ने आज 2 नवंबर को वित्त वर्ष 2024 के नतीजों की घोषणा की है। इस दौरान कंपनी का नेट प्रॉफिट सालाना आधार पर 43 फीसदी बढ़ गया है। कंपनी ने 504.93 करोड़ रुपये का मुनाफा दर्ज किया है। सोशल नेटवर्किंग कंपनी को देश में बढ़ते डिजिटल एडॉप्शन के चलते ऑनलाइन विज्ञापन में मजबूत ग्रोथ का लाभ मिला है। FY24 में कंपनी का रेवेन्यू 9.3 फीसदी बढ़कर 3034.8 करोड़ रुपये हो गया, जो वित्त वर्ष 23 में 2775.7 करोड़ रुपये था। कंपनी द्वारा रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज के साथ की गई लेटेस्ट फाइलिंग में यह जानकारी दी गई है।

Meta India के रेवेन्यू में 24% की बढ़ोतरी

ग्रॉस एडवर्टाइजिंग रेवेन्यू में वित्त वर्ष 23 में 18308 करोड़ रुपये से 24 फीसदी की वृद्धि हुई और यह वित्त वर्ष 24 में 22730.7 करोड़ रुपये हो गया। हालांकि, वित्त वर्ष 23 के रेवेन्यू में जुलाई 2022 तक ग्रॉस एडवर्टाइजिंग रीसेलर रेवेन्यू से 6120 करोड़ रुपये शामिल हैं।

 

मेटा की इंडिया यूनिट फेसबुक, इंस्टाग्राम, मैसेंजर और थर्ड पार्टी से जुड़ी वेबसाइटों या मोबाइल एप्लिकेशन पर ऐड प्रोडक्ट्स डिस्प्ले करके एडवर्टाइजिंग रेवेन्यू जनरेट करती है। यह यूजर्स को विज्ञापन दिखाए जाने पर इंप्रेशन-बेस्ड ऐड्स से रेवेन्यू हासिल करता है।

अगस्त 2022 में मेटा इंडिया ने ऐड इन्वेंट्री के रीसेलर से मेटा यूएसए के साथ एक ऑपरेटिंग लाइसेंस मॉडल पर स्विच किया, जिससे कंपनी को भारत में विज्ञापन बिक्री गतिविधियों से संबंधित इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी (आईपी) के कमर्शियलाइजेशन के लिए एक नॉन-एक्सक्लुसिव लाइसेंस प्रदान किया गया। नई व्यवस्था के तहत मेटा इंडिया अपने आईपी के कमर्शियलाइजेशन के लिए मेटा यूएसए को रॉयल्टी का भुगतान करता है, साथ ही इन्फ्रॉस्ट्रक्चर के मेंटेनेंस के लिए इन्फ्रॉस्ट्रक्चर शुल्क भी देता है।

इस मॉडल के तहत, मेटा इंडिया का नेट एडवर्टाइजिंग रेवेन्यू वित्त वर्ष 2024 में 48.9 फीसदी बढ़कर 1,817.5 करोड़ रुपये हो गया, जो वित्त वर्ष 2023 में 1220.5 करोड़ रुपये था। यह वर्ष के दौरान रॉयल्टी पेमेंट और इन्फ्रॉस्ट्रक्चर के चार्ज में वृद्धि के बावजूद है। वित्त वर्ष 2024 में रॉयल्टी भुगतान 95.1 फीसदी बढ़कर 17,887 करोड़ रुपये हो गया, जबकि वित्त वर्ष 2023 में यह 9,167.1 करोड़ रुपये था। वित्त वर्ष 2023 में 1,543.5 करोड़ रुपये से इस साल के लिए इन्फ्रॉस्ट्रक्चर कॉस्ट 89 फीसदी बढ़कर 2,922.2 करोड़ रुपये हो गई।

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