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SEBI ने Trafiksol ITS Technologies की लिस्टिंग पर लगाई रोक, एस्क्रो अकाउंट में डाली IPO की इनकम

कैपिटल मार्केट रेगुलेटर SEBI ने एक और कंपनी के लिस्ट होने पर रोक लगा दी है। यह कंपनी है SME एंटिटी ट्रैफिकसोल आईटीएस टेक्नोलोजिज (Trafiksol ITS Technologies)। SEBI ने बीएसई को कंपनी की लिस्टिंग रोकने का निर्देश दिया है। SEBI, ट्रैफिकसोल आईटीएस टेक्नोलोजिज की ओर से फाइल ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (DRHP) में किए गए खुलासों की विस्तृत जांच कर रहा है।

ट्रैफिकसोल आईटीएस टेक्नोलोजिज की लिस्टिंग 17 सितंबर को बीएसई एसएमई प्लेटफॉर्म पर होनी थी। SEBI (Securities and Exchange Board of India) के दखल के बाद इसे स्थगित कर दिया गया और कहा गया कि कुछ शिकायतों/आरोपों की जांच होने तक लिस्टिंग को रोक दिया गया है।

345 गुना से ज्यादा भरा था IPO

44.8 करोड़ रुपये का आईपीओ 10 सितंबर को खुला और 12 सितंबर को बंद हुआ। इसमें 64 लाख नए शेयर जारी किए गए। इश्यू 345.65 गुना सब्सक्राइब हुआ। इस बीच, SEBI ने बीएसई को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि ट्रैफिकसोल के आईपीओ से हासिल आय को ब्याज वाले एस्क्रो खाते में रखा जाए। साथ ही ट्रैफिकसोल आईटीएस टेक्नोलोजिज या उसके सहयोगियों को अगले आदेश तक इस खाते की कोई एक्सेस न दी जाए। शुक्रवार, 11 अक्टूबर को जारी सेबी के आदेश में कहा गया है कि जांच, आदेश की तारीख से 30 दिनों के अंदर पूरी की जानी है।

पहले बताया गया था कि चिंताएं आईपीओ की आय (17.70 करोड़ रुपये) के एक हिस्से को लेकर थीं, जिसे ट्रैफिकसोल ने थर्ड पार्टी वेंडर से इंटीग्रेटेड सॉफ्टवेयर कंट्रोल सेंटर की खरीद के लिए निर्धारित किया था। इश्यू के बंद होने और शेयरों के अलॉटमेंट के बाद, सेबी और बीएसई दोनों को कुछ शिकायतें मिलीं। SEBI के आदेश के अनुसार, थर्ड पार्टी वेंडर के फाइनेंशियल स्टेटमेंट पर आईपीओ खुलने से ठीक एक सप्ताह पहले हस्ताक्षर किए गए थे। इसके अलावा वेंडर को जीएसटी रजिस्ट्रेशन जनवरी 2024 में मिला है और इसका कारोबार मुख्य रूप से सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट के बजाय ट्रेड रिटेलर के तहत कैटेगराइज है।

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आरोपों पर क्या बोली कंपनी

आरोपों के जवाब में कंपनी ने SEBI और बीएसई को सूचित किया है कि उसने अब अपने DRHP में मेंशन सॉफ्टवेयर खरीद योजना को रद्द करने का फैसला किया है। ट्रैफिकसोल ने बीएसई को आगे बताया कि वह वेंडर्स से नए प्रपोजल्स मांगेगी और शेयरधारकों की मंजूरी के बाद ही कॉन्ट्रैक्ट दिया जाएगा। हालांकि, कंपनी की पिछले कदमों को देखते हुए सेबी के आदेश में कहा गया है कि यह नई योजना चिंता पैदा करती है।

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