Last Updated on November 16, 2025 11:45, AM by Khushi Verma
नई दिल्ली2 मिनट पहले
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भारत ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की बार-बार आपत्तियों के बावजूद रूस से क्रूड ऑयल यानी कच्चा तेल खरीदना जारी रखा है। अक्टूबर में रूस से 2.5 बिलियन डॉलर (करीब 22.17 हजार करोड़ रुपए) वैल्यू का कच्चा तेल देश में आया, जिससे भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा खरीदार बन गया है। यह जानकारी हेलसिंकी स्थित सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर (CREA) ने अपनी रिपोर्ट में दी है।
CREA के अनुसार, चीन 3.7 बिलियन डॉलर (करीब 32.82 हजार करोड़ रुपए) के इम्पोर्ट के साथ पहले नंबर पर रहा। कुल मिलाकर, रूस से भारत का फॉसिल फ्यूल आयात 3.1 बिलियन डॉलर (करीब ₹27.49 हजार करोड़) पहुंच गया है, जबकि चीन का कुल आंकड़ा 5.8 बिलियन डॉलर (करीब ₹51.44 हजार करोड़) रहा। अमेरिकी प्रतिबंध का असर दिसंबर के आंकड़ों में दिख सकता है, लेकिन भारत अभी भी खरीदारी जारी रखे हुए है।

चीन ने रूस से सबसे ज्यादा कोयला भी खरीदा चीन पिछले महीने रूसी कोयले का सबसे बड़ा खरीदार बना रहा, जो भारत और तुर्किये से आगे था। उसने 760 मिलियन डॉलर का कोयला खरीदा। वहीं, भारत ने अक्टूबर में 351 मिलियन डॉलर मूल्य का रूसी कोयला और 222 मिलियन डॉलर मूल्य के ऑयल प्रोडक्ट इम्पोर्ट किए।
रूसी ऑयल प्रोडक्ट्स का सबसे बड़ा खरीदार रहा तुर्की तुर्की रूसी ऑयल प्रोडक्ट्स का सबसे बड़ा खरीदार था, जिसका आयात 957 मिलियन डॉलर मूल्य का था, जिसमें से लगभग आधा डीजल था। इसने 929 मिलियन डॉलर मूल्य की रूसी पाइपलाइन गैस और 572 मिलियन डॉलर मूल्य का कच्चा तेल भी खरीदा।
यूरोपीय यूनियन ने सबसे ज्यादा गैस खरीदी यूरोपीय संग रूसी गैस का सबसे बड़ा खरीदार रहा। उसने अक्टूबर में 824 मिलियन डॉलर मूल्य की रूसी LNG और पाइपलाइन गैस का आयात किया और 31.1 मिलियन डॉलर मूल्य का रूसी कच्चा तेल खरीदा।
अमेरिकी सैंक्शंस का असर दिसंबर में दिख सकता है
पश्चिमी देश भारत और चीन पर रूसी तेल की खरीद पर अंकुश लगाने का दबाव बना रहे हैं, क्योंकि उनका तर्क है कि इससे यूक्रेन में रूस के युद्ध को फंडिंग करने में मदद मिल रही है। पिछले महीने, अमेरिका ने रूस के दो टॉप तेल निर्यातकों रोसनेफ्ट और लुकोइल पर प्रतिबंध लगा दिए थे। इन उपायों का असर भारत और चीन के दिसंबर के आयात आंकड़ों में दिखाई दे सकता है।

रिलायंस समेत 5 बड़ी कंपनियां रूसी तेल नहीं खरीदेंगी
भारत ने दिसंबर महीने की डिलीवरी के लिए रूस से कच्चे तेल की खरीद में बड़ी कटौती की है। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, देश की पांच प्रमुख रिफाइनर कंपनियों ने दिसंबर के लिए कोई नया ऑर्डर नहीं दिया है।
यह फैसला अमेरिकी प्रतिबंधों और भारत-अमेरिका व्यापार वार्ताओं के बीच लिया गया है। अगस्त में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने रूसी तेल खरीदने के कारण भारत पर 50% टैरिफ लगा दिया था।
इसके बाद उन्होंने रूस की सरकारी तेल कंपनी रोसनेफ्ट और लुकोइल के साथ सभी तरह के लेन-देन को प्रतिबंधित कर दिया था। ये प्रतिबंध 21 नवंबर से लागू हो रहे हैं।
रिलायंस,BPCL, HPCL ने नहीं दिए तेल खरीदी के आर्डर
रिलायंस इंडस्ट्रीज, भारत पेट्रोलियम, हिंदुस्तान पेट्रोलियम, मंगलौर रिफाइनरी और एचपीसीएल-मित्तल एनर्जी ने दिसंबर के लिए रूस को नया ऑर्डर नहीं दिया। ये कंपनियां इस साल अब तक भारत के रूसी आयात का दो-तिहाई हिस्सा रही हैं।
इंडियन ऑयल (IOC) और नयारा एनर्जी ही दिसंबर के लिए रूसी तेल खरीद रही हैं। IOC गैर-प्रतिबंधित सप्लायर्स से खरीद कर रही है, जबकि नयारा जिसमें रूस की रोसनेफ्ट की 49% हिस्सेदारी है, पूरी तरह रूसी सप्लाई पर निर्भर है।
भारत को अब वैकल्पिक सप्लायर्स की तलाश
रूस इस साल भारत की तेल आपूर्ति का लगभग 36% हिस्सा रहा है, लेकिन अब रिफाइनरियां विकल्प तलाश रही हैं। IOC ने अमेरिका और अन्य क्षेत्रों से जनवरी-मार्च में 2.4 करोड़ बैरल तेल की खरीद के लिए बोली लगाई है। वहीं, हिंदुस्तान पेट्रोलियम ने जनवरी के लिए अमेरिका और वेस्ट एशिया से 40 लाख बैरल तेल खरीदा है।
सऊदी अरामको और अबू धाबी नेशनल ऑयल कंपनी (ADNOC) ने भारतीय अधिकारियों से मुलाकात कर आपूर्ति जारी रखने का भरोसा दिया है।

भारत पर 50% अमेरिकी टैरिफ, रूस से तेल खरीदने पर पैनल्टी
ट्रम्प भारत पर अब तक कुल 50% टैरिफ लगा चुके हैं। इसमें 25% रेसीप्रोकल यानी जैसे को तैसा टैरिफ और रूस से तेल खरीदने पर 25% पैनल्टी है।
रेसीप्रोकल टैरिफ 7 अगस्त से और पेनल्टी 27 अगस्त से लागू हुआ था। अमेरिका ने रूस पर दबाव बनाने के लिए भारत पर आर्थिक प्रतिबंध लगाए हैं।
ट्रम्प कई बार यह दावा कर चुके हैं कि, भारत के तेल खरीद से मिलने वाले पैसे से रूस, यूक्रेन में जंग को बढ़ावा देता है।