Last Updated on November 16, 2025 9:59, AM by Khushi Verma
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आज के समय में लोन लेना आम बात हो गई है चाहे वह घर खरीदने का हो, कार लेने का या किसी मेडिकल इमरजेंसी के लिए हो। लेकिन लोन आवेदन करते समय कई बार हम कुछ जरूरी शब्दों और शर्तों को नजरअंदाज कर देते हैं, जिनका सीधा असर हमारी जेब पर पड़ता है। इसलिए, लोन लेने से पहले इन 6 महत्वपूर्ण टर्म्स को समझना बेहद जरूरी है ताकि बाद में अनावश्यक खर्चों और बढ़ी हुई EMI से बचा जा सके।
प्रोसेसिंग फीस
सबसे पहला टर्म है प्रोसेसिंग फीस। यह वह शुल्क है जो बैंक या फाइनेंशियल संस्था लोन आवेदन को प्रोसेस करने के लिए लेती है। यह राशि लोन रकम का 0.5% से 3% तक हो सकती है और यह गैर-वापसी योग्य होती है, चाहे लोन मंजूर हो या न हो। इसलिए कम प्रोसेसिंग फीस वाला लोन चुनना फायदेमंद रहता है।
दूसरी महत्वपूर्ण बात है लोन टेन्योर। टेन्योर से मतलब है उस अवधि की जिसमें आपको अपना लोन चुकाना होता है। लंबे टेन्योर की वजह से आपकी EMI कम हो सकती है, लेकिन कुल ब्याज अधिक देना पड़ता है। वहीं कम अवधि में EMI थोड़ी अधिक होती है, लेकिन कुल ब्याज कम होता है। इसलिए अपनी आय और बजट के अनुसार सही टेन्योर चुनना जरूरी है।
EMI कैलकुलेटर
तीसरा है EMI कैलकुलेटर का इस्तेमाल। बैंक और फाइनेंशियल वेबसाइट्स पर आज आसान EMI कैलकुलेटर उपलब्ध हैं, जहां आप लोन राशि, ब्याज दर और टेन्योर डालकर आसानी से अपनी EMI का पता लगा सकते हैं। इससे सही फाइनेंस प्लानिंग होती है और आपको पता चलता है कि आप किस परिस्थिति में लोन चुका पाएंगे।
फिक्स्ड रेट ऑफ इंटरेस्ट
चौथा अहम टर्म है फिक्स्ड रेट ऑफ इंटरेस्ट। इसका मतलब है कि आपकी ब्याज दर लोन की पूरी अवधि में स्थिर रहती है। बाजार में ब्याज दरें बढ़ें या घटें, आपकी EMI पर फर्क नहीं पड़ता। हालांकि शुरूआती दर फ्लोटिंग रेट की तुलना में थोड़ी ज्यादा हो सकती है, लेकिन वित्तीय स्थिरता के लिए यह बेहतर विकल्प होता है।
सिक्योर्ड और अनसिक्योर्ड लोन
पांचवां है सिक्योर्ड और अनसिक्योर्ड लोन का फर्क। सिक्योर्ड लोन में आपको कोई संपत्ति गिरवी रखनी होती है जैसे घर या गाड़ी, जिससे ब्याज दर कम होती है। अनसिक्योर्ड लोन में कोई गारंटी नहीं दी जाती, इसलिए ब्याज दर थोड़ी अधिक होती है। पर्सनल लोन और क्रेडिट कार्ड लोन इसी कैटेगरी के उदाहरण हैं।
एनुअल परसेंटेज रेट
आखिरी टर्म है एनुअल परसेंटेज रेट (APR), जो कि लोन की वास्तविक वार्षिक लागत बताता है। इसमें ब्याज के साथ-साथ प्रोसेसिंग फीस, फाइलिंग चार्ज, इंश्योरेंस और अन्य सर्विस चार्ज भी शामिल होते हैं। सिर्फ ब्याज दर देखकर लोन लेना झूठा साबित हो सकता है, इसलिए APR देखकर तुलना करना सबसे सही तरीका है।
इन टर्म्स को समझकर आप अपने लोन का सही चुनाव कर सकते हैं और अनावश्यक खर्चों से बच सकते हैं। सही जानकारी के साथ लोन लेना आपकी वित्तीय सुरक्षा के लिए आवश्यक है, ताकि बाद में EMI चुकाने में कोई दिक्कत न हो और आप आराम से अपनी आर्थिक जिम्मेदारियां निभा सकें।