Last Updated on November 9, 2025 18:26, PM by Pawan
यूरोप की एक सेमीकंडक्टर कंपनी के अंदर के सत्ता संघर्ष ने ग्लोबल ऑटो इंडस्ट्री में संकट खड़ा कर दिया है। नीदरलैंड में चीन के मालिकाना हक वाली चिप निर्माता कंपनी नेक्सपेरिया पर कंट्रोल की लड़ाई के चलते दुनिया भर में व्हीकल मैन्युफैक्चरर्स के लिए महत्वपूर्ण कलपुर्जों की सप्लाई बाधित हो गई है। इसकी वजह से जापान की होंडा को मेक्सिको में अपने एक प्रमुख प्लांट में उत्पादन रोकना पड़ा है। नीदरलैंड में यह मसला गवर्नेंस संबंधी विवाद के रूप में शुरू हुआ था।
एसोसिएटेड प्रेस के अनुसार, यह संकट अक्टूबर के मध्य में सामने आया। हुआ यूं कि डच सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा चिंताओं का हवाला देते हुए, नेक्सपेरिया पर प्रभावी नियंत्रण पाने के लिए दूसरे विश्व युद्ध के समय के एक दुर्लभ कानून का इस्तेमाल किया। आर्थिक मामलों के मंत्रालय ने कहा कि उसने गवर्नेंस से जुड़ी गंभीर कमियों को रोकने के लिए कार्रवाई की। इन कमियों के चलते यूरोप की तकनीकी जानकारी विदेशियों के सामने आने का खतरा था। इस कदम ने नेक्सपेरिया की चीनी मालिक, विंगटेक टेक्नोलॉजी को हाशिये पर धकेल दिया। साथ ही एक डच अदालत को चीनी सीईओ झांग ज़ुएझेंग को पद से हटाने के लिए मजबूर कर दिया। विंगटेक टेक्नोलॉजी में कुछ हद तक सरकारी हिस्सेदारी है।
अमेरिका और चीन के बीच यूं फंस गया नीदरलैंड
रिपोर्ट के मुताबिक, इसके बाद मामले में एक दिलचस्प मोड़ आया। सामने आया कि अमेरिकी अधिकारियों ने कथित तौर पर नीदरलैंड को बताया था कि अमेरिकी व्यापार प्रतिबंधों को रोकने के लिए झांग को हटाना जरूरी है। इस हस्तक्षेप ने नीदरलैंड को एक कूटनीतिक संकट में डाल दिया। वह अमेरिका की सुरक्षा मांगों और चीन के आर्थिक प्रतिशोध के बीच फंस गया। यह पूरा ड्रामा अमेरिका-चीन के बीच टेक्नोलॉजी को लेकर मुकाबले का मसला है। पिछले साल, अमेरिका ने विंगटेक को अपनी व्यापारिक ब्लैक लिस्ट में डाल दिया था।
सितंबर के अंत तक प्रतिबंध विंगटेक की सहायक कंपनियों तक पहुंच गए, जिनमें नेक्सपेरिया भी शामिल है। साथ ही अमेरिका ने नीदरलैंड जैसे सहयोगियों पर भी दबाव डाला। इस कदम के बाद चीन ने पलटवार किया। हेग द्वारा नेक्सपेरिया पर नियंत्रण करने के बाद, चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने अपने डोंगगुआन प्लांट से नेक्सपेरिया चिप्स के निर्यात पर रोक लगा दी, और डचों पर ग्लोबल सप्लाई चेन में अशांति और अराजकता पैदा करने का आरोप लगाया। इस पूरे ड्रामे के चलते कार बनाने वाली कंपनियां विकल्प तलाशने में जुट गईं, और यूरोप अचानक अपने सुरक्षा साझेदारों और चीन पर अपनी औद्योगिक निर्भरता के बीच फंस गया।
नेक्सपेरिया आखिर करती क्या है?
नेक्सपेरिया, एनवीडिया या TSMC जैसी कोई आकर्षक चिप मेकर नहीं है। यह सरल लेकिन जरूरी डिस्क्रीट सेमीकंडक्टर, स्विच, डायोड और लॉजिक चिप्स बनाती है। ये ईवी बैटरी सिस्टम और अडैप्टिव LED हेडलाइट्स से लेकर एंटी-लॉक ब्रेक तक, हर चीज में जरूरी हैं। नेक्सपेरिया का हेडक्वार्टर नीदरलैंड के निजमेगेन में है। कंपनी को दो दशक पहले फिलिप्स सेमीकंडक्टर्स से अलग कर दिया गया था और 2018 में विंगटेक ने लगभग 3.6 अरब अमेरिकी डॉलर में इसे खरीद लिया था। इसके यूके और जर्मनी में फैब्रिकेशन प्लांट हैं, फिलीपींस और मलेशिया में टेस्टिंग और असेंबली सेंटर हैं, चीन के ग्वांगडोंग में एक बड़ा प्रोडक्शन हब है, जहां इसका लगभग 70% उत्पादन होता है।
मॉडर्न व्हीकल नेक्सपेरिया की चिप्स के प्रकार पर बहुत अधिक निर्भर करते हैं। एसएंडपी ग्लोबल मोबिलिटी के एनालिस्ट्स का अनुमान है कि वैश्विक ऑटोमोटिव चिप रेवेन्यू में तो नेक्सपेरिया की केवल लगभग 5 प्रतिशत ही हिस्सेदारी है। लेकिन वॉल्यूम के लिहाज से हिस्सेदारी कहीं अधिक है। इसका मतलब है कि नेक्सपेरिया की चिप्स के बिना असेंबली लाइंस ठप हो सकती हैं। उदाहरण होंडा है। इसे मेक्सिको में सेलाया प्लांट में उत्पादन बंद करना पड़ा। यह प्लांट उत्तरी अमेरिकी बाजार के लिए सालाना 200,000 एचआर-वी क्रॉसओवर का उत्पादन करता है।
एपी की रिपोर्ट के मुताबिक, जनरल मोटर्स की मैरी बारा का कहना है कि उनकी कंपनी की टीमें व्यवधानों को कम करने के लिए सप्लायर्स के साथ ‘चौबीसों घंटे’ काम कर रही हैं। निसान ने संभावित सप्लाई कंपोनेंट्स को कम करने के लिए 25 बिलियन येन (16.3 करोड़ अमेरिकी डॉलर) अलग रखे हैं। यूरोपीय वाहन निर्माता भी दबाव महसूस कर रहे हैं। मर्सिडीज-बेंज के सीईओ ओला केलेनियस ने माना है कि उनकी टीमें बैकअप सप्लायर्स की तलाश में दुनिया भर में भागदौड़ कर रही हैं। यूरोपीय ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ने कहा कि बीएमडब्ल्यू, रेनो, वोक्सवैगन और वोल्वो जैसी कंपनियां अब रिजर्व चिप भंडार का इस्तेमाल कर रही हैं। लेकिन यह एक अस्थायी समाधान है।