India

बिन सैलरी के ट्यूनिशिया में फंसे थे झारखंड के 48 मजदूर, सीएम हेमंत सोरेन ने कराई वतन वापसी

बिन सैलरी के ट्यूनिशिया में फंसे थे झारखंड के 48 मजदूर, सीएम हेमंत सोरेन ने कराई वतन वापसी

Last Updated on November 9, 2025 7:42, AM by Khushi Verma

ट्यूनीशिया में फंसे झारखंड के प्रवासी मजदूर अब सुरक्षित अपने घर लौट आए हैं। अधिकारियों ने शनिवार को बताया कि सभी मजदूर मुंबई पहुंचने के बाद अपने-अपने जिलों में वापस गए। झारखंड श्रम विभाग के प्रवासी नियंत्रण प्रकोष्ठ की टीम लीडर शिखा लाकड़ा ने पीटीआई को बताया कि सभी 48 मजदूर शुक्रवार तक अपने घर पहुंच गए। उन्होंने बताया कि मजदूर ट्यूनीशिया से मुंबई अलग-अलग उड़ानों से लौटे और फिर ट्रेन से हजारीबाग, गिरिडीह और बोकारो पहुंचे। आखिरी जत्था शुक्रवार को बोकारो पहुंचा।

 ट्यूनीशिया में  फंसे थे झारखंड के मजदूर 

उन्होंने बताया कि अब सभी मजदूरों को कंपनी की ओर से तीन महीने का बकाया वेतन दे दिया गया है। उत्तरी अफ्रीका के देश ट्यूनीशिया में ये प्रवासी मजदूर तीन महीने से ज्यादा समय तक बिना वेतन के फंसे हुए थे। हाल ही में उन्होंने एक वीडियो जारी कर अपनी परेशानी बताई थी। मजदूरों का कहना था कि झारखंड से रवाना होने से पहले उन्हें अच्छे अनुबंध और तय वेतन का वादा किया गया था, लेकिन वहां पहुंचने के बाद उन्हें बिना वेतन के रोज 12 घंटे से ज्यादा काम करने के लिए मजबूर किया गया।

सीएम हेमंत सोरेन ने दिए थे कार्रवाई के निर्देश 

सोशल मीडिया पर तेजी से फैल रहे इस वीडियो ने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का ध्यान खींचा। इसके बाद उन्होंने श्रम, रोजगार, प्रशिक्षण और कौशल विकास विभाग को तुरंत कार्रवाई करने के निर्देश दिए। टीम लीडर शिखा लाकड़ा ने बताया, “मजदूरों ने अपनी परेशानी बताते हुए एक वीडियो साझा किया था, जो मुख्यमंत्री सोरेन तक पहुंचा। इसके बाद मुख्यमंत्री ने श्रम विभाग को निर्देश दिया कि सभी मजदूरों की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित की जाए और उनका बकाया वेतन, जो करीब 30 लाख रुपये है, दिलाया जाए। मजदूरों को लंबे समय से वेतन न मिलने की वजह से आर्थिक दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था।”

उन्होंने बताया, “हमने भारतीय दूतावास और संबंधित एजेंसियों से संपर्क करके सभी जरूरी प्रक्रिया और यात्रा की औपचारिकताएं पूरी कीं।” अधिकारी ने आगे कहा, “मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद श्रम विभाग के अधिकारियों ने श्रमिकों से मुलाकात की और उनके गृह जिलों में जाकर उनकी समस्याओं को विस्तार से समझा। अब सरकार इन मजदूरों और उनके परिवारों को अलग-अलग कल्याणकारी योजनाओं के दायरे में लाने की दिशा में काम कर रही है, ताकि भविष्य में उन्हें दोबारा रोज़गार के लिए पलायन न करना पड़े।”

इस जिलों के रहने वाले थे मजदूर 

ये प्रवासी मजदूर झारखंड के तीन जिलों — हजारीबाग (19), गिरिडीह (14) और बोकारो (15) — के रहने वाले हैं। उन्हें पीसीएल प्रेम पावर कंस्ट्रक्शन लिमिटेड नाम की कंपनी में काम करने के लिए ट्यूनीशिया भेजा गया था। मजदूरों का आरोप है कि कंपनी ने उन्हें नौकरी की शर्तों के बारे में गलत जानकारी दी और बाद में उनका बकाया वेतन देने से इनकार कर दिया। पिछले तीन महीनों से मजदूरी न मिलने के कारण वे आर्थिक तंगी में फंसे हुए थे और खाने तक की परेशानी झेल रहे थे।

प्रवासी प्रकोष्ठ से सबसे पहले संपर्क करने वाले व्यक्ति ने मजदूरों की मुश्किलें बताईं। उन्होंने कहा, “सभी 48 मजदूर दिल्ली की एक निजी कंपनी के माध्यम से ट्यूनीशिया गए थे। वे वहां हाई ट्रांसमिशन तार बिछाने का काम कर रहे थे, जो एक बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनी के अधीन चल रहा था।” उन्होंने आगे बताया, “वीडियो संदेश में मजदूरों ने आरोप लगाया कि कंपनी उन्हें पिछले तीन महीनों से वेतन नहीं दे रही है और उन्हें जबरन ओवरटाइम करवाया जा रहा है। इससे वे मानसिक तनाव में हैं। मजदूर अपने घर लौटना चाहते हैं, लेकिन कंपनी उन्हें ऐसा करने नहीं दे रही। उन्होंने केंद्र और राज्य सरकार से घर वापसी में मदद की गुहार लगाई है।”

Source link

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Most Popular

To Top