Last Updated on November 9, 2025 11:42, AM by Khushi Verma
कई इनवेस्टर्स रिटायरमेंट प्लानिंग के लिए एनपीएस, शेयर, म्यूचुअल फंड्स, फिक्स्ड डिपॉजिट्स और पीपीएफ में निवेश करना पसंद करते हैं। हालांकि, इनमें से हर इनवेस्टमेंट ऑप्शन की अपनी खासियत है। उसके काम करने का तरीका भी अलग है। अगर आप भी रिटायरमेंट प्लानिंग कर रहे हैं तो इनमें से हर इनवेस्टमेंट ऑप्शन के बारे में जानना आपके लिए जरूरी है।
एनपीएस को रिटायरमेंट को ध्यान में रख तैयार किया गया है। इसका मतलब है कि इसमें आपके लंबी अवधि तक निवेश करना होगा। एनपीएस सब्सक्राइबर के पैसे का निवेश, कॉर्पोरेट बॉन्ड्स और गवर्नमेंट सिक्योरिटीज में करता है। सब्सक्राइबर के पास शेयरों में 75 फीसदी तक निवेश करने का विकल्प है। हाल में एनपीएस में बड़े बदलाव के बाद शेयरों में निवेश की सीमा 100 फीसदी तक हो गई है। लंबी अवधि में एनपीएस में निवेश से बड़ा फंड तैयार हो जाता है। रिटायरमेंट के वक्त सब्सक्राइबर्स अपने एनपीएस अकाउंट में जमा 60 फीसदी पैसा एकमुश्त निकाल सकता है। बाकी 40 फीसदी से एन्युटी खरीदना जरूरी होता है।
म्यूचुअल फंड की इक्विटी स्कीम में रेगुलेर निवेश से लंबी अवधि में रिटायरमेंट के लिए बड़ा फंड तैयार किया जा सकता है। यह देखा गया है कि लंबी अवधि तक निवेश करने पर इक्विटी म्यूचुअल फंड का रिटर्न काफी अट्रैक्टिव होता है। म्यूचुअल फंड की इक्विटी स्कीम में निवेश टैक्स के लिहाज से भी फायदेमंद है। एक वित्त वर्ष में लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस 1.25 लाख रुपये से ज्यादा होने पर टैक्स लगता है। इक्विटी म्यूचुअल फंड्स की खास बात यह है कि इसमें किसी तरह का लॉक-इन पीरियड नहीं होता। पैसे की बहुत ज्यादा जरूरत पड़ने पर कुछ पैसे निकाले जा सकते हैं।
पीपीएफ रिटायरमेंट प्लानिंग के लिए उन लोगों के लिए बेस्ट ऑप्शन है, जो निवेश में रिस्क नहीं लेना चाहते। पीपीएफ 15 साल में मैच्योर हो जाता है। हर तिमाही सरकार पीपीएफ के इंटरेस्ट रेट की समीक्षा करती है। अभी पीपीएफ पर इंटरेस्ट रेट 7.1 फीसदी है। यह टैक्स के लिहाज से भी काफी अच्छी स्कीम है। मैच्योरिटी पर मिलने वाला पैसा पूरी तरह से टैक्स-फ्री होता है। अगर आप इनकम टैक्स की पुरानी रीजीम का इस्तेमाल करते हैं तो आप पीपीएफ पर डिडक्शन का दावा कर सकते हैं।
बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट
बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट ऐसा इनवेस्टमेंट ऑप्शन है, जिस पर सबसे ज्यादा लोग भरोसा करते हैं। इसमें रिस्क नहीं के बराबर होता है। निवेश करते वक्त इनवेस्टर को पता होता है कि मैच्योरिटी पर उसे कितना रिटर्न मिलेगा। लेकिन, इसकी खराब बात यह है कि एफडी के इंटरेस्ट से होने वाली इनकम टैक्स के दायरे में आती है। इसके चलते एफडी पर मिलने वाला रियर रिटर्न काफी घट जाता है। उन लोगों के लिए यह स्कीम फायदेमंद नहीं है, जो ज्यादा टैक्स स्लैब में आते हैं। इसलिए रिटायरमेंट प्लानिंग में एफडी अंतिम विकल्प होना चाहिए।
एक्सपर्ट्स का कहना है कि रिटायरमेंट के लिए निवेश करने में व्यक्ति को अपनी उम्र, रिस्क लेने की क्षमता और टैक्स के नियमों को ध्यान में रखना चाहिए। अगर आपकी उम्र कम है तो आप एनपीएस, पीपीएफ और म्यूचुअल फंड्स की इक्विटी स्कीम में लंबी अवधि के लिए निवेश कर सकते हैं। पीपीएफ में जहां आपके इनवेस्टमेंट को सुरक्षा मिलेगी, वही इक्विटी म्यूचुअल फंड्स में निवेश से लंबी अवधि में बड़ा फंड तैयार होगा। एनपीएस में निवेश से रिटायरमेंट बाद आपको नियमित पेंशन की सुविधा मिलेगी।