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भारत में गिरावट लेकिन 10 साल के पीक पर चीन का शेयर बाजार, जानिए कहां से मिला बूस्टर

भारत में गिरावट लेकिन 10 साल के पीक पर चीन का शेयर बाजार, जानिए कहां से मिला बूस्टर

 

भारत में शेयर बाजारों में आज भारी गिरावट दिख रही है लेकिन पड़ोसी चीन में 10 साल का रेकॉर्ड टूट गया है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच छह साल में पहली मुलाकात हुई है जिससे दोनों देशों के बीच ट्रेड वॉर में नरमी आने की उम्मीद है।

अमेरिका और चीन के शीर्ष नेताओं के बीच लंबे समय बाद मुलाकात हुई है।
 
नई दिल्ली: भारतीय शेयर बाजार में शुरुआती कारोबार में गिरावट आई है लेकिन चीन के शेयर गुरुवार को एक दशक की ऊंचाई पर पहुंच गए। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच छह साल में पहली मुलाकात हुई है जिससे दोनों देशों के बीच ट्रेड वॉर में नरमी आने की उम्मीद है। शंघाई कंपोजिट इंडेक्स ने शुरुआती गिरावट को पलट दिया। सुबह के कारोबार में यह 0.2% बढ़कर 4,025.70 पर पहुंच गया। यह साल 2015 के बाद का सबसे ऊंचा स्तर है। अमेरिका-चीन व्यापार विवाद में नरमी की उम्मीदों ने इसे ऊपर पहुंचाया है।निवेशकों को दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच तनाव कम होने के शुरुआती संकेत मिले हैं। हालांकि कुछ निवेशक सतर्क भी हैं। उन्हें लगता है कि शायद यह नरमी उतनी बड़ी न हो जितनी उम्मीद की जा रही है। ट्रंप ने शी जिनपिंग से हाथ मिलाते हुए कहा, “हमारी मुलाकात बहुत सफल रहेगी।” उन्होंने यह भी कहा कि वह गुरुवार को ही कोई व्यापार समझौता कर सकते हैं। जिनपिंग ने कहा कि वह ट्रंप के साथ मिलकर चीन-अमेरिका संबंधों के लिए एक मजबूत नींव बनाने को तैयार हैं।

किन शेयरों में आई तेजी?

चीन में बैंकिंग, बीमा और शराब कंपनियों के शेयरों में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी देखी गई। हांगकांग का हैंग सेंग इंडेक्स 0.6% बढ़ा। बुधवार को छुट्टी के बाद यह पहली बार खुला था। ट्रंप एशियाई दौरे के आखिरी पड़ाव पर दक्षिण कोरिया में थे। यह बैठक दक्षिण कोरिया के बुसान शहर में हुई। ट्रंप के दूसरी बार राष्ट्रपति बनने के बाद जिनपिंग के साथ उनकी पहली मुलाकात थी।

इस बैठक का महत्व इसलिए भी ज्यादा है क्योंकि इस साल चीनी शेयर बाजारों में काफी तेजी आई है। शंघाई बेंचमार्क सूचकांक इस साल लगभग 20% बढ़ा है। विश्लेषकों का कहना है कि निवेशक सिर्फ सामान्य बातों पर ध्यान नहीं देंगे। वे बैठक के बाद आने वाले विवरणों को ध्यान से देखेंगे। अगर कोई खास बात नहीं निकलती है, तो बाजार की प्रतिक्रिया शायद उतनी जोरदार न हो। अमेरिकी टैरिफ के बावजूद चीन के निर्यात अन्य देशों में मजबूत बने हुए हैं।

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