Last Updated on October 26, 2025 23:10, PM by Pawan
Circuit limit changes: बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) ने 27 अक्टूबर 2025 से 57 कंपनियों के शेयरों पर नए प्राइस बैंड या सर्किट लिमिट लगाने का फैसला किया है। इसका मकसद असामान्य ट्रेडिंग गतिविधियों को रोकना और निवेशकों को संभावित जोखिम से बचाना है।
BSE उन शेयरों को चिन्हित करता है जिनमें अचानक ट्रेडिंग वॉल्यूम या कीमत में तेज उतार-चढ़ाव दिखता है। इसके लिए एक्सचेंज अपने रेगुलर सर्विलांस मैकेनिज्म के तहत जरूरी कदम उठाता है। इस प्रक्रिया में कई शेयरों के प्राइस बैंड को 2%, 5% या 10% तक घटाया जा सकता है।
BSE के सर्विलांस उपाय
हर स्टॉक के लिए प्राइस बैंड इसलिए तय किया जाता है ताकि उसकी कीमत अचानक अत्यधिक न बढ़े या गिरे। अगर किसी स्टॉक में असामान्य वोलैटिलिटी दिखाई देती है, तो उस पर और कड़ा प्राइस बैंड लागू किया जाता है।
स्पेशल मार्जिन कब लगाया जाता है
स्पेशल मार्जिन तब लगाया जाता है जब किसी शेयर में कीमत या ट्रेडिंग वॉल्यूम में असामान्य बढ़ोतरी होती है। इस स्थिति में BSE 25%, 50% या 75% तक का स्पेशल मार्जिन लगा सकता है। इसका मकसद अफवाहों या अटकलों के कारण निवेशकों को बड़े नुकसान से बचाना होता है।
किन कंपनियों के प्राइस बैंड में बदलाव
प्राइस बैंड क्या होता है?
प्राइस बैंड किसी शेयर के एक दिन में होने वाले अधिकतम और न्यूनतम उतार-चढ़ाव की तय सीमा होती है। यानी, किसी स्टॉक की कीमत एक ट्रेडिंग सेशन में इस दायरे से ऊपर या नीचे नहीं जा सकती। इसे सर्किट लिमिट या डे प्राइस बैंड भी कहा जाता है। इसका मकसद बाजार में अचानक होने वाले तेज उतार-चढ़ाव और हेरफेर पर नियंत्रण रखना होता है।
Disclaimer: यहां मुहैया जानकारी सिर्फ सूचना के लिए दी जा रही है। यहां बताना जरूरी है कि मार्केट में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है। निवेशक के तौर पर पैसा लगाने से पहले हमेशा एक्सपर्ट से सलाह लें। हमारी तरफ से किसी को भी पैसा लगाने की यहां कभी भी सलाह नहीं दी जाती है।