Last Updated on October 22, 2025 8:46, AM by Pawan
Trump: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर पूरी दुनिया के सामने अपनी ‘ट्रेड वॉर’ वाली घंटी बजा दी है। मंगलवार को ट्रंप ने एक तरफ कहा कि वह चीन से ‘दोस्ती रखना’ चाहते हैं, पर दूसरी तरफ 1 नवंबर से चीन से आने वाले सामानों पर 155 प्रतिशत के भारी-भरकम टैरिफ लगाने की अपनी योजना पर कायम रहे। ट्रंप ने अपने इस कठोर कदम के पीछे चीन के साथ कई सालों से चले आ रहे एकतरफा आर्थिक लेन-देन को जिम्मेदार ठहराया है।
स्मार्ट नहीं थे पिछले राष्ट्रपति: ट्रंप
ट्रंप ने एएनआई को जवाब देते हुए कहा, ‘1 नवंबर से चीन पर लगभग 155 प्रतिशत टैरिफ लगाया जाएगा। मुझे नहीं लगता कि यह उनके लिए टिकाऊ है।’ उन्होंने कहा कि वह व्यक्तिगत रूप से चीन के साथ दोस्ताना संबंध रखना चाहते हैं, लेकिन ‘चीन हमारे साथ वर्षों से बहुत कठोर रहा है क्योंकि हमारे पास ऐसे राष्ट्रपति थे जो व्यवसाय के दृष्टिकोण से ‘स्मार्ट’ नहीं थे… उन्होंने चीन और हर दूसरे देश को हमारा फायदा उठाने दिया।’
राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए टैरिफ का इस्तेमाल
ट्रंप ने टैरिफ को सिर्फ व्यापार का हथियार नहीं, बल्कि ‘राष्ट्रीय सुरक्षा’ का उपकरण बताया। उन्होंने याद दिलाया कि यूरोपीय संघ, जापान और दक्षिण कोरिया के साथ उनके पिछले व्यापार समझौते भी टैरिफ पर आधारित थे, जिसके दम पर अमेरिका को अरबों डॉलर का राजस्व मिल रहा है। ट्रंप ने दावा किया कि इन टैरिफ से अमेरिका को ‘सैकड़ों अरब, यहां तक कि खरबों, डॉलर’ मिल रहे हैं, जिनका उपयोग वे देश का कर्ज चुकाने के लिए करेंगे।
‘सेकेंडरी टैरिफ’ रणनीति से रूस को बना रहे निशाना
यह घोषणा ट्रंप की उस ‘सेकेंडरी टैरिफ’ रणनीति को भी उजागर करती है, जो उन देशों को निशाना बनाती है जो परोक्ष रूप से रूस-यूक्रेन युद्ध में ऊर्जा व्यापार के माध्यम से रूस की मदद कर रहे हैं। पहले यह रणनीति भारत पर (रूसी तेल आयात पर 50% टैरिफ) लागू की गई थी, लेकिन चीन पर 155% का टैरिफ लगाना, जो रूसी कच्चे तेल का दुनिया का सबसे बड़ा आयातक है, इस बात का संकेत है कि अब अमेरिका का निशाना और बड़ा हो गया है।
