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विदेशी निवेशकों का भारत पर फिर ‘भरोसा’, अक्टूबर में ₹3,300 करोड़ से ज्यादा झोंके, बाजार में ‘रिकॉर्ड तेजी’ का संकेत! | Zee Business

विदेशी निवेशकों का भारत पर फिर ‘भरोसा’, अक्टूबर में ₹3,300 करोड़ से ज्यादा झोंके, बाजार में ‘रिकॉर्ड तेजी’ का संकेत!  | Zee Business

Last Updated on October 12, 2025 14:59, PM by Khushi Verma

 

भारतीय शेयर बाजार में इस महीने विदेशी निवेशकों यानी कि फॉरेन पोर्टफोलियो इन्वेस्टर्स (एफपीआई) ने फिर से प्योर खरीदार का रूप लिया है. अक्टूबर 2025 में अब तक एफपीआई ने लगभग 3,358 करोड़ रुपए का निवेश किया है. यह निवेश इक्विटी, डेट, हाइब्रिड और म्यूचुअल फंड में किया गया है, जो पेश करता है कि विदेशी निवेशक भारतीय बाजार में भरोसा लौट रहे हैं. यह जानकारी नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड (एनएसडीएल) के आंकड़ों में सामने आई है.

2027 तक इंडियन कंपनियों की इनकम में बढ़ोतरी

वहीं,जियोजित इन्वेस्टमेंट लिमिटेड के मुख्य निवेश रणनीतिकार डॉ. वीके विजयकुमार ने कहा कि एफपीआई की ट्रेडिंग रणनीति में यह बदलाव महत्वपूर्ण है. उनका कहना है कि इसके पीछे दो मुख्य कारण हैं. पहला कारण भारत और अन्य वैश्विक बाजारों के बीच वैल्यूएशन गैप में कमी है. पहले भारतीय शेयर बाजार अन्य प्रमुख बाजारों के मुकाबले महंगा माना जाता था, लेकिन हाल के हफ्तों में वैश्विक बाजारों में तेजी और भारतीय बाजार में समेकन के चलते यह अंतर कम हो गया है. दूसरा कारण है कि विशेषज्ञों ने भारत की विकास दर और कंपनियों की आय में वृद्धि की संभावनाओं को अधिक प्रोत्साहन दिया है. जीएसटी में कटौती और कम ब्याज दर के कारण वित्त वर्ष 2027 में भारतीय कंपनियों की आय में बढ़ोतरी की उम्मीद है.

10 अक्टूबर को समाप्त सप्ताह में विदेशी निवेशक कैश मार्केट में लगातार खरीदार रहे. पिछले चार कारोबारी सत्रों में कैश मार्केट में एफपीआई की कुल खरीदारी लगभग 3,289 करोड़ रुपए रही. इससे यह संकेत मिलता है कि विदेशी निवेशक भारतीय बाजार को लेकर सकारात्मक हैं.

अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध का असर

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हालांकि, वैश्विक परिस्थितियों ने बाजार धारणा पर कुछ दबाव डाला है. अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध के बढ़ने की खबरों ने वैश्विक निवेशकों की धारणा को प्रभावित किया. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा चीन से आयात पर 100 प्रतिशत टैरिफ लगाने और चीन के प्रमुख निर्यातों पर प्रतिबंध लगाने की धमकी के बाद वैश्विक बाजार में अनिश्चितता बढ़ गई. विश्लेषकों का कहना है कि आगे चलकर एफपीआई का निवेश प्रवाह इस बात पर निर्भर करेगा कि अमेरिका-चीन व्यापार विवाद किस दिशा में जाता है.

मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड

मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड के रिसर्च हेड (वेल्थ मैनेजमेंट) सिद्धार्थ खेमका ने कहा कि पिछले शुक्रवार को निफ्टी 104 अंक बढ़कर 25,285 पर बंद हुआ. इसका मुख्य कारण वैश्विक धारणा में सुधार और भू-राजनीतिक तनाव में कमी थी. इजराइल और हमास के बीच युद्धविराम योजना पर सहमति बनने से तनाव कम हुआ, वहीं भारत और अमेरिका के संभावित व्यापार समझौते से निवेशकों का भरोसा बढ़ा.

सिद्धार्थ खेमका ने आगे कहा कि नए सिरे से एफपीआई की खरीदारी ने भी बाजार में सकारात्मक धारणा को बढ़ावा दिया. इसके अलावा भारत और ब्रिटेन ने शिक्षा, जलवायु परिवर्तन, रक्षा और महत्वपूर्ण खनिज जैसे क्षेत्रों में कई सहयोगों की घोषणा की है, जिससे बाजार को अतिरिक्त समर्थन मिला.

अक्टूबर 2025

इस प्रकार अक्टूबर 2025 में भारतीय शेयर बाजार में एफपीआई की वापसी ने निवेशकों का भरोसा मजबूत किया है, और इसके लगातार बढ़ते प्रवाह से बाजार में सकारात्मक रुख बना हुआ है. विशेषज्ञों का कहना है कि अगर वैश्विक अनिश्चितताएं नियंत्रित रहती हैं और भारत की आर्थिक संभावनाएं मजबूत रहती हैं, तो एफपीआई का निवेश प्रवाह आगे भी भारतीय शेयर बाजार के लिए सहायक रहेगा.

5 FAQs

1. एफपीआई क्या है?

एफपीआई (Foreign Portfolio Investor) विदेशी निवेशक होते हैं जो भारतीय शेयर बाजार में इक्विटी, डेट और म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं.

2. अक्टूबर 2025 में एफपीआई ने कितना निवेश किया?

अब तक लगभग 3,358 करोड़ रुपए का निवेश किया गया है.

3. एफपीआई निवेश बढ़ने के कारण क्या हैं?

मुख्य कारण हैं भारत और वैश्विक बाजारों के बीच वैल्यूएशन गैप में कमी और भारतीय कंपनियों की आय बढ़ोतरी की संभावनाएं.

4. एफपीआई निवेश से बाजार पर क्या असर पड़ा?

बाजार में सकारात्मक धारणा और निवेशकों का भरोसा बढ़ा, निफ्टी में भी उछाल देखा गया.

5. भविष्य में एफपीआई प्रवाह किस पर निर्भर करेगा?

अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध और वैश्विक आर्थिक परिस्थितियों पर भविष्य में एफपीआई प्रवाह निर्भर करेगा.

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