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कहां हुई TATA ग्रुप में गड़बड़? क्यों Ratan Tata के जाने के 1 साल बाद छिड़ा ऐसा संग्राम, सरकार भी टेंशन में आई

कहां हुई TATA ग्रुप में गड़बड़? क्यों Ratan Tata के जाने के 1 साल बाद छिड़ा ऐसा संग्राम, सरकार भी टेंशन में आई

Last Updated on October 9, 2025 17:56, PM by Pawan

 

Ratan Tata death anniversary: रतन टाटा को गुज़रे आज एक साल पूरा हो गया है. देश उन्हें एक दूरदर्शी उद्योगपति और मानवता से भरे कारोबारी के रूप में याद कर रहा है. लेकिन उनकी पहली पुण्यतिथि पर टाटा समूह के भीतर का तूफान एक बार फिर सतह पर आ गया है. पिछले 157 वर्षों में शायद यह पहला मौका है जब भारत सरकार को टाटा समूह के आंतरिक मामलों में सीधा हस्तक्षेप करना पड़ा है.

सरकार को देना पड़ा दखल!

टाटा ग्रुप के इस विवाद को देखते हुए मंगलवार शाम टाटा ग्रुप के शीर्ष नेताओं टाटा ट्रस्ट्स के चेयरमैन नोएल टाटा, टाटा संस के चेयरमैन एन. चंद्रशेखरन, वाइस चेयरमैन वेणु श्रीनिवासन और ट्रस्टी डेरियस खंबाटा ने गृह मंत्री अमित शाह और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाकात की. यह बैठक करीब 45 मिनट चली और माना जा रहा है कि इसका मकसद था समूह में चल रहे आंतरिक विवाद को सुलझाना, जो अब टाटा ट्रस्ट्स और टाटा संस के बोर्ड नियुक्तियों पर टकराव की स्थिति तक पहुंच गया है.

क्यों दो गुट में बंटा टाटा ग्रुप?

रतन टाटा के निधन के बाद अक्टूबर 2024 में उनके सौतेले भाई नोएल टाटा को टाटा ट्रस्ट्स का चेयरमैन बनाया गया था. इसके तुरंत बाद नवंबर 2024 में उन्हें टाटा संस के बोर्ड में भी शामिल किया गया यानी 14 साल बाद टाटा परिवार का कोई सदस्य फिर से दोनों शीर्ष संस्थाओं की कमान संभाल रहा था.

लेकिन, ये फैसला ट्रस्ट के भीतर सर्वसम्मति से नहीं हुआ. ट्रस्ट अब दो हिस्सों में बंट गया है एक गुट नोएल टाटा और वेणु श्रीनिवासन के साथ है, जबकि दूसरा गुट मेहली मिस्त्री के नेतृत्व में है, जिनका संबंध शापूरजी पल्लोनजी परिवार से है. यही शापूरजी ग्रुप टाटा संस में 18.37% हिस्सेदारी रखता है और बीते दशकों से समूह का प्रमुख शेयरहोल्डर रहा है.

क्या है इस पूरे विवाद की जड़?

विवाद की शुरुआत 11 सितंबर को हुई टाटा ट्रस्ट्स की एक मीटिंग से मानी जा रही है. इस मीटिंग में टाटा संस के बोर्ड पर पूर्व रक्षा सचिव विजय सिंह को दोबारा नॉमिनी डायरेक्टर के रूप में नियुक्त करने पर चर्चा होनी थी. लेकिन इस पर मतभेद इतना बढ़ा कि चार ट्रस्टी मेहली मिस्त्री, प्रमित झावेरी, जहांगीर एचसी जहांगीर और डेरियस खंबाटा ने प्रस्ताव को खारिज कर दिया.

दूसरी ओर नोएल टाटा और श्रीनिवासन इस अपॉइंटमेंट के पक्ष में थे. मतभेद इतना बढ़ा कि बैठक अधर में लटक गई और विजय सिंह ने इस्तीफा दे दिया. इसके बाद मिस्त्री गुट ने खुद के उम्मीदवार को बोर्ड में भेजने की कोशिश की, लेकिन नोएल टाटा ने रोक लगा दी.

सरकार को क्यों देना पड़ा दखल?

Tata Group की कुल संपत्ति 180 अरब डॉलर से अधिक है और इसका देश की अर्थव्यवस्था पर गहरा असर है. सरकार को आशंका है कि ट्रस्ट के भीतर जारी यह “पावर स्ट्रगल” समूह की कार्यक्षमता को प्रभावित कर सकता है. सूत्रों के अनुसार, गृह मंत्री अमित शाह ने मीटिंग में साफ कहा कि “आंतरिक झगड़े को जल्द सुलझाया जाए, ताकि इसका असर देश की अर्थव्यवस्था या निवेशकों के भरोसे पर न पड़े.”

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी समूह से कहा कि वह अपने गवर्नेंस मॉडल को स्पष्ट करे और बोर्ड की नियुक्तियों पर जल्द सहमति बनाए. अब 10 अक्टूबर को टाटा ट्रस्ट्स की अहम बोर्ड बैठक होने वाली है, जिसमें समाधान की उम्मीद की जा रही है.

नई पीढ़ी की एंट्री से बदला ग्रुप का समीकरण

रतन टाटा के निधन के बाद नोएल टाटा के तीन बच्चे माया, लिआह और नेविल टाटा को जनवरी 2025 में सर रतन टाटा इंडस्ट्रियल इंस्टीट्यूट (SRTII) के बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज में शामिल किया गया. यह कदम टाटा समूह में नेक्स्ट-जेनरेशन लीडरशिप ट्रांजिशन की दिशा में देखा जा रहा है.

    • माया टाटा टाटा डिजिटल से जुड़ी हैं और टाटा नियो ऐप टीम में अहम भूमिका निभा रही हैं.

 

    • लिआह टाटा इंडियन होटल्स कंपनी लिमिटेड (IHCL) में वाइस प्रेसिडेंट हैं और ताज होटल्स के विस्तार पर काम कर रही हैं.

 

    • नेविल टाटा स्ट्रक्चर्ड प्रोडक्ट्स और इन्वेस्टमेंट्स से जुड़े हैं और भविष्य के लीडर के रूप में देखे जा रहे हैं.

 

टाटा ट्रस्ट में गवर्नेंस स्ट्रक्चर पर भी हुए बड़े बदलाव

नोएल टाटा के कार्यकाल में ट्रस्ट में कई स्ट्रक्चरल बदलाव किए गए हैं

    • CFO और COO पद समाप्त कर दिए गए ताकि मैनेजमेंट कॉस्ट को कम किया जा सके.

 

    • ट्रस्टीज़ को “परमानेंट मेंबरशिप” दी गई, जिससे अब रिटायरमेंट सिर्फ वॉलंटरी होगा.

 

    • नई नियुक्तियों के लिए 100% सहमति जरूरी कर दी गई है ताकि भविष्य में विवाद न हो.

 

    • 75 वर्ष से ऊपर के डायरेक्टर्स को हर साल री-अपॉइंटमेंट प्रक्रिया से गुजरना होगा.

 

शांतनु नायडू: रतन टाटा के सबसे भरोसेमंद सहयोगी

रतन टाटा के बेहद करीबी शांतनु नायडू को अब टाटा मोटर्स में जनरल मैनेजर और हेड ऑफ स्ट्रैटेजिक इनिशिएटिव्स बनाया गया है. शांतनु, रतन टाटा के एक ऐसे युवा साथी हैं जिन्होंने 2014 में स्ट्रे डॉग्स के लिए ‘मोटोपॉज़’ प्रोजेक्ट से उनकी नजर में जगह बनाई थी. रतन टाटा ने उन्हें मुंबई बुलाया, फंडिंग दी और बाद में अपने निजी सहायक के रूप में साथ रखा. आज शांतनु टाटा ग्रुप के भीतर इलेक्ट्रिक वाहन इनोवेशन से जुड़े प्रोजेक्ट्स की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं.

रतन टाटा की वसीयत ने भी चौंकाया

रतन टाटा की 3,900 करोड़ रुपये की वसीयत में एक चौंकाने वाला नाम सामने आया. उन्होंने अपने परिवार के अलावा एक पुराने सहयोगी मोहिनी मोहन दत्ता (पूर्व डायरेक्टर, ताज होटल्स) को अपनी संपत्ति का एक-तिहाई हिस्सा (करीब ₹588 करोड़) देने का प्रावधान किया. दत्ता ने पहले वसीयत की शर्तों पर आपत्ति जताई थी, लेकिन अब वे सहमत हो गए हैं, जिससे वसीयत को लागू करने की प्रक्रिया तेज हो गई है.

देश की अर्थव्यवस्था पर असर का डर

टाटा समूह देश की सबसे भरोसेमंद कारोबारी संस्था है. TCS, टाटा स्टील, टाटा मोटर्स, टाटा डिजिटल और टाटा केमिकल्स जैसी कंपनियां करोड़ों निवेशकों से जुड़ी हैं. आंतरिक विवाद न सिर्फ समूह के संचालन को प्रभावित कर सकता है बल्कि देश के स्टॉक मार्केट और निवेश माहौल पर भी असर डाल सकता है. इसी वजह से सरकार ने टाटा ट्रस्ट्स और टाटा संस के भीतर “गवर्नेंस क्लैरिटी” सुनिश्चित करने के लिए सीधा संवाद शुरू किया है.

FAQs: रतन टाटा के निधन के बाद टाटा ग्रुप में क्या चल रहा है?

Q1. रतन टाटा का निधन कब हुआ था?

रतन टाटा का निधन 9 अक्टूबर 2024 को हुआ था. उस समय उनकी उम्र 86 वर्ष थी.

Q2. उनके निधन के बाद टाटा ग्रुप की कमान किसे सौंपी गई?

रतन टाटा के सौतेले भाई नोएल टाटा को अक्टूबर 2024 में टाटा ट्रस्ट्स का चेयरमैन बनाया गया. नवंबर 2024 में उन्हें टाटा संस के बोर्ड में भी शामिल किया गया.

Q3. टाटा ग्रुप में झगड़ा किस बात को लेकर है?

विवाद मुख्य रूप से टाटा ट्रस्ट्स के भीतर बोर्ड सीटों और नॉमिनी डायरेक्टर्स की नियुक्ति को लेकर है. नोएल टाटा के नेतृत्व वाले गुट और मेहली मिस्त्री के नेतृत्व वाले गुट के बीच मतभेद गहराते गए हैं.

Q4. मेहली मिस्त्री कौन हैं और उनका क्या रोल है?

मेहली मिस्त्री टाटा ट्रस्ट्स के एक सीनियर ट्रस्टी हैं और शापूरजी पल्लोनजी फैमिली से जुड़े हैं, जिसकी 18.37% हिस्सेदारी टाटा संस में है. वे कुछ फैसलों से बाहर रखे जाने पर नाराज बताए जा रहे हैं.

Q5. सरकार को इस मामले में क्यों दखल देना पड़ा?

टाटा ट्रस्ट्स के आंतरिक विवाद से टाटा संस के बोर्ड की कार्यप्रणाली और नियुक्तियों पर असर पड़ रहा था. इसी को देखते हुए गृहमंत्री अमित शाह और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने टाटा ग्रुप के वरिष्ठ नेताओं के साथ बैठक की.

Q6. रतन टाटा की वसीयत में क्या खास है?

रतन टाटा ने अपनी लगभग 3,900 करोड़ रुपये की संपत्ति का एक हिस्सा अपने परिवार के बाहर के लोगों को भी दिया है, जिनमें ताज होटल्स के पूर्व डायरेक्टर मोहिनी मोहन दत्ता शामिल हैं. उन्हें लगभग 588 करोड़ रुपये की संपत्ति मिलने की उम्मीद है.

Q7. टाटा ग्रुप की अगली पीढ़ी में कौन से सदस्य सक्रिय हैं?

नोएल टाटा के बच्चे माया टाटा, लिआह टाटा और नेविल टाटा अब समूह से जुड़ी संस्थाओं में महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभा रहे हैं. माया टाटा डिजिटल यूनिट में, लिआह टाटा होटल बिजनेस में और नेविल टाटा स्ट्रक्चर्ड फाइनेंस प्रोजेक्ट्स में काम कर रहे हैं.

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