Last Updated on October 8, 2025 6:43, AM by Pawan
भारतीय घरों के पास करीब 3 ट्रिलियन डॉलर का सोना है, लेकिन इसका बड़ा हिस्सा लॉकर्स में पड़ा है और आर्थिक विकास में ज्यादा योगदान नहीं दे रहा। स्टॉक ब्रोकिंग जीरोधा के को-फाउंडर और सीईओ नितिन कामत का मानना है कि यह विशाल संपत्ति ज्यादा बेहतर तरीके से देश के काम आ सकती है।
उन्होंने कहा, ‘हमें सोने को केवल गोल्ड लोन तक सीमित न रखकर इसे वित्तीय रूप देने के बेहतर तरीके खोजने होंगे।’ कामत का कहना है कि इक्विटी सीधे कंपनियों को फंड करती है और अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाती है।
सोना vs इक्विटी: लंबी अवधि में कौन आगे?
कामत ने 1996 से 2025 तक सोना और निफ्टी 500 के सालाना रिटर्न की तुलना दिखाने वाला चार्ट साझा किया। इसमें साफ दिखता है कि 30 वर्षों में 24 सालों में इक्विटी ने सोने को पीछे छोड़ा।
इतिहास बताता है कि दोनों ने तेज बढ़त और गिरावट देखी है। निफ्टी 500 ने कई सालों में 100% से ज्यादा रिटर्न दिया। 2003 में 101%, 2004 में 105% और 2009 में 91% । लेकिन, 2008 में -57%, 2001 में -22% और 2011 में -26% की बड़ी गिरावट भी आई।
सोना स्थिर लेकिन मध्यम रिटर्न देता रहा। इसमें 2011 में 32%, 2020 में 27%, और 2024 में अनुमानित 16% की बढ़त रही। 2020 साल खास था, जब दोनों एसेट में बढ़त देखी गई। निफ्टी 500 में 16% और सोने में 27%।
भारत के सोने का भंडार और वैश्विक तुलना
भारत के घरों के पास करीब 25,000 टन सोना है, जो दुनिया का सबसे बड़ा घरेलू भंडार है और वैश्विक सोने का 14% है। इसकी कीमत लगभग 2.4 ट्रिलियन डॉलर है। यह FY26 में भारत के नॉमिनल GDP का 56% और कुल बैंक क्रेडिट (55% GDP) से भी ज्यादा है।
UBS की मुख्य अर्थशास्त्री तन्वी गुप्ता जैन के मुताबिक, सोने की कीमतें और बढ़ सकती हैं। FY26 में यह $3,500 प्रति औंस तक पहुंच सकती हैं। अप्रैल 2025 में सोने की कीमत अस्थायी रूप से $3,501 प्रति औंस तक गई थी।
HSBC Global ने भी बताया कि भारतीय घरों के पास अब दुनिया के शीर्ष 10 केंद्रीय बैंकों के संयुक्त भंडार से ज्यादा सोना है। दिसंबर 2024 तक भारतीय रिजर्व बैंक के पास सिर्फ 876.18 टन सोना था।