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LG Electronics IPO: एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स के आईपीओ में लगाया आपका एक-एक पैसा दक्षिण कोरिया जाएगा, निवेश करने से पहले सोच लें

LG Electronics IPO: एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स के आईपीओ में लगाया आपका एक-एक पैसा दक्षिण कोरिया जाएगा, निवेश करने से पहले सोच लें

Last Updated on October 7, 2025 17:03, PM by Pawan

नई दिल्ली: एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स इंडिया का आईपीओ आज से निवेशकों के लिए खुल गया है। निवेशक 9 अक्टूबर तक इसके लिए बोली लगा सकते हैं। इकोनॉमिक टाइम्स के मुताबिक यह एक ‘ऑफर फॉर सेल’ (OFS) है, जिसमें कोरियाई पेरेंट कंपनी एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स इंक. अपने शेयर बेचकर 11,607 करोड़ रुपये जुटाएगी। यानी आप एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स इंडिया के आईपीओ में जो भी पैसा लगाएंगे, वह रकम कोरिया जाएगा। हालांकि ऐसा पहले भी कई कंपनी कर चुकी हैं। लेकिन सवाल है कि क्या यह कंपनी निवेशकों को अच्छा रिटर्न दे पाएगी?

एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स इंडिया का यह कदम हाल ही में हुंडई के उस कदम जैसा ही है, जहां उसने अपनी भारतीय सब्सिडियरी के जरिए वैल्यू अनलॉक की थी। एक बड़ा ओएफएस निवेशकों के उत्साह को कम कर सकता है, जैसा कि हुंडई इंडिया की लिस्टिंग के समय देखा गया था। हुंडई इंडिया को अच्छी सब्सक्रिप्शन मिलने के बावजूद, उसकी लिस्टिंग उम्मीदों पर खरी नहीं उतरी थी। लेकिन एलजी ने निवेशकों को लुभाने के लिए एक तरकीब अपनाई है। उन्होंने वैल्यूएशन को काफी हद तक कम रखा है और भारत में अपनी मजबूत पकड़ पर जोर दिया है।

योजना से काफी कम वैल्यूएशन

एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स इंडिया आईपीओ शेयर की कीमत 1080 रुपये से 1140 रुपये प्रति शेयर के बीच तय की गई है। इससे कंपनी का वैल्यूएशन 73,000 करोड़ रुपये से 77,000 करोड़ रुपये के बीच आंका गया है। यह वैल्यूएशन पहले की 1.3 लाख करोड़ रुपये की योजना से काफी कम है।

दक्षिण कोरिया की है मूल कंपनी

एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स इंडिया, दक्षिण कोरिया की दिग्गज कंपनी एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स का भारतीय कारोबार है। यह कंपनी कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स के क्षेत्र में दुनियाभर में जानी जाती है। भारत में 28 साल से ज्यादा समय से काम करते हुए एलजी ने कई प्रोडक्ट कैटेगरी में अपनी मजबूत पकड़ बनाई है। H1CY25 के आंकड़ों के मुताबिक, यह वॉशिंग मशीन (33.5%), रेफ्रिजरेटर (29.9%), पैनल टीवी (27.5%), एयर कंडीशनर (20.6%) और माइक्रोवेव (51.4%) में मार्केट लीडर है।

ओएफएस को लेकर संशय

एलजी के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि निवेशक बड़े ओएफएस वाले आईपीओ को लेकर संशय में रहते हैं। फ्रेश इश्यू में जहां जुटाए गए पैसे का इस्तेमाल कंपनी के विकास या कर्ज चुकाने में होता है,तो वहीं ओएफएस में मौजूदा शेयरधारक सिर्फ अपने शेयर बेचकर बाहर निकलते हैं।

हालांकि, विश्लेषकों का कहना है कि एलजी इस धारणा को दो तरीकों से बदल रही है। पहला, उन्होंने कीमत को समझदारी से तय किया है। दूसरा, उनकी पेरेंट कंपनी भारतीय मैन्युफैक्चरिंग में दोबारा निवेश कर रही है। कोरियाई पेरेंट कंपनी 600 मिलियन डॉलर का निवेश करके अपने कारखाने का विस्तार कर रही है और उत्पादन क्षमता बढ़ा रही है।

लेखक के बारे मेंराजेश भारतीराजेश भारती, नवभारत टाइम्स डिजिटल में असिस्टेंट न्यूज़ एडिटर है। वे पिछले 16 वर्षों से बिजनेस, पर्सनल फाइनेंस, शेयर मार्केट, क्रिप्टोकरेंसी, गैजेट्स, हेल्थ आदि से जुड़े मुद्दों को कवर कर रहे हैं। राजेश भारती पिछले 1 साल वर्षों से एनबीटी डिजिटल के साथ जुड़े हैं। वह नवभारत टाइम्स न्यूजपेपर में भी 5 साल से ज्यादा काम कर चुके हैं। उन्होंने ग्राउंड रिपोर्टिंग भी की है। राजेश भारती ने भारतीय जनसंचार संस्थान (IIMC), दिल्ली पत्रकारिता में पीजी डिप्लोमा किया है।और पढ़ें

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