Last Updated on October 5, 2025 22:14, PM by Pawan
भारत ने अपनी विदेशी मुद्रा नीति में बड़ा बदलाव करते हुए अब ज्यादा भरोसा सोने पर जताया है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के ताजा आंकड़ों के अनुसार, सितंबर 2025 के अंत तक देश का स्वर्ण भंडार 95.017 अरब डॉलर (लगभग 880 टन) तक पहुंच गया है, जो इतिहास में अब तक का सबसे बड़ा स्तर है। यह भंडार 100 अरब डॉलर के ऐतिहासिक आंकड़े के करीब पहुंच चुका है और वैश्विक स्तर पर भारत को सोने का दूसरा सबसे बड़ा इंस्टीट्यूशनल खरीदार बना चुका है।
हालांकि विदेशी मुद्रा भंडार में थोड़ी गिरावट आई है, लेकिन RBI ने सोने में निवेश बढ़ाकर इसे बेहतर आर्थिक रणनीति के रूप में अपनाया है। देश का विदेशी मुद्रा भंडार इस समय 700.2 अरब डॉलर के आसपास है, जो पिछले हफ्ते की तुलना में 2.33 अरब डॉलर कम हुआ है। इसकी वजह मौजूदा वैश्विक आर्थिक और राजनीतिक अस्थिरताएं बताई जा रही हैं। ऐसे समय में सोने का स्टॉक बढ़ाना रुपया को स्थिर रखने और मुद्रा उतार-चढ़ाव से बचाव का एक प्रभावी तरीका माना जाता है।
भारत का सोने का भंडार टन के हिसाब से देखें तो यह 803.6 टन के साथ विश्व स्तर पर नौवें स्थान पर है। अमेरिका, जर्मनी और इटली जैसे देशों के बाद भारत का यह स्थान काफी महत्वपूर्ण है। तेजी से बढ़ रहे स्वर्ण भंडार के साथ भारत वैश्विक बाजार में अपने आर्थिक प्रभाव को मजबूत कर रहा है। 2024 और 2025 में RBI ने विदेशों में रखे हुए लगभग 100 टन सोना देश में वापस लाया, जिससे घरेलू नियंत्रण बढ़ा और बाजार में सोने की उपलब्धता बेहतर हुई।=
स्वर्ण भंडार बढ़ाने की इस रणनीति से भारत को डॉलर की अस्थिरता और अंतरराष्ट्रीय आर्थिक तनावों से बचाव मिल रहा है। सोने का हिस्सा भारत के कुल विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़कर 8.9% से अब 12.1% तक पहुंच चुका है, जो पिछले पांच दशकों में एक महत्वपूर्ण बदलाव है। इससे रिजर्व बैंक को मौद्रिक नीति में ज्यादा लचीलापन और आर्थिक स्थिरता मिलती है।
इस प्रकार, RBI का सोना खरीदने और अपने स्वर्ण भंडार को बढ़ाने का कदम न सिर्फ भारत की आर्थिक सुरक्षा के लिए जरूरी है, बल्कि यह वैश्विक स्तर पर भारत की आर्थिक पकड़ को भी मजबूत करता है। आने वाले समय में इसे देश की मौद्रिक नीति और आर्थिक विकास की महत्वपूर्ण सफलता माना जाएगा।y
