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निवेशकों की बल्ले-बल्ले! सोना 14 साल में सबसे ज्यादा रिटर्न देने को तैयार, चांदी भी चमकी |l

निवेशकों की बल्ले-बल्ले! सोना 14 साल में सबसे ज्यादा रिटर्न देने को तैयार, चांदी भी चमकी |l

Last Updated on September 30, 2025 17:14, PM by Pawan

सोने की कीमतों ने एक बार फिर से इतिहास रच दिया है. मंगलवार को ये रिकॉर्ड हाई पर पहुंच गया और अब ये बीते 14 सालों में सबसे ज्यादा मासिक रिटर्न देने के लिए तैयार है. इस शानदार उछाल के पीछे कई बड़े वैश्विक कारण हैं, जिनमें अमेरिकी सरकार के संभावित शटडाउन और फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दर में एक और कटौती की उम्मीदें शामिल हैं.

सितंबर 2025: सोने के लिए बेहद खास रहा सितंबर

सितंबर 2025 सोने के निवेशकों के लिए बेहद खास रहा है. इस महीने में सोने की कीमतों में 11.4 प्रतिशत का जबरदस्त इजाफा दर्ज किया गया है. अगस्त 2011 के बाद से ये सोने का सबसे बेहतरीन मासिक प्रदर्शन है, जब सोने ने 15 प्रतिशत से अधिक का प्रभावशाली रिटर्न दिया था. ये आंकड़े बताते हैं कि सोने में निवेश करने वालों के लिए ये समय कितना फायदेमंद साबित हुआ है.

अगर हम पिछले एक साल के प्रदर्शन को देखें, तो सोना निवेशकों को 40 प्रतिशत से अधिक का रिटर्न दे चुका है, जबकि चांदी ने तो 50 प्रतिशत से भी ज्यादा का रिटर्न देकर निवेशकों को मालामाल कर दिया है. ये आंकड़े साफ दर्शाते हैं कि कीमती धातुओं में निवेश कितना सुरक्षित और लाभदायक साबित हो सकता है, खासकर अनिश्चितता के दौर में.

MCX पर सोने और चांदी का नया रिकॉर्ड

 

घरेलू बाजार में मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) पर भी सोने और चांदी की चमक बरकरार है.

सोना: सुबह 11:50 बजे तक, MCX पर सोने के 5 दिसंबर 2025 के कॉन्ट्रैक्ट की कीमत 1.11 प्रतिशत बढ़कर 1,17,632 रुपये प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गई. ये एक नया ऑल-टाइम हाई है जो बाजार में सोने की मजबूत मांग को दर्शाता है.

चांदी: सोने के साथ-साथ चांदी की कीमत भी ऑल-टाइम हाई पर चल रही है. MCX पर चांदी के 5 दिसंबर 2025 के कॉन्ट्रैक्ट की कीमत 0.74 प्रतिशत बढ़कर 1,44,165 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई है. ये निवेशकों के लिए एक और अच्छी खबर है.

अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी तेजी का रुख

अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी सोने और चांदी की कीमतों में तेजी के साथ कारोबार हो रहा है. खबर लिखे जाने तक:

    • कॉमैक्स पर सोना: 1 प्रतिशत की तेजी के साथ 3,896 डॉलर प्रति औंस पर ट्रेड कर रहा था.

 

    • कॉमैक्स पर चांदी: 0.66 प्रतिशत बढ़कर 47.32 डॉलर प्रति औंस पर थी.

 

    • ये वैश्विक रुझान भारतीय बाजार में भी कीमती धातुओं की कीमतों को ऊपर धकेल रहा है.

 

सोने में तेजी की मुख्य वजहें

सोने की कीमतों में इस  तेजी के पीछे कई प्रमुख वैश्विक कारक जिम्मेदार हैं:

अमेरिकी सरकार के शटडाउन की संभावना

अमेरिका में सरकार के शटडाउन की संभावना ने वैश्विक स्तर पर अनिश्चितता और चिंता का माहौल पैदा कर दिया है. निवेशक ऐसे माहौल में सुरक्षित निवेश विकल्पों की तलाश करते हैं, और सोना हमेशा से एक सुरक्षित पनाहगाह रहा है.

फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दर में कटौती की उम्मीद

बाजार के जानकार मान रहे हैं कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व जल्द ही ब्याज दरों में एक और कटौती कर सकता है. ब्याज दरों में कटौती से डॉलर कमजोर होता है, जिससे सोने में निवेश करना अधिक आकर्षक हो जाता है क्योंकि ये गैर-उपज वाली संपत्ति है. कम ब्याज दरें सोने को धारण करने की अवसर लागत को भी कम करती हैं.

वैश्विक स्तर पर अस्थिरता

भू-राजनीतिक तनाव और आर्थिक अनिश्चितताएं निवेशकों को सोने जैसे सुरक्षित ठिकानों की ओर धकेल रही हैं. जब शेयर बाजार या अन्य निवेश विकल्प जोखिम भरे लगते हैं, तो सोने की मांग बढ़ जाती है.

आगे क्या? सोने का फ्यूचर का आउटलुक

बाजार के जानकारों का कहना है कि आने वाले समय के लिए सोने की स्थिति काफी मजबूत नजर आ रही है. अमेरिकी फेड की ओर से एक और ब्याज दर कटौती की संभावना ने सोने में तेजी को और हवा दी है.

विशेषज्ञों के अनुसार, सोना 1,13,500 रुपये से लेकर 1,16,500 रुपये प्रति 10 ग्राम की रेंज में रह सकता है. ये दर्शाता है कि निकट भविष्य में भी सोने की कीमतें ऊंचे स्तर पर बनी रह सकती हैं, हालांकि इसमें कुछ उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकते हैं.

इस सप्ताह निवेशकों का फोकस

आने वाले सप्ताह में निवेशकों की नज़र कुछ महत्वपूर्ण आर्थिक डेटा और घटनाओं पर रहेगी, जो सोने की कीमतों को प्रभावित कर सकते हैं:

    • यूएस नॉन-फार्म पेरोल (US Non-Farm Payroll): ये अमेरिकी अर्थव्यवस्था में रोजगार सृजन का एक महत्वपूर्ण संकेतक है.

 

    • एडीपी रोजगार डेटा (ADP Employment Data): ये भी अमेरिकी रोजगार बाजार की स्थिति को दर्शाता है.

 

    • आरबीआई की मौद्रिक नीति का ऐलान (1 अक्टूबर, 2025): भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति भी घरेलू बाजार में सोने की मांग और कीमतों पर अप्रत्यक्ष रूप से असर डाल सकती है.

 

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