Last Updated on September 23, 2025 9:33, AM by Pawan
Trump Visa Policy: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पेशेवरों की अमेरिका में एंट्री का रास्ता कई गुना महंगा कर दिया। उन्होंने एच-1बी वीजा (H-1B) वीजा की फीस $1 लाख यानी करीब ₹88 लाख कर दी है। हालांकि अब सामने आ रहा है कि डॉक्टरों को यह झटका नहीं लग सकता है। व्हाइट हाउस ने सोमवार को कहा कि एच-1बी वीजा की $1 लाख फीस से डॉक्टर्स को राहत दी जा सकती है। व्हाइट हाउस ने ये बातें तब कहीं, जब वहां की कुछ बड़ी मेडिकल बॉडी ने इसके खतरे बताए कि अगर ऐसा हुआ तो अमेरिकी गांवों में समस्या हो जाएगा जोकि पहले से ही डॉक्टर्स की कमी से जूझ रहा है।
अस्पतालों के लिए एच-1बी वीजा प्रोग्राम काफी अहम है। इसके जरिए अमेरिका के गांवों में डॉक्टर्स की नियुक्ति की जाती है। कुछ तो ऐसे गांव हैं, जहां डॉक्टर्स की काफी किल्लत है। अब इन्हें एच-1बी वीजा की $1 लाख फीस से राहत की संभावना पर वहां हॉस्पिटल चलाने वाली एचसीए हेल्थकेयर के शेयर 1.4% उछल पड़े। टीनेट हेल्थकेयर के भी शेयर 3% उछल पड़े।
अमेरिका के लिए क्यों हो जाएगी दिक्कत?
अमेरिका की हेल्थ केयर कंपनियां एच-1बी प्रोग्राम के जरिए मेडिकल रेजिडेंट्स और अन्य फिजिशियन्स को स्पांसर करती हैं। अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन प्रेसिडेंट और मिशिगन में सिर और गर्दन के सर्जन बॉबी मुक्कामला का कहना है कि इंटरनेशनल मेडिकल ग्रेजुएट्स यानी कि विदेशी मूल के डॉक्टर्स अमेरिकी हेल्थ सिस्टम के अहम हिस्सा हैं। हेल्थ रिसर्च ग्रुप केएफएफ ने अमेरिकी सरकार के आंकड़ों को कंपाइल किया तो सामने आया कि 7.6 करोड़ से अधिक अमेरिकी ऐसे स्थानों पर रहते हैं, जहां अमेरिकी सरकार का मानना है कि प्राइमरी केयर डॉक्टर्स की किल्लत है। अब अगर एच-1बी वीजा की फीस डॉक्टर्स के लिए भी बढ़ाई जाती है तो मेडिकल सिस्टम्स की लागत तेजी से बढ़ सकती है।
कौन-कौन हैं टॉप स्पांसर्स?
यूएस सिटिजनशिप एंड इमिग्रेशन सर्विस के केंद्रीय आंकड़ों के मुताबिक मायो क्लिनिक (Mayo Clinic), क्लीवलैंड क्लिनिक (Cleveland Clinic) और सेंट जूड चिल्ड्रन्स रिसर्च हॉस्पिटल (St Jude Children’s Research Hospital) जैसी हाई-प्रोफाइल हेल्थ सिस्टम्स एच-1बी वीजा के टॉप स्पांसर्स में से हैं यानी ये लोग बाहर से डॉक्टर्स को बुलाने में आगे हैं। न्यूज एजेंसी ब्लूमबर्ग को भेजे गए मेल में व्हाइट हाउस के प्रवक्ता टेलर रोजर्स ने कहा कि एच-1बी वीजा की $1 लाख की फीस से फिजिशियन्स और मेडिकल रेजिडेंट्स को राहत दी जा सकती है।
