Last Updated on September 2, 2025 16:01, PM by Khushi Verma
Stock Market: वैश्विक चुनौतियों के बाद भी भारत का इक्विटी मार्केट मजबूत रहेगा. इसकी वजह घरेलू निवेशकों की अधिक भागीदारी और अमेरिकी टैरिफ का न्यूनतम प्रभाव होना है. यह जानकारी मंगलवार को जारी एक रिपोर्ट में दी गई. HSBC Global Investment रिसर्च की रिपोर्ट में भारत के प्रति ‘न्यूट्रल’ रुख जारी रखा गया है. हालांकि इसमें यह भी कहा गया है कि भारतीय बाजारों के लिए नौ में से पांच रिस्क फैक्टर्स में सुधार हो रहा है.
क्यों टैरिफ का नहीं पड़ेगा असर?
रिसर्च फर्म ने आगे कहा, “टैरिफ से मार्केट डिरेल नहीं होगा, क्योंकि इसका लिस्टेड कंपनियों की आय पर सीधा प्रभाव बहुत कम है.” रिपोर्ट में बताया गया कि बीएसई 500 कंपनियों में से 4 प्रतिशत से भी कम कंपनियां अमेरिकी निर्यात पर निर्भर हैं. वहीं, फार्मास्युटिकल क्षेत्र को टैरिफ से छूट दी गई है, जिससे आय जोखिम कम हो गया है.
कंज्म्पशन की संभावनाएं बेहतर
ब्रोकरेज ने कहा कि सरकारी कर प्रोत्साहन और मुद्रास्फीति में कमी के बीच उपभोग की संभावनाएं बेहतर हो रही हैं. साथ ही, यह भी कहा कि अधिक सुधार के लिए वेतन वृद्धि में भी तेजी आनी चाहिए. बयान में कहा गया, “हालांकि हम इक्विटी को आगे बढ़ाने वाले कुछ कारकों में सुधार देख रहे हैं, लेकिन हमें लगता है कि निकट भविष्य में इसमें वृद्धि की संभावना अभी भी सीमित है.”
एचएसबीसी के अनुसार, 2025 में आय वृद्धि घटकर 8-9 प्रतिशत रहने की उम्मीद है, हालांकि कैलेंडर वर्ष 2025 के लिए आय वृद्धि अनुमान 11 प्रतिशत है. ब्रोकरेज ने कहा कि जुलाई में घरेलू म्यूचुअल फंडों में सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) के माध्यम से रिकॉर्ड निवेश हुआ. यह भारतीय बाजारों के लिए सबसे मजबूत सहायक कारक है और इस कारण विदेशी निवेश कम होने पर भी बाजार मजबूत बने हुए हैं.
एचएसबीसी का अनुमान है कि भारतीय और चीनी दोनों बाजार एक साथ अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं, क्योंकि दोनों ही घरेलू निवेशकों के चलते ज्यादा परफॉर्म कर रहे हैं और विदेशी संस्थानों की सीमित भागीदारी है.
