भारत और अमेरिका के बीच बढ़ते टैरिफ विवाद के बीच ONGC चेयरमैन अरुण कुमार सिंह ने कहा है कि कंपनी रूस से तेल खरीदने के लिए पूरी तरह तैयार है. उन्होंने AGM में साफ किया कि जब तक भारत सरकार से कोई आधिकारिक निर्देश नहीं आता, ONGC रूसी तेल की हर बूंद खरीदने के लिए तैयार है.
टैरिफ टेंशन पर नज़र
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में भारत के एक्सपोर्ट पर टैरिफ को 25% से बढ़ाकर 50% कर दिया है. इसका कारण भारत का रूस से लगातार तेल खरीदना बताया जा रहा है. हालांकि, अरुण कुमार सिंह का कहना है कि उन्हें नहीं लगता कि यह टैरिफ टेंशन ज्यादा लंबा चलेगा. कंपनी किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयार है.
तेल आयात बढ़ाने की तैयारी
रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय रिफाइनर सितंबर से रूसी तेल की खरीद 10-20% तक बढ़ाने की योजना बना रहे हैं. यानी भारत अगस्त की तुलना में रोज़ाना 1.5-1.6 मिलियन बैरल की बजाय करीब 1.65-1.9 मिलियन बैरल तेल खरीद सकता है. ट्रेडर्स का कहना है कि रूस में रिफाइनरी आउटेज की वजह से एक्सपोर्ट के लिए ज्यादा तेल उपलब्ध है.
रूसी तेल क्यों है फायदेमंद?
2022 में यूक्रेन युद्ध के बाद जब पश्चिमी देशों ने रूस पर पाबंदी लगाई, तो भारत ने बड़ी मात्रा में रूसी तेल खरीदना शुरू किया. 2024 तक भारत की तेल जरूरतों का लगभग 40% हिस्सा रूस से पूरा हो रहा था. सितंबर डिलीवरी के लिए रूस उरल्स क्रूड को $2-3 प्रति बैरल सस्ता दे रहा है, जबकि अगस्त में यह डिस्काउंट $1.5 प्रति बैरल था. यानी भारतीय रिफाइनर्स के लिए रूसी तेल अब भी सबसे सस्ता विकल्प है.
भारत का रुख
भारत सरकार का रुख साफ है कि वह कच्चे तेल की खरीद पर किसी भी तरह का कठोर फैसला नहीं लेगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कूटनीतिक बातचीत के जरिए टैरिफ विवाद सुलझाने की कोशिश कर रहे हैं. हाल ही में उनकी रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात भी इसी दिशा में देखी जा रही है.
