Last Updated on August 27, 2025 16:00, PM by Khushi Verma
HAL Defence Deal: भारत का स्वदेशी लड़ाकू विमान कार्यक्रम लगातार गति पकड़ रहा है. हाल ही में केंद्र सरकार ने 62,000 करोड़ रुपये की डील को मंजूरी दी है जिसके तहत वायुसेना को 97 और LCA तेजस Mark 1A लड़ाकू विमान मिलेंगे. इसके तुरंत बाद अब भारत अमेरिकी कंपनी जनरल इलेक्ट्रिक (GE) के साथ लगभग 1 अरब डॉलर (करीब 8,300 करोड़ रुपये) की नई डील साइन करने के करीब है. इस समझौते के तहत भारत को 113 और GE-404 इंजन मिलेंगे, जो इन नए विमानों के लिए बेहद अहम होंगे.
212 इंजनों की पूरी जरूरत पूरी होगी
हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) पहले ही 83 LCA तेजस Mark 1A विमानों के लिए GE के साथ 99 इंजनों का कॉन्ट्रैक्ट कर चुका है. अब जब 97 और विमानों की खरीद को मंजूरी मिल चुकी है, तो इसके लिए 113 अतिरिक्त इंजनों की ज़रूरत होगी. दोनों कॉन्ट्रैक्ट्स को मिलाकर HAL को कुल 212 इंजन एक साथ मिल जाएंगे. इससे HAL को इंजनों की सप्लाई में किसी तरह की देरी नहीं होगी और उत्पादन प्रक्रिया बिना रुकावट के जारी रह सकेगी.
तय समय पर डिलीवरी का लक्ष्य
HAL ने योजना बनाई है कि पहले 83 विमान 2029-30 तक वायुसेना को सौंप दिए जाएंगे. इसके बाद 97 विमानों की दूसरी खेप 2033-34 तक वायुसेना को मिल जाएगी. इसके लिए GE ने हर महीने दो इंजन सप्लाई करने का आश्वासन दिया है, जिससे तेजस प्रोग्राम का उत्पादन शेड्यूल सुरक्षित रह सकेगा.
GE-414 इंजन पर भी बातचीत
तेजस Mark 1A के अलावा भारत LCA Mark 2 और एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (AMCA) पर भी काम कर रहा है. इन दोनों प्रोजेक्ट्स के लिए भारत को करीब 200 GE-414 इंजन चाहिए होंगे. इसके लिए लगभग 1.5 अरब डॉलर की डील पर बातचीत चल रही है, जिसमें 80 प्रतिशत तक ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी (ToT) शामिल होगा. इसमें 162 इंजन LCA Mark 2 के लिए और 10 इंजन AMCA प्रोटोटाइप के लिए होंगे.
मिग-21 को मिलेगी विदाई
इन प्रोजेक्ट्स के चलते भारतीय वायुसेना को आखिरकार अपने पुराने MiG-21 लड़ाकू विमानों को रिप्लेस किया जाएगा. सरकार ने पहले ही इन विमानों को चरणबद्ध तरीके से हटाने का निर्णय लिया है. तेजस और आने वाले नए स्वदेशी लड़ाकू विमान इन्हें रिप्लेस करेंगे, जिससे वायुसेना की ऑपरेशनल क्षमता बढ़ेगी और सुरक्षा का स्तर और मजबूत होगा.
आत्मनिर्भर भारत की ओर बड़ा कदम
रक्षा मंत्रालय और वायुसेना मुख्यालय इस पूरे स्वदेशी प्रोग्राम को पूरी तरह समर्थन दे रहे हैं. तेजस प्रोजेक्ट से न केवल भारत की तकनीकी क्षमता बढ़ेगी, बल्कि इससे देशभर की छोटी और मध्यम रक्षा कंपनियों (SMEs) को भी बड़ा बिजनेस मिलेगा. यह प्रोजेक्ट ‘मेक इन इंडिया’ और आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है.
स्वदेशी इंजन प्रोजेक्ट पर भी काम
भारत अब सिर्फ विदेशी इंजनों पर निर्भर नहीं रहना चाहता. इसी कड़ी में भारत ने फ्रांस की Safran कंपनी के साथ मिलकर अपना खुद का स्वदेशी फाइटर जेट इंजन बनाने की योजना शुरू की है. इससे आने वाले समय में भारत पूरी तरह आत्मनिर्भर हो सकेगा और वैश्विक स्तर पर रक्षा क्षेत्र में अपनी पकड़ मजबूत करेगा.
कुल मिलाकर, तेजस Mark 1A और उससे आगे के स्वदेशी लड़ाकू विमान प्रोजेक्ट्स भारत की रक्षा तैयारी को नई ऊंचाई देंगे. इंजन सप्लाई की यह डील HAL को समय पर उत्पादन करने में मदद करेगी और भारत को धीरे-धीरे विदेशी तकनीक पर निर्भरता से छुटकारा दिलाएगी
