अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) का कहना है कि दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएं- अमेरिका और चीन ‘शानदार रिश्ते बनाएंगे।’ हालांकि, उन्होंने चेतावनी दी कि अगर वह चाहे तो अपने ‘तुरूप के इक्कों'(incredible cards) का इस्तेमाल करके चीन को बर्बाद कर सकते हैं।
ट्रंप ने चीन की रेयर अर्थ (Rare Earth) पॉलिसी पर भी टिप्पणी की है। उन्होंने कहा कि चीन अगर अमेरिका को मैग्नेट (Magnets) सप्लाई करना बंद करता है, तो अमेरिका को उन पर 200% टैरिफ (Tariff) लगाना पड़ सकता है।
ट्रंप के विकल्प और अमेरिका की स्थिति
ओवल ऑफिस (Oval Office) में दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति ली जे म्योंग (Lee Jae Myung) के साथ द्विपक्षीय बैठक से पहले ट्रंप ने कहा कि इस ट्रेड (Trade) विवाद में अमेरिका की स्थिति चीन की तुलना में मजबूत है।
उन्होंने कहा, ‘हम चीन के साथ शानदार रिश्ता बनाएंगे… उनके पास कुछ विकल्प हैं। हमारे पास अद्भुत विकल्प हैं, लेकिन मैं उनका इस्तेमाल नहीं करना चाहता। अगर मैं उनका इस्तेमाल करूंगा, तो वह चीन को बर्बाद कर देगा।’ हालांकि, ट्रंप ने यह संकेत नहीं दिया कि चीन के खिलाफ उनका ‘विकल्प’ आर्थिक है या राजनीतिक या कोई अन्य फैक्टर।
चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से बातचीत
ट्रंप ने यह भी कहा कि उन्होंने हाल ही में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग (Xi Jinping) से बातचीत की है और वह जल्द ही चीन का दौरा भी कर सकते हैं। उन्होंने कहा, ‘हम शायद इस साल या उसके बाद चीन जाएंगे।’ पिछले महीने राष्ट्रपति शी ने ट्रंप को आमंत्रित किया था।
व्यापारिक शांति और टैरिफ पॉलिसी
12 अगस्त को अमेरिका और चीन ने अपनी व्यापारिक शांति (Trade Truce) को 90 दिनों के लिए बढ़ाया है, ताकि वार्ता के लिए और समय मिल सके। ट्रंप ने अपने दूसरे कार्यकाल में सभी चीनी वस्तुओं (Chinese goods) पर टैरिफ बढ़ाकर अप्रैल में 145% तक पहुंचा दिया था। लेकिन, बाद में अधिकांश आयात पर इसे 30% कर दिया।
इसके जवाब में चीन ने अमेरिकी उत्पादों (US products) पर 10% टैरिफ बनाए रखा। अप्रैल में चीन ने अपनी प्रतिक्रिया में रेयर अर्थ (Rare Earth) के निर्यात पर कड़े प्रतिबंध लगाए। इसके बाद अमेरिका और ट्रंप के रुख में नरमी देखने को मिली।
चीन को आयात बढ़ाने की सलाह
अमेरिकी ट्रेजरी सेक्रेटरी (US Treasury Secretary) स्कॉट बेसेंट (Scott Bessent) ने बताया कि प्रतिबंधित देशों के साथ चीन का तेल व्यापार (Oil trade) भी वार्ता में विवाद का एक बिंदु है। उन्होंने स्वीडन में वार्ता के दौरान चीन के ईरानी (Iranian) और रूसी (Russian) तेल आयात को मुख्य विवाद बताया।
बेसेंट ने कहा कि अमेरिका चाहता है कि चीन दुनिया की मैन्युफैक्चरिंग शक्ति (Manufacturing powerhouse) के रूप में अपने दबदबे को कम करे और वैश्विक आयातक (Global importer) के रूप में अपनी भूमिका बढ़ाए।