India-China: अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा भारत पर एक के बाद कई टैरिफ के ऐलान के बाद भारत भी अपनी कूटनीति में बदलाव कर रहा है। विदेश मंत्री जयशंकर रूस में पुतिन से मिले फिर चीन के विदेश मंत्री भारत आए और प्रधानमंत्री 29 अगस्त को चीन की यात्रा पर भी जाने वाले हैं। साल 2020 में गलवान में हुए भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच झड़प के बाद भारतीय प्रधानमंत्री की यह पहली चीनी यात्रा होगी। इससे ये अनुमान लगाया जा रहा है कि अमेरिका के लगातार बढ़ते टैरिफ दवाब के बीच ये देश आपस में समझौता कर उसके असर को कम करने की जुगत में है।
हाल के दिनों में दूर हुए है भारत-चीन के गिले शिकवे?
भारत और चीन के बीच संबंधों में पिछले एक साल से लगातार सुधार देखने को मिल रहा है। जैफरीज (Jefferies) जैसी ब्रोकरेज फर्मों ने भी इस बात को माना है कि दोनों देशों के बीच कूटनीतिक और आर्थिक स्तर पर महत्वपूर्ण बदलाव हो रहे हैं। यह सुधार दोनों देशों के बीच कोविड-19 से पहले के सामान्य संबंधों की ओर लौटने की इच्छा को दर्शाता है। इस सकारात्मक बदलाव से भारत को इलेक्ट्रॉनिक्स प्रोडक्शन बढ़ाने और उर्वरकों व दुर्लभ खनिजों की सप्लाई को बेहतर करने में मदद मिल सकती है।
रिश्तों में सुधार की ये है पूरी टाइमलाइन
पिछले एक साल में दोनों देशों के संबंधों में कई महत्वपूर्ण मोड़ आए हैं, जो इस सुधार की प्रक्रिया को दिखाते है। जून 2024 में भारत ने प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) योजनाओं पर काम कर रहे चीनी तकनीशियनों के लिए वीजा नियमों में ढील दी। इसके बाद जुलाई में आए एक आर्थिक सर्वे में व्यापारिक संबंधों को सुधारने और सप्लाई-चेन इंटीग्रेशन का समर्थन किया गया था।
अक्टूबर 2024 में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच पांच सालों में पहली बार द्विपक्षीय बातचीत हुई, जो एक बड़ी कूटनीतिक सफलता थी। ऐसे ही जनवरी 2025 में पांच साल के अंतराल के बाद सीधी हवाई सेवाओं को फिर से शुरू करने के लिए शुरुआती समझौता हुआ।
बाधाओं के बावजूद जारी रही बातचीत
अप्रैल 2025 में धार्मिक कैलाश मानसरोवर यात्रा को फिर से शुरू किया गया, जो सीमावर्ती क्षेत्रों में प्रतिबंधों में ढील का संकेत था। इसी महीने चीन ने यह भी बताया कि उसने कुछ ही महीनों में भारतीयों को 85,000 वीजा जारी किए हैं। हालांकि, मई में रिश्तों में थोड़ी खटास तब आई जब चीन ने कथित तौर पर भारत के साथ सीमा विवाद के दौरान पाकिस्तान को रडार और सैटेलाइट की मदद दी थी। इसके बावजूद, उच्च-स्तरीय बातचीत जारी रही। जून में भारत के रक्षा मंत्री और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठक में भाग लेने चीन गए थे।
जुलाई में फॉक्सकॉन ने तकनीक हस्तांतरण से जुड़ी चिंताओं के कारण भारत से लगभग 300 चीनी इंजीनियरों को वापस बुला लिया था, जिससे व्यापारिक संबंधों पर थोड़ा असर पड़ा। हालांकि, अगस्त में चीनी विदेश मंत्री वांग यी की भारत यात्रा ने रिश्तों में सकारात्मकता पर जोर दिया। इस यात्रा के दौरान विवादित सीमावर्ती क्षेत्रों पर चर्चा हुई और चीन ने भारत को दुर्लभ पृथ्वी खनिजों के निर्यात पर लगी पाबंदियां भी हटा लीं, जिससे दोनों देशों के बीच संबंधों में सुधार के संकेत और मजबूत हुए।