Last Updated on August 7, 2025 20:08, PM by Pawan
EPFO vs NPS: भारत में रिटायरमेंट के लिए दो बचत योजनाएं काफी लोकप्रिय हैं- नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) और कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO)। दोनों का मकसद रिटायरमेंट के बाद नियमित आय देना है। लेकिन, इनका स्ट्रक्चर, निवेश तरीका, पात्रता और पेंशन मिलने के तरीके में बड़ा अंतर है।
आइए जानते हैं कि NPS और EPFO में मुख्य अंतर क्या है और आपके लिए कौन-सी स्कीम बेस्ट रहेगी।
कौन कर सकता है निवेश?
EPFO के तहत वह कर्मचारी अनिवार्य रूप से आता है जिसकी बेसिक सैलरी ₹15,000 या उससे कम हो। हालांकि, इससे अधिक वेतन पाने वाले कर्मचारी भी स्वेच्छा से EPF में योगदान कर सकते हैं, जैसा कि अधिकांश कॉर्पोरेट सेक्टर में होता है। इसके तहत कंपनी और कर्मचारी- दोनों का योगदान अनिवार्य होता है।
1 सितंबर 2014 के बाद जिन लोगों ने नौकरी शुरू की और जिनकी बेसिक सैलरी ₹15,000 से अधिक है, वे Employees’ Pension Scheme (EPS) के लिए पात्र नहीं होते। ऐसे मामलों में पूरा नियोक्ता योगदान केवल EPF में ही जाता है। हालांकि, कुछ मामले इसके अपवाद भी हो सकते हैं।
इसके उलट, NPS पूरी तरह स्वैच्छिक है। इसे भारत का कोई भी नागरिक, यहां तक कि Overseas Citizen of India (OCI) भी 70 साल की उम्र तक जॉइन कर सकता है। कंपनियां अपने कर्मचारियों को Corporate NPS के तहत यह विकल्प देती हैं।
कौन कितना करता है योगदान?
पहलू | EPFO | NPS |
कर्मचारी का योगदान |
सैलरी का 12% EPF में |
स्वैच्छिक; सालाना ₹1,000 न्यूनतम |
नियोक्ता का योगदान | कुल 12%: 3.67% EPF, 8.33% EPS |
स्वैच्छिक; कर्मचारी और नियोक्ता दोनों योगदान कर सकते हैं |
सरकार का योगदान | EPS में 1.16% | नहीं होता |
EPFO vs NPS: कितनी मिलती है टैक्स छूट?
EPFO और NPS दोनों में कर्मचारी को अपने योगदान पर टैक्स छूट मिलती है। EPFO में यह छूट Section 80C के तहत मिलती है, जबकि NPS में 80C के साथ-साथ अतिरिक्त ₹50,000 की छूट Section 80CCD(1B) के तहत भी मिलती है। कुल मिलाकर NPS में कर्मचारी को ₹2 लाख तक टैक्स बेनिफिट मिल सकता है।
वहीं, नियोक्ता के योगदान पर टैक्स छूट की एक साझा सीमा है। EPF, NPS और Superannuation- तीनों को मिलाकर यदि नियोक्ता सालाना ₹7.5 लाख से ज्यादा योगदान करता है, तो अतिरिक्त राशि टैक्सेबल मानी जाती है। यह लिमिट पुरानी और नई दोनों टैक्स व्यवस्थाओं में लागू होती है।
कहां निवेश किया जाता है आपका पैसा?
EPFO का लगभग 90% पैसा गवर्नमेंट बॉन्ड्स और डेट इंस्ट्रूमेंट्स में लगता है। सिर्फ 10% हिस्सा इक्विटी में जाता है, वह भी एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ETF) के जरिए। वहीं, NPS की बात करें, तो इसमें निवेश के लिए दो विकल्प मिलता है।
- Auto Choice : उम्र के हिसाब से इक्विटी, डेट और सरकारी बॉन्ड्स में निवेश का अनुपात तय होता है।
- Active Choice: निवेशक खुद तय कर सकता है कि कितना पैसा कहां लगाना है। अधिकतम 75% तक इक्विटी और 100% तक डेट में निवेश की छूट है।
रिटर्न और पेंशन की का कैलकुलेशन
EPF ने वित्त वर्ष 2001-02 से औसतन 8.65% सालाना रिटर्न दिया है। EPS के तहत पेंशन एक फिक्स्ड फॉर्मूला से तय होती है।
पेंशन = (पेंशन योग्य वेतन × सेवा वर्ष) ÷ 70
इसमें अधिकतम पेंशन ₹7,500 प्रति माह ही है, क्योंकि यह ₹15,000 वेतन सीमा पर आधारित है।
वहीं NPS पूरी तरह बाजार आधारित है। सरकारी स्कीम में इसका औसत रिटर्न 9.5% रहा है और मध्यम जोखिम वाली स्कीम (Moderate Lifecycle Fund) में यह 11% तक है। NPS में रिटायरमेंट के समय कुल कॉर्पस का कम से कम 40% एन्युटी खरीदने में लगाना अनिवार्य होता है। इससे हर महीने पेंशन मिलती है।
एक उदाहरण से समझिए
अगर कोई कर्मचारी ₹50,000 मासिक वेतन पर 1995 से 2024 तक EPFO या NPS में योगदान करता है, तो रिटायरमेंट के समय आंकड़े कुछ इस तरह होंगे।
मापदंड | EPFO | NPS @ 9.5% | |
एकमुश्त कॉर्पस | ₹1.84 करोड़ (EPF) | ₹2.23 करोड़ | ₹2.99 करोड़ |
मासिक पेंशन / एन्युटी | ₹3,933 (EPS) | ₹50,352 (बिना ROP) / ₹45,181 (ROP सहित) |
₹66,582 (बिना ROP) / ₹59,744 (ROP सहित) |
ROP (Return of Purchase Price) का मतलब है कि अगर निवेशक की मृत्यु हो जाए, तो खरीदी गई एन्युटी रकम उसके नॉमिनी को वापस मिल जाती है।
ध्यान देने वाली बात यह है कि EPF कॉर्पस पर अगर उतना ही रिटर्न (9.5%) मिलता, तो कुल राशि ₹2.11 करोड़ हो जाती। लेकिन EPS पेंशन में कोई फर्क नहीं आता, क्योंकि वह सिर्फ वेतन और सेवा अवधि पर निर्भर करती है न कि निवेश के रिटर्न पर।
EPFO vs NPS: आपके लिए क्या है बेस्ट?
EPFO एक स्थिर और सुरक्षित पेंशन मॉडल है, जिसमें सरकार की गारंटी है लेकिन सीमित लाभ है। वहीं, NPS ज्यादा लचीलापन और संभावित रूप से ऊंचा रिटर्न देता है, लेकिन यह बाजार के प्रदर्शन पर निर्भर करता है।
जो लोग जोखिम सहन कर सकते हैं और लंबी अवधि में अधिक रिटर्न चाहते हैं, उनके लिए NPS एक बेहतर विकल्प हो सकता है। लेकिन जिनकी प्राथमिकता स्थिर और सुनिश्चित पेंशन है, वे EPFO की राह पर रह सकते हैं।
