यूपीआई का इस्तेमाल आज छोटी बड़ी हर खरीदारी के लिए हो रहा है। आपकी जेब में अगर पैसे नहीं है, लेकिन मोबाइल फोन है तो आपको चिंता करने की जरूरत नहीं है। सब्जी से लेकर लग्जरी आइटम का पेमेंट यूपीआई से हो रहा है। सबसे बड़ी बात है कि यह फ्री है। इसका मतलब है कि इससे पेमेंट करने के लिए आपको कोई फीस नहीं चुकानी पड़ती है। सवाल है कि क्या अब यह फ्री नहीं रह जाएगा?
RBI के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने 6 अगस्त को साफ कर दिया कि यूपीआई के पीछे जो सिस्टम काम करता है वह हमेशा फ्री नहीं रह सकता। अगस्त की मॉनेटरी पॉलिसी पेश करने के दौरान उन्होंने कहा कि असल मसला यह तय करना है कि UPI पेमेंट पर आने वाली कॉस्ट कौन चुका रहा है। उन्होंने कहा कि इस बारे में फैसला सरकार को लेना है।
उन्होंने कहा, “मैंने कभी यह नहीं कहा कि यह (यूपीआई) हमेशा फ्री बना रहेगा। उन्होंने मर्चेंट डिस्काउंट रेट (MDR) या इस तरह के चार्ज से जुड़े एक सवाल के जवाब में यह बात कही।” उनसे पूछा गया था कि क्या एमडीआर का बोझ ग्राहकों पर डाला जा सकता है? पहले एमडीआर के बारे में जान लेना जरूरी है। यह वह फीस है जो पेमेंट प्रोसेसिंग कंपनियों की तरफ से उन दुकानों या दूसरे बिजनेस पर लगाई जाती है जो क्रेडिट या डेबिट कार्ड से पेमेंट लेते हैं।
इस बारे में स्थिति साफ करते हुए मल्होत्रा ने कहा कि मेरा मानना है कि यह (यूपीआई) हमेशा फ्री नहीं रह सकता। उन्होंने कहा, “कोई इस पर आने वाली कॉस्ट उठा रहा है। सरकार सब्सिडी दे रही है। लेकिन, कहीं न कहीं कॉस्ट चुकाई जा रही है।” उन्होंने कहा कि उन्होंने कभी यह नहीं कहा कि यूजर को यह कॉस्ट चुकानी होगी। इसके बजाय वह इस मामले में सरकार के रुख से तालमेल बैठाते नजर आए। दरअसल, इस मामले में प्राइसिंग और सब्सिडी के मसले पर फाइनेंस मिनिस्ट्री को फैसला लेना है।
आरबीआई गवर्नर की यह टिप्पणी ऐसे वक्त आई है जब खबरों में कहा गया है कि कुछ बैंकों ने पेमेंट एग्रीगेटर्स की तरफ से रूट होने वाले यूपीआई पेमेंट पर चार्ज लगाना शुरू कर दिया है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि अगर यूपीआई ट्रांजेक्शन पर फीस लगती है तो इसके इस्तेमाल पर असर पड़ सकता है।