Last Updated on July 31, 2025 17:02, PM by
भारतीय शेयर बाजार में गुरुवार का दिन भारी उतार-चढ़ाव वाला रहा. एक तरफ महीने के वायदा सौदों की एक्सपायरी का दबाव था, तो दूसरी तरफ अमेरिका से आई 25% तक के भारी-भरकम टैरिफ की टेंशन. इस दोहरी मार के चलते सेंसेक्स 296 अंक गिरकर 81,185 पर और निफ्टी 86 अंक फिसलकर 24,768 पर बंद हुआ. इस टेंशन का असर रुपए पर भी दिखा और वो 17 पैसे कमजोर होकर 87.60 प्रति डॉलर पर पहुंच गया.
US का ‘लगान’, जेम्स एंड ज्वेलरी परेशान
अमेरिका के इस टैरिफ अटैक का सबसे सीधा और बड़ा असर भारत की जेम्स एंड ज्वेलरी इंडस्ट्री पर पड़ने की आशंका है. अमेरिका इस इंडस्ट्री के लिए सबसे बड़ा बाजार है. भारत अपने कुल जेम्स और ज्वेलरी एक्सपोर्ट का लगभग 30% हिस्सा, यानी करीब 10 बिलियन डॉलर का माल, अकेले अमेरिका को बेचता है.
सूरत के पॉलिश्ड डायमंड के लिए तो अमेरिका ही सबसे बड़ा खरीदार है. यह इंडस्ट्री पहले से ही 2023-24 में एक्सपोर्ट में 14% की गिरावट झेल रही है, ऐसे में यह 25% का टैरिफ इसे और बड़े दबाव में डाल सकता है.
US की टैरिफ फाइल, मुश्किल में टेक्सटाइल?
ज्वेलरी की तरह ही भारत का टेक्सटाइल सेक्टर भी अमेरिका पर बहुत ज्यादा निर्भर है. भारत अपने कुल टेक्सटाइल एक्सपोर्ट का करीब 30% अमेरिका को ही करता है. 2023-24 में यह आंकड़ा 10 बिलियन डॉलर से ज्यादा का था. हालांकि, अमेरिका के टेक्सटाइल इंपोर्ट में भारत की हिस्सेदारी सिर्फ 6% है, जबकि चीन की 21% और वियतनाम की 19% है. अमेरिका अगर भारत पर 25% टैरिफ लगाता है तो भारतीय कपड़े और महंगे हो जाएंगे, जिससे इंडस्ट्री की मुश्किलें बढ़ सकती हैं.
इन सेक्टर्स और स्टॉक्स पर पड़ सकता है सीधा असर
टैरिफ का असर सिर्फ इन दो सेक्टर तक ही सीमित नहीं रहेगा. कई और सेक्टर भी इसकी चपेट में आ सकते हैं, जिनकी कमाई का बड़ा हिस्सा अमेरिकी बाजार से आता है. चलिए समझते हैं सेक्टरवाइज स्टॉक्स पर अमेरिकी टैरिफ का असर.
| सेक्टर | कंपनियां |
|---|---|
| टेक्सटाइल | वेलस्पन लिविंग, केपीआर मिल, गोकलदास एक्सपोर्ट्स |
| IT और सॉफ्टवेयर | टीसीएस, इंफोसिस, विप्रो, एचसीएल टेक |
| फार्मा | डॉ. रेड्डीज, ल्यूपिन, सन फार्मा, सिप्ला |
| ऑटो और ऑटो पार्ट्स | बालकृष्ण इंडस्ट्रीज, CEAT, संवर्धन मदरसन, बॉश |
| केमिकल्स और ज्वेलरी | आरती इंडस्ट्रीज, एसआरएफ, टाइटन, कल्याण ज्वेलर्स |
इन सेक्टर्स पर रहेगा टैरिफ का असर ‘बेअसर’
इस मुश्किल घड़ी में भी कुछ सेक्टर ऐसे हैं जिन्हें “टैरिफ-प्रूफ” माना जा रहा है, क्योंकि उनका कारोबार सीधे तौर पर घरेलू बाजार पर निर्भर है.
फाइनेंशियल्स- एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, एसबीआई.
घरेलू FMCG- हिंदुस्तान यूनिलीवर, आईटीसी, डाबर.
टेलीकॉम- भारती एयरटेल, रिलायंस इंडस्ट्रीज.
डिफेंस और एयरोस्पेस- एचएएल, बीईएल, बीडीएल (मेक इन इंडिया के चलते).
इंफ्रास्ट्रक्चर- केएनआर कंस्ट्रक्शन, जीआर इंफ्रा (सरकारी घरेलू कॉन्ट्रैक्ट्स पर निर्भर).
कुल मिलाकर, अमेरिकी टैरिफ की तलवार ने बाजार में एक अनिश्चितता का माहौल बना दिया है. निवेशकों को सलाह दी जाती है कि वे एक्सपोर्ट पर निर्भर कंपनियों में सावधानी बरतें और घरेलू मांग वाली कंपनियों पर फोकस करें.
US टैरिफ टेंशन पर अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)
सवाल 1: अमेरिका की टैरिफ टेंशन की वजह से भारतीय बाजार पर क्या असर पड़ रहा है?
जवाब: अमेरिका की तरफ से 25% टैरिफ लगाने की खबर से भारतीय शेयर बाजार में घबराहट का माहौल है. इसी वजह से सेंसेक्स और निफ्टी में गिरावट देखी गई और भारतीय रुपया भी डॉलर के मुकाबले कमजोर हुआ. डर यह है कि इससे भारत से होने वाले एक्सपोर्ट पर बुरा असर पड़ सकता है.
सवाल 2: टैरिफ लगने की खबर से कौन से सेक्टर सबसे ज्यादा प्रभावित हो सकते हैं?
जवाब: इस फैसले का सबसे ज्यादा असर उन सेक्टर्स पर पड़ने की आशंका है जो अपनी कमाई के लिए अमेरिकी एक्सपोर्ट पर बहुत ज्यादा निर्भर हैं. इनमें मुख्य रूप से जेम्स एंड ज्वेलरी और टेक्सटाइल सेक्टर शामिल हैं. इनके अलावा आईटी, फार्मा और ऑटो कंपोनेंट्स जैसे सेक्टर्स पर भी दबाव देखने को मिल सकता है.
सवाल 3: क्या कुछ ऐसे सेक्टर भी हैं जिन पर इस टैरिफ का असर नहीं पड़ेगा?
जवाब: हां, कई ऐसे सेक्टर हैं जिन्हें “टैरिफ-प्रूफ” माना जा रहा है क्योंकि उनका कारोबार मुख्य रूप से घरेलू बाजार पर चलता है. इनमें फाइनेंशियल्स (बैंक), घरेलू FMCG, टेलीकॉम, डिफेंस और इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे सेक्टर शामिल हैं. इन पर अमेरिका की इस पॉलिसी का सीधा असर पड़ने की आशंका न के बराबर है.
सवाल 4: मेरे पास IT (जैसे TCS) या ज्वेलरी (जैसे Titan) के शेयर हैं, मुझे क्यों चिंता करनी चाहिए
जवाब: इन कंपनियों की कमाई का एक बड़ा हिस्सा अमेरिका से आता है. टैरिफ लगने से अमेरिका में इनके प्रोडक्ट्स या सर्विसेज की मांग कम हो सकती है या फिर कंपनियों को अपने मुनाफे में कटौती करनी पड़ सकती है. इसी आशंका के चलते इन स्टॉक्स पर दबाव देखा जा सकता है.
सवाल 5: एक निवेशक के तौर पर इस स्थिति में क्या करना चाहिए?
जवाब: ऐसी स्थिति में निवेशकों को सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है. बेहतर होगा कि एक्सपोर्ट पर बहुत ज्यादा निर्भर कंपनियों में नया निवेश करने से पहले पूरी जांच-पड़ताल कर लें. वहीं, घरेलू मांग पर आधारित कंपनियों पर फोकस करना एक सुरक्षित रणनीति हो सकती है. किसी भी फैसले से पहले अपने वित्तीय सलाहकार से सलाह करना सबसे सही रहेगा.