Last Updated on July 26, 2025 14:42, PM by
दिल्ली के सफदरजंग इलाके में एक ऐसा ढाबा चल रहा है जिसे जोमैटो (Zomato) और स्विगी (Swiggy) पर खोजें तो नहीं मिलेगा या इसका कोई बड़ा विज्ञापन भी कहीं नहीं दिखाई देगा कि रास्ते में चलते हुए नजर पड़ जाए। यहां बैठने की भी जगह नहीं है। हालांकि फिर भी इसका कारोबार ₹100 करोड़ से अधिक का है। रजिंदर दा ढाबा (Rajinder Da Dhaba) पर हर दिन भारी भीड़ होती है और इसकी वजह सिर्फ एक ही है- स्वाद। यहां पर सबसे अधिक मशहूर है चिकन करी और गलौटी कबाब। हालांकि इसकी शुरुआत बहुत छोटी हुई थी लेकिन धीरे-धीरे इसके स्वाद का ऐसा खुमार लोगों पर चढ़ा कि अब यह ₹100 करोड़ से अधिक का बिजनेस बन चुका है।
करीब 57 साल पहले छोटे स्टॉल से हुई थी शुरुआत
रजिंदर दा ढाबा की शुरुआत वर्ष 1968 में हुई थी। एक छोटे से स्टॉल से शुरू हुई यह जगह अब दिल्ली में खाने-पीने के नक्शे पर एक खास पहचान बन चुकी है। रजिंदर ने सफदरजंग बाजार में ₹500 में एक छोटा फूड स्टॉल खोला था। रजिंदर के पास कोई निवेशक नहीं था और न ही कोई विज्ञापन। धीरे-धीरे स्वाद की वजह से ग्राहकों के आने का सिलसिला बना रहा। हाल ही में बिजनेस स्टोरीज साझा करने वाले कंटेंट क्रिएटर रॉकी सग्गू कैपिटल ने इसे लेकर जानकारी साझा की कि कैसे छोटा सा बिजनेस करोड़ों का बन गया। रॉकी का वीडियो में कहना है कि ना इंवेस्टर्स, ना ऐड, ना जोमैटो; फिर भी सिर्फ बटर चिकन और गलौटी कबाब बेचकर करोड़ों का एंपायर खड़ा कर दिया। रजिंदर दा ढाबा अब तीन फॉरमेट- रजिंदर दा ढाबा (Rajinder Da Dhaba), रजिंदर एक्सप्रेस (Rajinder Xpress) और आरडीएक्स रेस्टो एंड बार (RDX Resto & Bar) में काम कर रहा है।
ऐसे बढ़ाया बिजनेस
रजिंदर दा ढाबा ने मार्केट सर्वे की जगह सीधे ग्राहकों से फीडबैक लिया और खुद को आगे बढ़ाया। उनकी सफलता सिर्फ रेसिपी ही नहीं बल्कि किस तरह से कारोबार चलाया, उसके भी वजह से है। बैचेज में मैरिनेट करने से लेकर पहले से ही ग्रेवी तैयार रखकर बिना स्वाद से समझौता किए उन्होंने स्पीड बढ़ाई। किचन को सिस्टम की तरह चलाया, लेकिन फूड को फास्ट फूड नहीं बनने दिया। पहले ऑर्डर टाइम 20 मिनट का जो अब सिर्फ 2-3 मिनट रह गया है। यहां बैठने की जगह नहीं है बल्कि उन्होंने ‘कार डाइनिंग’ का खास अनुभव ही तैयार कर दिया। रॉकी के मुताबिक रजिंदर दा ढाबा ने शुरुआत सिर्फ दो डिशेज- बटर चिकन और गलौटी रोल्स से की और सफल होने के बाद धीरे-धीरे विस्तार किया। एक-एक डिश को परफेक्ट करते चले गए।