Uncategorized

TCS की वैल्यू इस हफ्ते ₹56,279 करोड़ कम हुई: HUL की ₹42,363 करोड़ बढ़ी, टॉप-10 कंपनियों में 8 का मार्केट कैप ₹2.08 लाख करोड गिरा

TCS की वैल्यू इस हफ्ते ₹56,279 करोड़ कम हुई:  HUL की ₹42,363 करोड़ बढ़ी, टॉप-10 कंपनियों में 8 का मार्केट कैप ₹2.08 लाख करोड गिरा

Last Updated on July 12, 2025 15:53, PM by

 

  • Hindi News
  • Business
  • TCS AIRTEL| Top 10 Companies Market Cap July 2025 List; HUL Bajaj Finance

मुंबई9 मिनट पहले

  • कॉपी लिंक

मार्केट वैल्यूएशन के लिहाज से देश की टॉप-10 कंपनियों में से 8 की वैल्यू इस हफ्ते के कारोबार में 2,07,502 करोड़ रुपए (₹2.08 लाख करोड़) कम हुई है। इस दौरान टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज टॉप लूजर रही। कंपनी की मार्केट वैल्यू हफ्तेभर में 56,279 करोड़ कम होकर 11.81 लाख करोड़ रुपए हो गई है।

 

टेलीकॉम कंपनी एयरटेल की वैल्यू इस दौरान ₹54,484 करोड़ कम होकर ₹10.96 लाख करोड़ रुपए रह गई है। इसके अलाव, रिलायंस, इंफोसिस, ICICI बैंक ,LIC, HDFC बैंक और स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) की वैल्यू भी गिरी है।

HUL की वैल्यू 42,363 करोड़ रुपए बढ़ी

वहीं, देश की सबसे बड़ी FMCG कंपनियों में से एक हिंदुस्तान यूनिलीवर की वैल्यू इस दौरान 42,363 करोड़ रुपए बढ़कर ₹5.92 लाख करोड़ पर पहुंच गया है। वहीं, बजाज फाइनेंस की वैल्यू भी 5,034 करोड़ रुपए बढ़कर ₹5.80 लाख करोड़ रुपए हो गया है।

मार्केट कैपिटलाइजेशन क्या होता है?

मार्केट कैप किसी भी कंपनी के टोटल आउटस्टैंडिंग शेयरों यानी वे सभी शेयर जो फिलहाल उसके शेयरहोल्डर्स के पास हैं, उनकी वैल्यू है। इसका कैलकुलेशन कंपनी के जारी शेयरों की कुल संख्या को उनकी कीमत से गुणा करके किया जाता है।

इसे एक उदाहरण से समझें…

मान लीजिए… कंपनी ‘A’ के 1 करोड़ शेयर मार्केट में लोगों ने खरीद रखे हैं। अगर एक शेयर की कीमत 20 रुपए है, तो कंपनी की मार्केट वैल्यू 1 करोड़ x 20 यानी 20 करोड़ रुपए होगी।

कंपनियों की मार्केट वैल्यू शेयर की कीमतों के बढ़ने या घटने के चलते बढ़ता-घटता है। इसके और कई कारण हैं…

1. मार्केट कैप के बढ़ने का क्या मतलब है?

  • शेयर की कीमत- बाजार में शेयरों का मांग बढ़ने से कॉम्पिटिशन होता है, इसके चलते कीमतें बढ़ती है।
  • मजबूत वित्तीय प्रदर्शन: कंपनी की कमाई, रेवेन्यू, मुनाफा जैसी चीजों में बढ़ोतरी निवेशकों को अट्रैक्ट करती है।
  • पॉजिटीव न्यूज या इवेंट- प्रोडक्ट लॉन्च, अधिग्रहण, नया कॉन्ट्रैक्ट या रेगुलेटरी अप्रूवल से शेयरों की डिमांड बढ़ती है।
  • मार्केट सेंटिमेंट- बुलिश मार्केट ट्रेंड या सेक्टर स्पेसिफिक उम्मीद जैसे IT सेक्टर में तेजी का अनुमान निवेशकों के आकर्षित करता है।
  • हाई प्राइस पर शेयर जारी करना: यदि कोई कंपनी हाई प्राइस पर नए शेयर जारी करती है, तो वैल्यू में कमी आए बिना मार्केट कैप बढ़ जाता है।

2. मार्केट कैप के घटने का क्या मतलब है?

  • शेयर प्राइस में गिरावट- मांग में कमी के चलते शेयरों की प्राइस गिरती है, इसका सीधा असर मार्केट कैप पर होता है।
  • खराब नतीजे- किसी वित्त वर्ष या तिमाही में कमाई-रेवेन्यू घटने, कर्ज बढ़ने या घाटा होने से निवेशक शेयर बेचते हैं।
  • नेगेटिव न्यूज- स्कैंडल, कानूनी कार्रवाई, प्रोडक्ट फेल्योर या लीडरशिप से जुड़ी कोई भी नकारात्मक खबर निवेश को कम करता है।
  • इकोनॉमी या मार्केट में गिरावट- मंदी, ब्याज दरों में बढ़ोतरी और बेयरिश यानी नीचे जाता मार्केट शेयरों को गिरा सकता है।
  • शेयर बायबैक या डीलिस्टिंग: यदि कोई कंपनी शेयरों को वापस खरीदती है या प्राइवेट हो जाती है, तो आउटस्टैंडिंग शेयरों की संख्या कम हो जाती है।
  • इंडस्ट्री चैलेंज: रेगुलेटरी चेंज, टेक्नोलॉजिकल डिसरप्शन या किसी सेक्टर की घटती डिमांड के चलते शेयरों की मांग घटती है।

3. मार्केट कैप के उतार-चढ़ाव का कंपनी और निवेशकों पर क्या प्रभाव पड़ता है?

कंपनी पर असर : बड़ा मार्केट कैप कंपनी को मार्केट से फंड जुटाने, लोन लेने या अन्य कंपनी एक्वायर करने में मदद करता है। वहीं, छोटे या कम मार्केट कैप से कंपनी की फाइनेंशियल डिसीजन लेने की क्षमता कम हो जाती है।

निवेशकों पर असर : मार्केट कैप बढ़ने से निवेशकों को डायरेक्ट फायदा होता है। क्योंकि उनके शेयरों की कीमत बढ़ जाती है। वही, गिरावट से नुकसान हो सकता है, जिससे निवेशक शेयर बेचने का फैसला ले सकते हैं।

उदाहरण: अगर TCS का मार्केट कैप ₹12.43 लाख करोड़ से बढ़ता है, तो निवेशकों की संपत्ति बढ़ेगी, और कंपनी को भविष्य में निवेश के लिए ज्यादा पूंजी मिल सकती है। लेकिन अगर मार्केट कैप गिरता है तो इसका नुकसान हो सकता है।

4. मार्केट कैप कैसे काम आता है?

  • मार्केट कैप का इस्तेमाल कंपनियों के शेयरों को कैटेगराइज करने के लिए किया जाता है, ताकि निवेशकों को उनके रिस्क प्रोफाइल के अनुसार उन्हें चुनने में मदद मिले। जैसे लार्ज कैप, मिड कैप और स्मॉल कैप कंपनियां।
  • किसी कंपनी के शेयर में मुनाफा मिलेगा या नहीं इसका अनुमान कई फैक्टर्स को देख कर लगाया जाता है। इनमें से एक फैक्टर मार्केट कैप भी होता है। निवेशक मार्केट कैप को देखकर पता लगा सकते हैं कि कंपनी कितनी बड़ी है।
  • कंपनी का मार्केट कैप जितना ज्यादा होता है, उसे उतनी ही अच्छी कंपनी माना जाता है। डिमांड और सप्लाई के अनुसार स्टॉक की कीमतें बढ़ती और घटती है। इसलिए मार्केट कैप उस कंपनी की पब्लिक पर्सीवड वैल्यू होती है।

शुक्रवार को सेंसेक्स 690 अंक गिरकर 82,500 पर बंद हुआ

हफ्ते के आखिरी कारोबारी दिन शुक्रवार (11 जुलाई) को सेंसेक्स 690 अंक गिरकर 82,500 के स्तर पर बंद हुआ। निफ्टी में 205 अंक की गिरावट रही, ये 25,150 के स्तर पर बंद हुआ।

सेंसेक्स के 30 शेयरों में से 23 शेयरों में गिरावट और 7 में तेजी रही। TCS, महिंद्रा और टाटा मोटर्स सहित कुल 14 शेयरों में 1% से 3.5% तक की गिरावट रही। हिंदुस्तान यूनिलीवर 4.65% ऊपर बंद हुआ।

निफ्टी के 50 शेयरों में से 39 में गिरावट और 11 में तेजी रही। NSE के IT में 1.78%, ऑटो में 1.77%, मीडिया में 1.60% और रियल्टी शेयर में 1.21% की गिरावट रही। वहीं, FMCG, फार्मा और हेल्थकेयर में तेजी चढ़कर बंद हु

Source link

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Most Popular

To Top