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इनसाइडर्स और प्रमोटर्स ने एक महीने में बेच दिए 95,000 करोड़ के शेयर, आखिर क्या होने वाला है?

इनसाइडर्स और प्रमोटर्स ने एक महीने में बेच दिए 95,000 करोड़ के शेयर, आखिर क्या होने वाला है?

Last Updated on July 5, 2025 12:43, PM by

शेयर मार्केट में आजकल जमकर मुनाफावसूली चल रही है। पिछले एक महीने में ही प्रमोटर्स और इनसाइडर्स 95,000 करोड़ रुपये के शेयर बेच चुके हैं। यह बिकवाली कई बड़ी कंपनियों में देखी गई है। इनमें भारती एयरटेल, बजाज फिनसर्व, हिंदुस्तान जिंक, एशियन पेंट्स और इंडिगो शामिल हैं।

पिछले एक महीने में प्रमोटर्स और इनसाइडर्स ने जमकर बिकवाली की है।
 

नई दिल्ली: शेयर बाजार में एक अजीब ट्रेंड देखने को मिल रहा है। पिछले एक महीने में इनसाइडर्स और प्रमोटर्स ने 95,000 करोड़ रुपये यानी करीब 11 अरब डॉलर के शेयर बेच डाले हैं। इतनी बड़ी संख्या में शेयरों की बिक्री से निवेशकों के मन में सवाल उठ रहे हैं। क्या यह मुनाफावसूली है या जानकार लोग बाजार के पीक पर पहुंचने पर भाग रहे हैं? या फिर भारत का बाजार इतना मजबूत हो गया है कि वह इस बिकवाली को संभाल सकता है?कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज ने एक रिपोर्ट में कहा, “मई-जून 2025 में भारतीय बाजार में तेजी के बाद, कंपनियों के अंदर के लोगों और मालिकों ने अपनी हिस्सेदारी बेची है। पिछले एक महीने में उन्होंने 95,000 करोड़ रुपये (11 अरब डॉलर) के शेयर बेचे हैं।” यह बिकवाली कई बड़ी कंपनियों में देखी गई है। भारती एयरटेल, बजाज फिनसर्व, हिंदुस्तान जिंक, एशियन पेंट्स और इंडिगो जैसी कंपनियों में बड़ी संख्या में शेयर बेचे गए हैं।

 

किस-किसने बेची हिस्सेदारी

विशाल मेगा मार्ट के मालिक समायत सर्विसेज ने 10,220 करोड़ रुपये के शेयर बेचे। बजाज फिनसर्व में 3,504 करोड़ रुपये और 2,002 करोड़ रुपये के शेयर अलग-अलग सौदों में बेचे गए। सिर्फ कंपनियों के मालिक ही नहीं, बल्कि बड़े निवेशक भी शेयर बेच रहे हैं। BAT ने ITC में अपनी 1.5 अरब डॉलर की हिस्सेदारी बेच दी। रिलायंस इंडस्ट्रीज ने एशियन पेंट्स में अपनी 1.1 अरब डॉलर की हिस्सेदारी बेच दी। इससे पता चलता है कि बाजार में एक बड़ा बदलाव हो रहा है।

BSE-200 इंडेक्स में प्राइवेट प्रमोटर होल्डिंग मार्च 2021 में 43% थी, जो मार्च 2025 तिमाही में घटकर 37% हो गई है। इसका मतलब है कि कंपनियों के मालिक धीरे-धीरे अपनी हिस्सेदारी कम कर रहे हैं। वहीं घरेलू निवेशकों ने खूब खरीदारी की है। म्यूचुअल फंड, बैंकिंग और वित्तीय संस्थानों और खुदरा निवेशकों की संयुक्त हिस्सेदारी 430 बेसिस पॉइंट्स बढ़कर 25.2% हो गई है, जो पहले 20.9% थी। इसका मतलब है कि भारतीय निवेशक बाजार में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं।

FPI ने घटाई हिस्सेदारी

विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (FPI) भी इस बदलाव से अछूते नहीं रहे हैं। उनकी हिस्सेदारी भी 24.4% से घटकर 20.2% हो गई है। इसका मतलब है कि विदेशी निवेशक भी थोड़ा सतर्क हो गए हैं। कोटक म्यूचुअल फंड के एग्जीक्यूटिव वाइस प्रेसिडेंट और फंड मैनेजर अतुल भोले का कहना है, “बढ़ी हुई आपूर्ति को पूंजी बाजारों में आने वाले प्रवाह को अवशोषित करने के लिए एक स्थिर शक्ति के रूप में देखा जा सकता है। यह मनी मैनेजर्स को निवेश करने के लिए वृद्धिशील रास्ते प्रदान कर रहा है और कुल मिलाकर मूल्य स्तरों को नियंत्रण में रख रहा है।”

इसका मतलब है कि बाजार में शेयरों की बिक्री से कीमतों को स्थिर रखने में मदद मिल रही है। लेकिन भोले बिकवाली को लेकर एक अलग नजरिया रखते हैं। उनका कहना है, “प्रमोटरों द्वारा अपनी हिस्सेदारी कम करना एक स्पष्ट संकेत है कि वे अपने शेयरों को उचित मूल्यांकन से अधिक पर कारोबार करते हुए मान रहे हैं। हालांकि इसे निवेश मूल्यांकन में एक अतिरिक्त इनपुट के रूप में देखने की जरूरत है। भविष्य की क्षमता के बारे में निर्णय लेने में त्रुटियां हो सकती हैं या प्रमोटरों के अलग-अलग लक्ष्य भी हो सकते हैं जैसे कि विविधीकरण या अन्य उपयोग जैसे कि दान, रियल एस्टेट खरीदना आदि।”

बिकवाली की वजह

TRUST म्यूचुअल फंड के सीआईओ मिहिर वोरा इस सप्लाई प्रेशर को बाजार की एक स्वाभाविक घटना मानते हैं। उनका कहना है, “जब बाजार में तेजी आती है तो कुछ सप्लाई प्रेशर तो होता ही है – और यह कुछ हद तक स्वस्थ भी है। यह फ्री फ्लोट में सुधार करता है और उन नामों में मूल्य खोज लाता है जो कसकर आयोजित किए गए थे। कई मामलों में, हमने देखा है कि इन बिक्री को घरेलू म्यूचुअल फंड और बीमा कंपनियों से मजबूत संस्थागत मांग के साथ पूरा किया गया है।”

निवेशकों के लिए सबसे जरूरी सवाल यह है कि इस बिकवाली के पीछे क्या इरादा है। वोरा कहते हैं, “हम बिक्री के पीछे के इरादे को देखते हैं। अगर प्रमोटर व्यवसाय में वापस निवेश करने के लिए मुद्रीकरण कर रहे हैं, या यदि पीई/वीसी फंड लंबी होल्डिंग अवधि के बाद बाहर निकल रहे हैं, तो यह चिंता की बात नहीं है। हम उन स्थितियों से बचते हैं जहां निकास को शासन संबंधी रेड फ्लैग या परिचालन तनाव के संकेतों के साथ जोड़ा जाता है।”

दिल प्रकाश

लेखक के बारे मेंदिल प्रकाशदिल प्रकाश नवभारतटाइम्स.कॉम में असिस्टेंट न्यूज एडिटर हैं। उन्हें पत्रकारिता में 17 साल से अधिक अनुभव है। उन्होंने पत्रकारिता की शुरुआत साल 2006 में यूनीवार्ता से की थी। शुरुआत में खेल डेस्क के लिए काम किया। इस दौरान राष्ट्रमंडल खेल (2010), हॉकी वर्ल्ड कप, आईपीएल और वनडे वर्ल्ड कप (2011) को कवर किया। फिर नेशनल ब्यूरो से जुड़े और पार्लियामेंट से लेकर राजनीति, डिफेंस और पर्यावरण जैसे कई विषयों पर रिपोर्टिंग की। इस दौरान तीन साल तक बीबीसी में भी आउटसाइड कंट्रीब्यूटर रहे। यूनीवार्ता में दस साल तक काम करने के बाद साल 2016 में बिजनस स्टैंडर्ड से जुड़े। फरवरी 2020 में ऑनलाइन का रुख किया।.

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