Last Updated on July 3, 2025 17:54, PM by
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में हुई रक्षा अधिग्रहण परिषद (DAC) की बैठक में 1.05 लाख करोड़ रुपये के 10 प्रस्तावों को हरी झंडी दे दी गई. इस फैसले का सबसे बड़ा और क्रांतिकारी पहलू यह है कि यह पूरी खरीद ‘Buy (Indian-IDDM)’ कैटेगरी के तहत होगी. तो क्या है यह Buy (Indian-IDDM) कैटेगरी और इस महा-डील से हमारी सेना को कौन-कौन से ‘ब्रह्मास्त्र’ मिलने वाले हैं?
क्या है यह ‘महा-डील’? समझिए A to Z
कुल बजट लगभग ₹1.05 लाख करोड़
प्रस्तावों की संख्या 10
सबसे खास बात Buy (Indian-IDDM) कैटेगरी
मंजूरी किसने दी रक्षा अधिग्रहण परिषद (DAC)
क्या है ‘Buy (Indian-IDDM)’ का मतलब?
यह इस पूरी डील की आत्मा है. इसका मतलब है – Indigenously Designed, Developed, and Manufactured. आसान भाषा में कहें तो, ये सभी हथियार और सिस्टम भारत में ही डिजाइन होंगे, भारत में ही डेवलप होंगे और भारत में ही बनेंगे. इसका सीधा मतलब है कि यह ₹1.05 लाख करोड़ का पूरा पैसा विदेशी कंपनियों की जेब में न जाकर, भारत की अपनी सरकारी और प्राइवेट कंपनियों के पास जाएगा. यह ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान को एक रॉकेट बूस्ट देने जैसा है.
सेना को क्या मिलेगा? 10 स्वदेशी ‘ब्रह्मास्त्र’ की लिस्ट
इस महा-डील से हमारी तीनों सेनाओं (थल सेना, नौसेना और वायु सेना) की ताकत में जबरदस्त इजाफा होगा. देखिए क्या-क्या आ रहा है:
1. थल सेना की जमीनी ताकत (For the Army):
आर्मर्ड रिकवरी व्हीकल (ARV): ये एक तरह से टैंकों और बख्तरबंद गाड़ियों की ‘एंबुलेंस’ होती हैं. अगर युद्ध के मैदान में कोई टैंक खराब हो जाए या फंस जाए, तो ये गाड़ियां उसे सुरक्षित निकालकर वापस लाती हैं.
2. नौसेना का समुद्री कवच (For the Navy):
माइन काउंटर मेजर वेसल (MCMV): इन जहाजों का काम दुश्मन द्वारा समुद्र में बिछाई गई बारूदी सुरंगों (Mines) को ढूंढकर नष्ट करना है, ताकि हमारे जहाज सुरक्षित रह सकें.
मूर्ड माइन्स (Moored Mines): यह भारत को खुद समुद्री रास्ते ब्लॉक करने की क्षमता देगा, ताकि दुश्मन के जहाज हमारे बंदरगाहों तक न पहुंच सकें.
सुपर रैपिड गन माउंट (SRGM): ये नौसेना के जहाजों पर लगने वाली बेहद तेज गति से फायर करने वाली तोपें हैं, जो दुश्मन के हवाई जहाज, ड्रोन और छोटी नावों को पलक झपकते ही नष्ट कर सकती हैं.
सबमर्सिबल ऑटोनॉमस वेसल: ये बिना इंसान के चलने वाली छोटी पनडुब्बियां हैं, जो पानी के नीचे खुफिया निगरानी और जासूसी का काम करेंगी.
3. तीनों सेनाओं के लिए ब्रह्मास्त्र (For All Three Services):
इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम: यह सिस्टम दुश्मन के रडार, कम्युनिकेशन और ड्रोन सिग्नल को जाम कर उन्हें अंधा और बहरा बना देगा.
सरफेस-टू-एयर मिसाइल (SAM): जमीन से हवा में मार करने वाली ये मिसाइलें दुश्मन के लड़ाकू विमानों, हेलीकॉप्टरों और मिसाइलों के लिए काल साबित होंगी और हमारे आसमान को एक अभेद्य किला बना देंगी.
इंटीग्रेटेड कॉमन इन्वेंटरी मैनेजमेंट सिस्टम: यह एक हाई-टेक लॉजिस्टिक्स सिस्टम है जो तीनों सेनाओं के हथियारों और स्पेयर पार्ट्स का हिसाब रखेगा, जिससे सप्लाई चेन बेहतर होगी और हर चीज समय पर मिलेगी.
इस फैसले के 3 सबसे बड़े मतलब
दुश्मनों को सीधा संदेश: यह फैसला चीन और पाकिस्तान जैसे पड़ोसियों के लिए एक स्पष्ट संदेश है कि भारत अब अपनी रक्षा के लिए किसी पर निर्भर नहीं है. हमारी अपनी इंडस्ट्री अब दुनिया के सबसे आधुनिक हथियार बनाने में सक्षम है.
अर्थव्यवस्था को बूस्ट: ₹1.05 लाख करोड़ का यह निवेश भारतीय रक्षा उद्योग में लाखों नौकरियां पैदा करेगा, नई तकनीक को बढ़ावा देगा और देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती देगा.
प्राइवेट सेक्टर के लिए सुनहरा मौका: इस फैसले से L&T, Tata Advanced Systems, Kalyani Group, और Adani Defence जैसी भारतीय प्राइवेट कंपनियों के लिए अवसरों का महासागर खुल गया है.
यह ऐतिहासिक फैसला सिर्फ हथियारों की खरीद नहीं, बल्कि भारत के एक रक्षा आयातक (Importer) से एक रक्षा निर्यातक (Exporter) बनने की दिशा में एक मील का पत्थर है