Last Updated on June 19, 2025 15:44, PM by
शेयर बाजार में मौजूद 20 से अधिक पब्लिक सेक्टर कंपनियों (PSUs) ने अब तक सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) के न्यूनतम पब्लिक शेयरहोल्डिंग के नियम का पालन नहीं किया है। SEBI के इस नियम के तहत शेयर बाजार में सूचीबद्ध होने वाली कंपनी में प्रमोटर की अधिकतम हिस्सेदारी 75% तक सीमित होनी चाहिए। वहीं बाकी 25 फीसदी हिस्सेदारी पब्लिक शेयरधारकों के पास होने चाहिए। SEBI इस नियम का पालन करने के लिए कंपनियों को 3 साल का समय देती है। हैरानी की बात यह है कि शेयर बाजार में कई ऐसी सरकारी कंपनियां हैं जो दशकों से लिस्टेड हैं, लेकिन फिर भी वो अब तक इस नियम का पालन नहीं कर पाई हैं।
क्या है देरी की वजह?
मार्केट एक्सपर्ट्स के मुताबिक, इसका मुख्य कारण सिक्योरिटीज कॉन्ट्रैक्ट्स (रेगुलेशन) रूल्स, 1957 की धारा 19(a) है, जो सरकार को इस नियम के पालन की समयसीमा बढ़ाने की इजाजत देती है। इसी प्रावधान के चलते सरकार इन PSUs को इस शर्त को पूरा करने की समयसीमा से राहत देती रही है।
भारतीय शेयर बाजार में कुल 103 सरकारी कंपनियां शेयर बाजार में लिस्टेड हैं। इनमें से करीब 20% कंपनियां अब भी इस न्यूनतम पब्लिक शेयरहोल्डिंग नियम का पालन नहीं कर सकी हैं।
किन-किन बड़ी कंपनियों ने अब तक नहीं किया पालन?
प्राइम डेटाबेस के आंकड़ों से पता चलता है कि जिन कंपनियों ने अब तक न्यूनतम पब्लिक शेयरहोल्डिंग के नियम का पालन नहीं किया है, उनमें भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC), MMTC, HMT, ITI, इंडियन रेलवे फाइनेंस कॉरपोरेशन (IRFC), मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स, मद्रास फर्टिलाइजर्स, न्यू इंडिया एश्योरेंस, मैंगलोर रिफाइनरी, SJVN और जनरल इंश्योरेंस कॉरपोरेशन जैसे जाने-माने नाम शामिल हैं।
इसके अलावा बैकिंग सेक्टर के भी इसमें कई बड़े नाम शामिल हैं। इनमें IDBI बैंक, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, पंजाब एंड सिंध बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक, यूको बैंक और बैंक ऑफ महाराष्ट्र शामिल हैं।
सरकार ने अगस्त 2026 तक दी राहत
सरकार ने जुलाई 2024 में इन PSUs कंपनियों के लिए न्यूनतम पब्लिक शेयरहोल्डिंग के नियम को पूरा करने समयसीमा 2 साल के लिए बढ़ाकर अगस्त 2026 कर दी थी, जबकि पहले यह समयसीमा 1 अगस्त 2024 को समाप्त होने वाली थी।
कुछ कंपनियों में अब भी 85% से अधिक सरकारी हिस्सेदारी
मद्रास फर्टिलाइजर्स, न्यू इंडिया एश्योरेंस, मैंगलोर रिफाइनरी, MMTC, ITI, HMT यूको बैंक, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया और IDBI बैंक जैसे कुछ सरकारी कंपनियों में 31 मार्च 2025 तक प्रमोटर की हिस्सेदारी 85 प्रतिशत से अधिक थी।
PSU कंपनियों के डीलिस्टिंग फ्रेमवर्क को सेबी की मंजूरी
इस बीच सेबी ने 18 जून को उन PSUs के लिए स्वैच्छिक डीलिस्टिंग के फ्रेमवर्क को मंजूरी दे दी है जिनमें सरकारी हिस्सेदारी 90% या उससे अधिक है। SEBI के चेयरमैन तुषार कांता पांडेय ने बताया कि इस फैसले में सिक्योरिटीज कॉन्ट्रैक्ट्स (रेगुलेशन) रूल्स के क्लॉज 19(a) का ध्यान रखा गया है, जो लगातार सूचीबद्ध रहने की शर्तों से जुड़ा है लेकिन PSUs के लिए यह अलग प्रावधान करता है।
उन्होंने कहा, “SCRR के 19(a) प्रावधान के तहत PSUs को न्यूनतम पब्लिक शेयरहोल्डिंग (MPS) नियमों में छूट दी जा सकती है। चूंकि इनमें प्रमोटर भारत सरकार होती है, इसलिए सरकार को यह छूट दी गई है कि वह MPS तक पहुंचने की समयसीमा बढ़ा सकती है।” जब उनसे उन PSUs के बारे में पूछा गया जो सालों से इस नियम का पालन नहीं कर पाई हैं, तो उन्होंने कहा, “PSUs में प्रमोटर भारत सरकार है, जो वास्तव में देश की जनता है। इस नजरिए से देखा जाए तो भारत के लोग ही इन कंपनियों के शेयरहोल्डर हैं।