Last Updated on June 18, 2025 16:02, PM by
डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट्स के एक्सपायरी के दिन बदलने जा रहे हैं। जल्द एनएसई में डेरिवेटिव्स सौदों की एक्सपायरी मंगलवार को होगी, जबकि बीएसई में गुरुवार को होगी। इसका मतलब है कि दोनों एक्सचेंजों के एक्सपायरी के दिन के बीच काफी फर्क होगा। सवाल है कि इसका क्या असर होगा? क्या इससे ट्रेडर्स को इनवेस्टमेंट स्ट्रेटेजी में किसी तरह का बदलाव करनी पड़ेगी?
यह बदलाव इस साल सितंबर से लागू होगा। सेबी के आदेश पर यह बदलाव हुआ है। मार्केट रेगुलेटर का कहना है कि इक्विटी डेरिवेटिव्स की एक्सपायरी हफ्ते में सिर्फ दो दिन होनी चाहिए। एक्सपर्ट्स का कहना है कि इस बदलाव से ट्रेडर्स को अपनी ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी में बदलाव करनी पड़ेगी। मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के चंदन तापड़िया ने कहा कि यह दोनों ही एक्सचेंजों के लिए फायदेमंद है।
उन्होंने कहा कि शॉर्ट टर्म ट्रेडर्स की दिलचस्पी एनएसई में होगी, जबकि पोजिशनल ट्रेडर्स को बीएसई में ज्यादा फायदा दिखेगा। यह बात ध्यान में रखना जरूरी है कि 31 अगस्त, 2025 को या इससे पहले एक्सपायर होने वाले कॉन्ट्रैक्टक्स के लिए मौजूदा शिड्यूल लागू होगा। इंडियाचार्ट्स के फाउंडर रोहित श्रीवास्तव ने कहा कि डेरिवेटिव स्ट्रेटेजी बनाने में एक्सपायरी के दिन की बड़ी भूमिका होती है। खासकर यह ऑप्शन बायर्स और सेलर्स के लिए यह काफी अहम है।
उन्होंने कहा कि ऑप्शन बायर्स हफ्ते के अंत में वैल्यू में गिरावट से बचने के लिए शुक्रवार तक एग्जिट करना चाहते हैं। इससे सोमवार और गुरुवार को डे-ट्रेडिंग वॉल्यूम बढ़ जाता है। यह स्ट्रक्चर इंट्राडे ट्रेडर्स के लिए फायदेमंद है। साथ ही उन लोगों के लिए भी फायदेमंद है जो ‘हीरो टू जीरो’ स्ट्रेटेजी का इस्तेमाल करते हैं। गुरुवार की एक्सपायरी से पोजीशनल ट्रेडर्स को ज्यादा फ्लेक्सिबिलिटी मिल जाएगा। वे हफ्ते के अंत में वैल्यू में गिरावट की चिंता किए बगैर ट्रेड्स कैरी कर सकेंगे।
इस बदलाव का असर बीएसई के लिए सीमित होगा। श्रीवास्तव ने कहा कि एनएसई में एक्सपायरी के दिन डे-ट्रेडिंग वाल्यूम बढ़ सकता है। जहां तक ब्रोकर्स की बात है तो उनका रेवेन्यू स्थिर रह सकता है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि बीएसई का मकसद इस बदलाव के पीछे अनुशासन लाना और एक्सपायरी डे पर स्पेकुलेशन को कम करना है।
