वेदांता समूह की जानी-मानी कंपनी हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड (HZL) ने अपने कारोबार को अगले स्तर पर ले जाने की बड़ी योजना की घोषणा की है. कंपनी अपने जिंक, सीसा और चांदी के उत्पादन की क्षमता को दोगुना करने के लिए लगभग 12,000 करोड़ रुपये का निवेश करेगी. यह निवेश देश में खनन और धातु उद्योग को नई दिशा देने वाला कदम माना जा रहा है.
मंगलवार को हुई निदेशक मंडल (बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स) की बैठक में यह फैसला लिया गया. कंपनी ने शेयर बाजार को सूचित किया है कि इस योजना के तहत हिंदुस्तान जिंक 250 किलो टन प्रति वर्ष (KTPA) तक की एकीकृत रिफाइंड धातु क्षमता विकसित करेगी. इसके साथ ही राजस्थान के देबारी क्षेत्र में एक नया 250 KTPA स्मेल्टर भी स्थापित किया जाएगा. इस पूरे विस्तार प्रोजेक्ट में सिर्फ स्मेल्टर नहीं, बल्कि खदानों और मिलों की क्षमता बढ़ाने पर भी जोर रहेगा. यानी, HZL अपने उत्पादन के हर स्तर पर सुधार लाने की तैयारी कर चुकी है.
परियोजना की समय-सीमा और फंडिंग
कंपनी ने बताया कि इस परियोजना को 36 महीनों यानी तीन साल में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है. वित्तपोषण के लिए कंपनी अपने आंतरिक स्रोतों और बाहरी कर्ज दोनों का इस्तेमाल करेगी. यानी यह प्रोजेक्ट कंपनी की मौजूदा वित्तीय स्थिति पर भी ज्यादा बोझ नहीं डालेगा.
कंपनी का क्या कहना है?
एचजेडएल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अरुण मिश्रा ने कहा कि हम जिंक, सीसा और चांदी के क्षेत्र में अपनी उत्पादन क्षमता को दोगुना करने के इस विकास प्रोजेक्ट की घोषणा करते हुए बेहद उत्साहित हैं. यह योजना न सिर्फ देश की बढ़ती मांग को पूरा करेगी, बल्कि भारत को जिंक के मामले में आत्मनिर्भर बनाने में भी योगदान देगी.
क्यों है यह विस्तार जरूरी?
भारत में औद्योगिक विकास के साथ-साथ इंफ्रास्ट्रक्चर, ऑटोमोबाइल, निर्माण और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे क्षेत्रों में जिंक और चांदी की मांग तेजी से बढ़ रही है. जिंक खासतौर पर स्टील को जंग से बचाने के लिए उपयोग होता है, वहीं चांदी का इस्तेमाल इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों, सोलर पैनल और गहनों में होता है. ऐसे में हिंदुस्तान जिंक का यह विस्तार न केवल कंपनी की लंबी अवधि की रणनीति का हिस्सा है, बल्कि यह भारत की खनिज आत्मनिर्भरता की दिशा में एक ठोस कदम भी है
