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भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती के बीच वैश्विक संकट ने बढ़ाई टेंशन, बाजार में लगाते हैं पैसा तो समझ लीजिए पूरी डीटेल | Zee Business

भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती के बीच वैश्विक संकट ने बढ़ाई टेंशन, बाजार में लगाते हैं पैसा तो समझ लीजिए पूरी डीटेल | Zee Business

Last Updated on June 16, 2025 11:41, AM by

 

जून 2025 की शुरुआत भारतीय शेयर बाजार के लिए मिली-जुली रही. एक ओर घरेलू अर्थव्यवस्था में सुधार, महंगाई में गिरावट और रिज़र्व बैंक की नीतिगत ढील ने बाजार को समर्थन दिया, वहीं दूसरी ओर अंतरराष्ट्रीय तनावों, खासकर इज़राइल-ईरान संघर्ष ने अचानक बिकवाली का माहौल बना दिया. इससे सेंसेक्स और निफ्टी में एक दिन में 1,000 अंकों तक की गिरावट देखी गई.

इज़राइल-ईरान संघर्ष का सीधा असर

मिडिल ईस्ट में छिड़े संघर्ष ने वैश्विक वित्तीय बाजारों को झटका दिया है. खासकर होरमुज जलडमरूमध्य में बढ़ते तनाव ने वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति पर गंभीर खतरा पैदा कर दिया है. यह जलडमरूमध्य वह रास्ता है जिससे दुनिया की करीब 20% तेल आपूर्ति गुजरती है. इस क्षेत्र में संकट बढ़ने से कच्चे तेल की कीमतें 12% तक उछल गईं, जिससे भारत जैसे आयात-निर्भर देशों के लिए महंगाई और चालू खाता घाटा (CAD) का खतरा गहराता जा रहा है.

भारत के लिए यह चिंता का विषय इसलिए है क्योंकि देश अपनी कुल तेल ज़रूरतों का लगभग 85% आयात करता है. तेल के महंगे होने से परिवहन, खाद्य और अन्य वस्तुओं की कीमतों में इजाफा तय है, जिससे खुदरा महंगाई पर दबाव बढ़ेगा और रिज़र्व बैंक के लिए ब्याज दरों को लेकर नई चुनौती खड़ी हो सकती है.

घरेलू आर्थिक ताकत बरकरार

ICICI Prudential Mutual Fund की रिपोर्ट के अनुसार, भारत की घरेलू अर्थव्यवस्था अभी भी मजबूत बनी हुई है. रियल एस्टेट, इंफ्रास्ट्रक्चर, आईटी और मेटल सेक्टरों ने मई में शानदार रिटर्न दिए हैं. RBI द्वारा नकदी बढ़ाने के लिए किए गए उपाय जैसे रेपो रेट में कटौती और कैश रिज़र्व रेशियो (CRR) में कमी—से बाजार में सकारात्मकता बनी रही.

इसके अलावा, भारत में फॉर्मल इकोनॉमी का दायरा बढ़ा है. UPI, GST और ई-इनवॉइसिंग जैसे डिजिटल उपायों से टैक्स कलेक्शन में वृद्धि और व्यापार में पारदर्शिता आई है, जो लॉन्ग टर्म में भारतीय अर्थव्यवस्था को मज़बूत बनाएगी.

क्या करें निवेशक?

हालांकि घरेलू मोर्चे पर स्थिति संतोषजनक है, लेकिन वैश्विक जोखिम जैसे अमेरिकी कर्ज संकट, व्यापार टैरिफ, मंदी की आशंका और भू-राजनीतिक तनाव से बाजार में अस्थिरता रह सकती है. ICICI प्रूडेंशियल की रिपोर्ट में कहा गया है कि लंबी अवधि के निवेशक इक्विटी में बने रहें लेकिन नई खरीदारी सोच-समझकर करें. मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में वैल्यूएशन काफी ऊंचा है, इसलिए निवेशक हाइब्रिड और मल्टी एसेट फंड्स की ओर रुख करें, जहां जोखिम का संतुलन बेहतर हो.

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