Last Updated on May 29, 2025 13:39, PM by Pawan
स्टॉक मार्केट में अप्रैल के निचले स्तर से शानदार रिकवरी आई है। कई स्टॉक्स की कीमतें अपने ऑल-टाइम हाई के करीब पहुंच गई हैं। स्पार्क एशिया इम्पैक्ट मैनेजर्स के एमडी और चीफ इनवेस्टमेंट अफसर (इक्विटी एसेट मैनेजमेंट) पी कृष्णनन का मानना है कि कई मामलों में मार्केट में यह तेजी गैर-जरूरी लगती है। उन्होंने कहा कि मार्केट में बुलबुला बना हुआ है, जिसे लो-क्वालिटी शेयरों से हवा मिल रही है। बाजार में उतारचढ़ाव की काफी ज्यादा संभावना है।
इंडिया में शेयरों की वैल्यूएशन एक बड़ा चैलेंज
उन्होंने कहा कि इंडिया में शेयरों की वैल्यूएशन (Valuations) और एसेट प्राइस एक चुनौती है। मार्केट में जिस तरह का फ्लो दिख रहा है, उससे ऐसा लगता है कि निवेशक यह मानने को तैयार नहीं है कि शेयरों की यह वैल्यूएशंस टिकने वाली नहीं है। दुनियाभर में कम इंटरेस्ट रेट्स की वजह से बीते 15 सालों में वैल्यूएशन बढ़ी है और अब इसके उलट स्थिति देखने को मिलेगी। जब तक वैल्यूएशन में बड़ी कमी नहीं आती मार्केट में बुलबुला बना रहेगा।
मार्केट में कंसॉलिडेशन जारी रहने की उम्मीद
आगे मार्केट की चाल के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा कि मार्केट में कंसॉलिडेशन जारी रहने की संभावना है। कुछ शेयरों का प्रदर्शन अच्छा रह सकता है। लेकिन कई पॉकेट्स में चीजें इनवेस्टर्स के हित में नहीं दिख रही। जहां अर्निंग्स ग्रोथ नहीं है या कम है, वहा एक्सिडेंट देखने को मिल सकते हैं। अगर नॉमिनल जीडीपी ग्रोथ के मुकाबले मार्केट में ज्यादा तेजी आती है तो इससे रिस्क बढ़ेगा। इसके संकेत दिख रहे हैं।
अमेरिकी बॉन्ड्स के साथ फर्क घट सकता है
कृष्णन का मानना है कि आगे आरबीआई इनफ्लेशन के अनुमान में बदलाव कर सकता है। ग्लोबल इकोनॉमी की ग्रोथ को लेकर बढ़ते रिस्क का असर पड़ेगा। हालांकि, इंडिया के लिए चीजें फेवरेबल दिख रही हैं। इंडिया में इंटरेस्ट रेट में कमी देखने को मिल सकती है। हालांकि, अमेरिकी और इंडियन बॉन्ड्स यील्ड के बीच फर्क और कम हो सकती है। अगर जीडीपी ग्रोथ की बात की जाए तो FY25 के मुकाबले हम FY26 में ज्याद ग्रोथ की उम्मीद नहीं कर सकते। हमें यह ध्यान में रखना होगा कि FY25 की ग्रोथ में संशोधन होगा।
घरेलू डिमांड पर निर्भर कंपनियों का आउटलुक बेहतर
उन्होंने पावर इक्विटमेंट सेक्टर के लिए आउटलुक अच्छा बताया। हालांकि, उन्होंने यह कहा कि हमें पावर सेक्टर में बड़े मौकों पर गौर करना होगा। हमें खुद को सिर्फ इक्विपमेंट स्पेस तक सीमित नहीं रखना होगा। उन्होंने घरेलू डिमांड पर निर्भर रहने वाली कंपनियों को अट्रैक्टिव बताया। उनका मानना है कि अभी थीम बेस्ड इनवेस्टमेंट करने का सही वक्त नहीं है।
