Last Updated on May 26, 2025 13:20, PM by Pawan
सोने में 26 मई को गिरावट दिखी। इसकी वजह अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के यूरोपीय यूनियन पर टैरिफ टालने के फैसले को माना जा रहा है। इससे निवेशकों की चिंता थोड़ी कम हुई है। घरेलू और विदेशी दोनों ही बाजारों में सोने में तेजी गिरावट देखने को मिली। कमोडिटी एक्सचेंज एमसीएक्स में गोल्ड फ्यूचर्स 11:39 बजे 656 रुपये यानी 0.68 फीसदी की गिरावट के साथ 95,765 रुपये प्रति 10 ग्राम चल रहा था। अंतरराष्ट्रीय बाजार में स्पॉट गोल्ड 0.3 फीसदी गिरकर 3,346 डॉलर प्रति 10 ग्राम था। यूएस गोल्ड फ्यूचर्स भी 0.6 फीसदी की कमजोरी के साथ 3,345.80 डॉलर प्रति औंस था।
ट्रंप ने यूरोप पर टैरिफ का फैसला टाला
कैपिटल डॉट कॉम की फाइनेंशियल मार्केट एनालिस्ट काइली रोड्डा ने कहा, “ईयू पर टैरिफ टलने के बाद मार्केट ने राहत की सांस ली है। इससे गोल्ड में नरमी दिख रही है।” ट्रंप ने 25 मई को यूरोप पर टैरिफ के लिए बातचीत की डेडलाइन 9 जुलाई तक के लिए बढ़ाने का ऐलान किया। दरअसल, ईयू के एग्जिक्यूटिव बॉडी के हेड ने कहा था कि अमेरिका के साथ डील की बातचीत के लिए उसे थोड़ा और समय चाहिए।
23 मई को 2 हफ्ते की उंचाई पर पहुंच गया था गोल्ड
23 मई को गोल्ड की कीमतें 2 फीसदी से ज्यादा उछाल के साथ दो हफ्ते की ऊंचाई पर पहुंच गई थी। एक्सपर्ट्स का कहना है कि गोल्ड में अब भी ट्रेड पॉजिटिव है। अमेरिका में टैरिफ को लेकर तस्वीर साफ नहीं होने का असर डॉलर पर पड़ेगा। इससे दुनिया में केंद्रीय बैंकों की दिलचस्पी गोल्ड में बढ़ेगी। 23 मई को गोल्ड में तेज उछाल की वजह आईफोन बनाने वाली कंपनी एपल के प्रोडक्ट्स पर 25 फीसदी टैरिफ लगाने का ट्रंप का ऐलान था। हालांकि, उन्होंने 25 मई को इस फैसले को वापस ले लिया।
डॉलर में कमजोरी से गोल्ड को मिल रहा सपोर्ट
डॉलर में कमजोरी जारी है। यह एक महीने के निचले स्तर पर पहुंच गया है। डॉलर में कमजोरी से विदेशी करेंसी में सोना खरीदना सस्ता हो जाता है। इससे सोने की चमक बढ़ती है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि लंबी अवधि में गोल्ड की चमक तेज बने रहने की उम्मीद है। ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी की वजह से गोल्ड आगे भी हेजिंग के लिए प्रमुख माध्यम बना रहेगा। कामा ज्वैलरी के एमडी कोलिन शाह ने कहा कि बीते हफ्ते गोल्ड में 3 फीसदी तेजी दिखी।
क्या आपको खरीदना चाहिए?
एक्सपर्ट्स का कहना है कि शॉर्ट टर्म में गोल्ड की कीमतों में उतारचढ़ाव बना रह सकता है। लेकिन, लंबी अवधि में इसका आउटलुक स्ट्रॉन्ग है। इनवेस्टर्स हर गिरावट का इस्तेमाल गोल्ड में निवेश के लिए कर सकते हैं। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, इनवेस्टमेंट पोर्टफोलियो में 10-15 फीसदी हिस्सेदारी गोल्ड की होनी चाहिए। इसस पोर्टपोलियो को डायवर्सिफिकेशन मिलता है। इससे शेयरों जैसे दूसरे एसेट क्लास में उतारचढ़ाव का कम असर पोर्टफोलियो पर पड़ता है।