Last Updated on May 18, 2025 7:51, AM by
टाटा संस की सबसे बड़ी मॉइनॉरिटी शेयरहोल्डर, शापूरजी पल्लोनजी ग्रुप (SP ग्रुप) ने 3.3 अरब डॉलर (लगभग 27,000 करोड़ रुपये) जुटाने के लिए एक स्ट्रक्चर्ड रिफाइनेंसिंग डील के लिए टर्मशीट पर हस्ताक्षर कर दिए हैं। यह जानकारी मामले से जुड़े सूत्रों ने दी है। इस रिफाइनेंसिंग डील को SP ग्रुप की टाटा संस में हिस्सेदारी, रियल एस्टेट एसेट्स और ऑयल एंड गैस से मिलने वाले कैश फ्लो के आधार पर किया जा रहा है।
यह सौदा जीरो कूपन नॉन-कन्वर्टिबल डिबेंचर (NCD) के रूप में स्ट्रक्चर किया गया है, जिसकी अवधि तीन साल होगी और इसकी यील्ड 18.5% से 19% के बीच रहने की उम्मीद है।
सूत्रों के मुताबिक, इस डील में दुनिया के कई बड़े क्रेडिट इनवेस्टर्स ने दिलचस्पी दिखाई है। इनमें फैलोरोन, सेरबेरस, एरेस मैनेजमेंट, PIMCO, ब्लैकरॉक और एडलवाइज अल्टरनेटिव्स जैसे नाम शामिल हैं। निवेश की न्यूनतम राशि 10 करोड़ रुपये प्रति PAN तय की गई है। सौदे से जुड़े आखिरी डॉक्यूमेंटशन. ड्यू डिलिजेंस प्रक्रिया के पूरा होने के बाद किया जाएगा।
टाटा संस में हिस्सेदारी गिरवी
सूत्रों ने बताया कि इस रिफाइनेंसिंग के लिए जो सबसे अहम कोलैटरल रखा गया है, उसमें स्टर्लिंग इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन प्राइवेट लिमिटेड (SICPL) के जरिए टाटा संस में 9.185 प्रतिशत हिस्सेदारी शामिल है, जिसकी अनुमानित कीमत करीब 18.6 अरब डॉलर आंकी जा रही है। इसके साथ ही SP ग्रुप की रियल एस्टेट इकाई SPRE के शेयर भी गिरवी रखे गए हैं, जिनकी अनुमानित वैल्यू 3.2 अरब डॉलर बताई जा रही है।
ऑयल एंड गैस बिजनेस से कैश फ्लो भी शामिल
सौदे की शर्तों के अनुसार, ऑयल और गैस कारोबार से आने वाली कैश फ्लो को भी अंतरिम रीपमेंट में योगदान देने के लिए सुरक्षित किया गया है। अनुमान है कि अगले 24 महीनों में 1.3 अरब डॉलर की अंतरिम मॉनेटाइजेशन होगी, जो NCD की कुल वैल्यू का लगभग 35-40% हिस्सा होगा। ये भुगतान मुख्य रूप से रियल एस्टेट और ऑयल एंड गैस वर्टिकल से आएंगे।
कर्ज के मुकाबले संपत्ति का अनुपात बेहद सुरक्षित
सौदे का मूल्यांकन करने वाले निवेशकों में से एक के अनुसार, डील की लोन-टू-वैल्यू (LTV) रेशियो मात्र 14.7% आंकी गई है, जो निवेशकों को काफी कोलैटरल सिक्योरिटी मुहैया करती है।