Last Updated on May 11, 2025 10:42, AM by
भारत सरकार ने भारत फोर्ज और महिंद्रा एंड महिंद्रा के डिफेंस डिवीजन सहित डिफेंस इक्विपमेंट बनाने वाले कई प्राइवेट मैन्युफैक्चरर्स से संपर्क किया है। उन्हें विशिष्ट गोला-बारूद और इक्विपमेंट्स का उत्पादन बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट में सूत्रों का हवाला देते हुए कहा गया है कि प्राइवेट वेंडर्स को एंटी ड्रोन और स्मार्ट गोला-बारूद की सप्लाई बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं।
इसमें लोइटरिंग मुनिशंस और गाइडेड मिसाइलों को इंटीग्रेट करने में सक्षम बख्तरबंद वाहनों यानि आर्मर्ड व्हीकल्स को भी शामिल किया गया है। यह मांग सरकारी ऑर्डेनेंस फैक्ट्रीज में मौजूदा उत्पादन स्तरों से इतर है। रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि इन सप्लायर्स के साथ जल्द ही एक फॉलो अप मीटिंग की जा सकती है। मनीकंट्रोल स्वतंत्र रूप से इस रिपोर्ट की पुष्टि नहीं कर सका।
भारत फोर्ज को पहले ही मिल चुका है 184 स्वदेशी ATAGS का ऑर्डर
भारत फोर्ज पहले ही 184 स्वदेशी रूप से विकसित एडवांस्ड टोड आर्टिलरी गन सिस्टम्स (ATAGS) की सप्लाई के लिए रक्षा मंत्रालय के साथ कॉन्ट्रैक्ट कर चुकी है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के सहयोग से विकसित 155/52 mm कैलिबर ATAGS 48 किमी तक फायर कर सकता है। इसमें कम रखरखाव के लिए सभी ड्राइव इलेक्ट्रिक हैं और पारंपरिक टोड गन की तुलना में इसकी फायरिंग रेट अधिक है। महिंद्रा एंड महिंद्रा के पास छोटे हथियार और गोला-बारूद बनाने का सरकारी लाइसेंस है। यह कंपनी अर्बन-वॉरफेयर-फोकस्ड ‘मार्क्समैन’ और ‘रक्षक’ सहित बख्तरबंद और गैर-बख्तरबंद मिलिट्री व्हीकल्स बनाती है।
अपने आधुनिकीकरण अभियान के हिस्से के रूप में, भारतीय सेना ने पहले सेना वायु रक्षा महानिदेशालय की अगुवाई में मेक इन इंडिया पहल के तहत 23 mm एंटी-ड्रोन गोला-बारूद के निर्माण के लिए इनफॉरमेशन के लिए अनुरोध किया था। इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, भारत का रक्षा उत्पादन वित्त वर्ष 2024 में रिकॉर्ड 1.27 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया। लगभग 65 प्रतिशत डिफेंस इक्विपमेंट अब घरेलू स्तर पर बनते हैं। वहीं एक दशक पहले डिफेंस इक्विपमेंट्स के 65-70 प्रतिशत के लिए देश आयात पर निर्भर था। भारत फोर्ज, महिंद्रा और टाटा समूह जैसी कंपनियों के नेतृत्व में प्राइवेट सेक्टर ने पिछले साल कुल रक्षा उत्पादन में 21 प्रतिशत का योगदान दिया।