India-UK Free Trade Agreement: भारत और ब्रिटेन (UK) ने बहुप्रतीक्षित मुक्त व्यापार समझौते (FTA) को अंतिम रूप दे दिया है। यह दोनों देशों के बीच पहला बड़ा व्यापारिक समझौता है, जो वैश्विक व्यापार में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीति के बाद बनी अनिश्चितताओं के बीच संपन्न हुआ है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस समझौते का स्वागत करते हुए X (पहले ट्विटर) पर ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर (Keir Starmer) को टैग कर कहा कि यह समझौता ‘दोनों देशों के लिए बराबर लाभकारी’ होगा। उन्होंने इसे एक ‘ऐतिहासिक मील का पत्थर’ बताया। पीएम मोदी ने यह भी जानकारी दी कि भारत और ब्रिटेन के बीच Double Contribution Convention पर भी सहमति बनी है। पीएम मोदी ने स्टार्मर को भारत आने का निमंत्रण भी दिया है।
ब्रिटिश पीएम ने समझौते पर क्या कहा
ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ने कहा कि यह समझौता उनके ‘Plan for Change’ का हिस्सा है, जिसके तहत वैश्विक साझेदारियों को मजबूती देकर ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था को सुरक्षित और सशक्त बनाया जाएगा। भारतीय सरकार के आधिकारिक बयान के मुताबिक, दोनों नेताओं ने इस बात पर सहमति जताई कि द्विपक्षीय आर्थिक संबंधों का विस्तार भारत-ब्रिटेन साझेदारी का प्रमुख आधार बना रहेगा।
सरकारी बयान के मुताबिक, ‘यह समझौता संतुलित, न्यायसंगत और महत्वाकांक्षी है। इसमें माल, सेवाएं, निवेश और बौद्धिक संपदा अधिकार जैसे 26 चैप्टर शामिल हैं। यह द्विपक्षीय व्यापार काफी मजबूती से बढ़ा सकता है। इसके अलावा यह रोजगार के नए अवसर पैदा करेगा, जीवन स्तर में सुधार लाएगा और दोनों देशों के नागरिकों की भलाई को बढ़ावा देगा। समझौता दोनों देशों को संयुक्त रूप से वैश्विक बाजारों के लिए उत्पाद और सेवाएं विकसित करने की दिशा में भी आगे बढ़ाएगा।’
FTA से किसे क्या फायदा होगा?
इस समझौते से ब्रिटेन को भारत में स्कॉच व्हिस्की और कार निर्यात पर टैरिफ कटौती का लाभ मिल सकता है। ये दोनों ही सेक्टर अमेरिका के टैरिफ उपायों के चलते दबाव में रहे थे। वहीं, भारत को इस समझौते से लेबर-इंटेंसिव सेक्टर्स जैसे टेक्सटाइल और फुटवियर के निर्यात में फायदा मिल सकता है, क्योंकि ब्रिटेन की ओर से इन पर ड्यूटी कम की जा सकती है।
ब्रिटेन ने जनवरी 2022 में भारत के साथ FTA की बातचीत शुरू की थी, इसे ब्रेग्जिट के बाद सबसे मूल्यवान व्यापारिक अवसर के रूप में देखा गया था। हालांकि, कई कंजरवेटिव सरकारों के प्रयासों के बावजूद समझौता तय समय में नहीं हो पाया। यह डील मूल रूप से दिवाली 2022 तक साइन होनी थी।