Last Updated on May 4, 2025 16:36, PM by
Old vs New Tax Regime: वित्त वर्ष 2025-26 की शुरुआत के साथ कई टैक्सपेयर्स इस उलझन में हैं कि उन्हें कौन-सी टैक्स रीजीम चुननी चाहिए, नई या पुरानी। यह उलझन इसलिए भी बढ़ गई है, क्योंकि बजट 2025 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने न्यू टैक्स रीजीम (New Tax Regime) के तहत सालाना 12 लाख तक की इनकम को टैक्स फ्री कर दिया है। वहीं, ओल्ड टैक्स रीजीम (Old Tax Regime) की बात करें, तो उसमें कई तरह के टैक्स डिडक्शंस मिलते हैं।
आइए दोनों टैक्स रीजीम की तुलना करके जानते हैं कि किसमें क्या-क्या फायदे मिलते हैं। साथ ही, किस कर व्यवस्था को चुनकर अधिक टैक्स बचाया जा सकता है।
ओल्ड टैक्स रीजीम के फायदे
पुरानी कर व्यवस्था (Old Tax Regime) उन टैक्सपेयर्स के लिए फायदेमंद है, जो बचत, बीमा और लोन जैसे निवेशों के जरिए टैक्स में कटौती करना चाहते हैं। इसमें सेक्शन 80C के तहत PPF, EPF, जीवन बीमा और होम लोन जैसे निवेशों पर ₹1.5 लाख तक की छूट मिलती है। वहीं, 80D के तहत हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर ₹25,000 (वरिष्ठ नागरिकों के लिए ₹50,000) तक की कटौती मिलती है।
एजुकेशन लोन के ब्याज (सेक्शन 80E), मकान किराया भत्ता (HRA), और किराए पर रहने वालों के लिए 80GG के तहत अतिरिक्त छूट भी शामिल हैं। इसके अलावा, सेक्शन 80U, 80TTA/TTB, LTA, और इलाज खर्च पर मिलने वाली छूटें भी टैक्स देनदारी को काफी कम कर सकती हैं।
पुरानी टैक्स व्यवस्था के डिडक्शन
| सेक्शन | डिटेल | अधिकतम सीमा |
| 80C | PPF, EPF, ELSS, जीवन बीमा प्रीमियम आदि | ₹1.5 लाख प्रति वर्ष |
| 80D | स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम |
₹25,000 (वरिष्ठ नागरिकों के लिए ₹50,000) |
| 80E | एजुकेशन पर ब्याज |
कोई सीमा नहीं, अधिकतम 8 वर्षों तक |
| 80DDB | गंभीर बीमारियों के उपचार खर्च |
निर्दिष्ट सीमा अनुसार |
| 80GG | HRA नहीं मिलने की स्थिति में किराया |
₹5,000 प्रति माह या आय का 25% (जो भी कम हो) |
| 80TTA/80TTB | बचत खाते पर ब्याज |
₹10,000 / ₹50,000 (वरिष्ठ नागरिक) |
| 80U | दिव्यांग करदाताओं के लिए छूट |
₹75,000 / ₹1.25 लाख (गंभीर दिव्यांगता पर) |
| HRA (10(13A)) | मकान किराया भत्ता |
वेतन व किराया के अनुसार |
| LTA | यात्रा भत्ता |
भारत में दो बार, 4 साल के ब्लॉक में |
न्यू टैक्स रीजीम के फायदे
नई कर व्यवस्था (New Tax Regime) उन लोगों के लिए फायदेमंद है, जो इन्वेस्टमेंट और डिडक्शन की माथापच्ची में नहीं पड़ना चाहते और सरल टैक्स स्ट्रक्चर चाहते हैं। इसमें टैक्स स्लैब कम हैं, जिससे कम टैक्स देना पड़ सकता है, खासकर तब जब आपने बहुत-सी टैक्स सेविंग्स स्कीम में निवेश नहीं किया हो।
न्यू टैक्स रीजीम के तहत ₹75,000 की स्टैंडर्ड डिडक्शन (FY 2024-25), नियोक्ता द्वारा NPS योगदान पर कटौती (80CCD(2)), और नए रोजगार देने वाली कंपनियों को 80JJAA के तहत डिडक्शन की सुविधा मिलती है। साथ ही, वॉलंटरी रिटायरमेंट, ग्रेच्युटी, लीव एनकैशमेंट और Agniveer Corpus Fund पर भी टैक्स में छूट मिलती है। इससे यह व्यवस्था नौकरीपेशा लोगों और युवा टैक्सपेयर्स के लिए काफी आकर्षक हो जाती है।
नई टैक्स व्यवस्था में डिडक्शन
| प्रोविजन | डिटेल | लिमिट |
| 16(ia) | स्टैंडर्ड डिडक्शन | |
| 80CCD(2) | NPS में नियोक्ता योगदान |
वेतन का अधिकतम 14% |
| 80JJAA | नए रोजगार पर अतिरिक्त छूट |
तीन असेसमेंट ईयर तक |
| 80CCH | अग्निवीर कॉर्पस फंड में योगदान | पूरी राशि |
| 10(10), 10(10C), 10(10AA) | VRS, ग्रेच्युटी, लीव इनकैशमेंट | वैधानिक सीमाएं |
| 10(14) | यात्रा, दैनिक भत्ता, ऑफिस भत्ते |
कार्य से जुड़े वास्तविक खर्च |
| 56(2)(x) | उपहार पर छूट |
₹50,000 तक (कुल मूल्य) |
| 24(b) | किराये पर दी गई संपत्ति से ब्याज | लागू सीमा अनुसार |
आपके लिए कौन कौन-सी टैक्स रीजीम बेहतर?
अगर आप नियमित रूप से टैक्स सेविंग के इन्वेस्टमेंट करते हैं, हेल्थ इंश्योरेंस ले रखा है, एजुकेशन या होम लोन चुका रहे हैं या आपको मकान किराया और यात्रा भत्तों पर लाभ मिलता है, तो पुरानी टैक्स व्यवस्था आपके लिए अधिक लाभकारी हो सकती है। वहीं, जिन टैक्सपेयर्स की आय पर छूट की गुंजाइश सीमित है और वे सरल टैक्स स्ट्रक्चर को अहमियत देते हैं, उनके लिए नई टैक्स व्यवस्था सुविधाजनक हो सकती है।
आपको टैक्स रीजीम चुनने से पहले अपने सालभर के निवेश, खर्च और संभावित फायदे का विश्लेषण करना चाहिए। अगर कहीं उलझन हो, तो टैक्स कैलकुलेटर और टैक्स एडवाइजर की सलाह भी ले सकते हैं।