Last Updated on May 4, 2025 7:48, AM by
नेटफ्लिक्स ने अपने भारतीय प्रोडक्शन से 2 अरब डॉलर का इकोनॉमिक इंपैक्ट क्रिएट किया है। यह बात नेटफ्लिक्स के को-सीईओ टेड सारंडोस ने जियो कन्वेंशन सेंटर में आयोजित वर्ल्ड ऑडियो विजुअल एंड एंटरटेनमेंट समिट (WAVES) में कही। उन्होंने बताया कि कंपनी ने भारत में अपने प्रोजेक्ट्स से 20,000 कास्ट एंड क्रू जॉब्स क्रिएट की हैं। सारंडोस ने कहा, “2021 से 2024 तक, खासकर कोविड के बाद जब चीजें सामान्य हो गईं, हमने भारत में इस तरह से निवेश किया, जिससे हमारे प्रोडक्शन से 2 अरब डॉलर का इकोनॉमिक इंपैक्ट क्रिएट हुआ है। भारत में हमारे प्रोडक्शन से 20,000 से अधिक कास्ट एंड क्रू जॉब्स मिली हैं।”
उन्होंने कहा कि पिछले साल वैश्विक स्तर पर 3 अरब घंटे भारतीय कंटेंट देखा गया। हर हफ्ते ग्लोबल टॉप 10 में कम से कम एक इंडियन टाइटल था। सारंडोस ने कहा, “उन प्रोडक्शंस में, हमारे पास 150 ओरिजिनल फिल्में और सीरीज हैं, जिन्हें भारत के 100 अलग-अलग शहरों और कस्बों में फिल्माया गया था।”
सारंडोस “स्ट्रीमिंग द न्यू इंडिया: कल्चर, कनेक्टिविटी एंड क्रिएटिव कैपिटल” सेशन में बोल रहे थे। इस सेशन का संचालन बॉलीवुड स्टार सैफ अली खान कर रहे थे। सैफ ने 2018 में नेटफ्लिक्स की पहली भारतीय ओरिजिनल सीरीज “सेक्रेड गेम्स” में मुख्य भूमिका निभाई थी। वह हाल ही में नेटफ्लिक्स की मूवी “ज्वेल थीफ” में नजर आए।
भारत में क्रिएटिव कम्युनिटी के साथ काम करने के लिए हमेशा रोमांचित
सारंडोस ने आगे कहा, “हम 9 साल से भारत में काम कर रहे हैं। लेकिन हमने 7 साल पहले ‘सेक्रेड गेम्स’ के साथ अपना बड़ा कदम उठाया…और मुझे पता था कि भारत हमारी यात्रा का एक बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा होगा। हमने ‘सेक्रेड गेम्स’ के साथ जो पाया, वह यह है कि अच्छी कहानियां सीमाओं, भाषाओं और संस्कृतियों को पार कर सकती हैं, और वास्तव में दुनिया से बात कर सकती हैं। ‘सेक्रेड गेम्स’ ने यह साबित कर दिया। मैं भारत में क्रिएटिव कम्युनिटी के साथ काम करने के लिए हमेशा बहुत रोमांचित रहता हूं।” उन्होंने कहा कि भारत में एक शानदार सिनेमा कल्चर है क्योंकि लोग फिल्में देखना और फिर उनके बारे में बात करना पसंद करते हैं। यही बात भारत को उनके लिए भी इतना रोमांचक बनाती है।
क्या सिनेमा और स्ट्रीमिंग रह सकते हैं एक साथ?
जब सैफ ने पूछा कि क्या उन्हें लगता है कि सिनेमा और स्ट्रीमिंग एक साथ मौजूद रह सकते हैं, तो सारंडोस ने कहा कि ऐसा लगता है, खासकर भारत में। सारंडोस के मुताबिक, “भारत शायद उन अधिक फैन-सेंट्रिक स्थानों में से एक है, जो ऐसा होना सक्षम बनाता है क्योंकि वे इस बात पर बहस नहीं करते हैं कि थियेट्रिकल विंडो कितनी लंबी होनी चाहिए। मुझे लगता है कि दुनिया भर के कुछ देशों में यह बहुत बड़ी बहस है। मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि डिस्ट्रीब्यूटर्स को छोड़कर कोई भी विंडो के बारे में बात नहीं कर रहा है।” सारंडोस ने उम्मीद जताई कि सिनेमाघर बने रहेंगे।