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FPI की भारतीय शेयरों में दिलचस्पी बढ़ी, केवल एक सप्ताह में लगाए ₹17425 करोड़

FPI की भारतीय शेयरों में दिलचस्पी बढ़ी, केवल एक सप्ताह में लगाए ₹17425 करोड़

Last Updated on April 28, 2025 10:47, AM by

विदेशी निवेशकों ने पिछले सप्ताह देश के इक्विटी बाजारों में 17,425 करोड़ रुपये का निवेश किया। अनुकूल वैश्विक संकेतों और मजबूत घरेलू मैक्रोइकोनॉमिक फंडामेंट्ल्स के चलते ऐसा हुआ। इससे पहले 18 अप्रैल को खत्म हुए सप्ताह में FPI ने शेयर बाजारों में 8,500 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश किया था। वैश्विक स्तर पर, प्रमुख बाजारों में स्थिर प्रदर्शन, अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में वृद्धि रोकने के अनुमान और स्थिर अमेरिकी डॉलर ने भारतीय बाजारों को मजबूती दी।

न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, मॉर्निंगस्टार इनवेस्टमेंट के एसोसिएट डायरेक्टर- मैनेजर रिसर्च हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा कि ग्लोबल ट्रेड के मामले में टेंशन कम होने से निवेशकों के सेंटिमेंट में और सुधार आया।घरेलू स्तर पर भारत के अपेक्षाकृत बेहतर ग्रोथ आउटलुक, महंगाई में नरमी और सामान्य मानसून के अनुमानों से निवेशकों का बाजार में भरोसा बढ़ा। उन्होंने कहा कि इन सभी फैक्टर्स ने विदेशी निवेशकों के लिए आकर्षक निवेश माहौल तैयार किया है।

अप्रैल में अब तक 5,678 करोड़ निकाले

 

डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने 21 अप्रैल से 25 अप्रैल के दौरान भारतीय इक्विटी में 17,425 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश किया। FPI गतिविधि में यह उलटफेर ऐसे समय हुआ, जब पहलगाम आतंकी हमलों के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया है। आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल में अब तक FPI ने इक्विटी से 5,678 करोड़ रुपये निकाले हैं, जिससे 2025 की शुरुआत से अब तक कुल निकासी 1.22 लाख करोड़ रुपये हो गई है। अप्रैल महीने की शुरुआत में FPI की ओर से आक्रामक बिकवाली देखने को मिली, जिसकी मुख्य वजह अमेरिकी टैरिफ पॉलिसी के चलते पैदा हुई वैश्विक अनिश्चितता थी।

जियोजित इनवेस्टमेंट्स के चीफ इनवेस्टमेंट स्ट्रैटेजिस्ट वी के विजयकुमार का कहना है कि FPI गतिविधि में यह नई दिलचस्पी दो महत्वपूर्ण फैक्टर्स के कारण हुई है। पहला अमेरिकी डॉलर में आई गिरावट। डॉलर इंडेक्स इस साल जनवरी के मध्य में देखे गए 111 के पीक से गिरकर अब लगभग 99 पर आ गया है। दूसरा यह कि इस साल अमेरिकी ग्रोथ में भारी गिरावट आने का अनुमान है, जिससे अमेरिका में कॉरपोरेट आय प्रभावित होगी। वहीं भारतीय अर्थव्यवस्था के 6 प्रतिशत से अधिक की ग्रोथ के साथ लचीली बने रहने की उम्मीद है। साथ ही कॉरपोरेट आय में सुधार होगा।

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