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Ather Energy IPO में लगाना है पैसा? पहले जान लें ये 10 जरूरी बातें, रिस्क फैक्टर और GMP पर भी करें गौर

Ather Energy IPO में लगाना है पैसा? पहले जान लें ये 10 जरूरी बातें, रिस्क फैक्टर और GMP पर भी करें गौर

Last Updated on April 25, 2025 7:48, AM by

Ather Energy IPO: इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर कंपनी Ather Energy ने अपना DRHP दाखिल कर दिया है और जल्द ही ₹2,981 करोड़ का IPO ला रही है। ऐसे में निवेशकों के लिए जरूरी है कि वे कंपनी के Red Herring Prospectus (RHP) से अहम जानकारियों को समझें, ताकि IPO में निवेश करने या न करने के बारे में बेहतर फैसला ले सकें। आइए जानते हैं वो 10 प्रमुख बातें, जिनसे Ather IPO की पूरी डिटेल सामने आ जाएगी।

1. इश्यू साइज और स्ट्रक्चर

 

Ather Energy IPO का कुल साइज ₹2,981 करोड़ है। इसमें ₹2,626 करोड़ फ्रेश इश्यू है और ₹355 करोड़ ऑफर फॉर सेल (OFS) के जरिए प्रमोटर और अन्य शेयरहोल्डर्स शेयर बेचेंगे।

2. ऑफर फॉर सेल में कौन बेच रहा है शेयर

Ather Energy के दोनों फाउंडर- तरुण मेहता और स्वप्निल जैन के साथ कुछ अन्य निवेशक मिलकर IPO में कुल 19.60 लाख शेयर बेच रहे हैं। Ather के दोनों फाउंडर ने अपने शेयर ₹21.09 के औसत दाम पर खरीदे थे। IPO प्राइस के अपर बैंड ₹321 पर बेचने पर उन्हें लगभग 1,422% का रिटर्न मिलेगा। हालांकि, Hero MotoCorp कंपनी में सबसे बड़ा हिस्सेदार है और वह इस इश्यू में अपनी हिस्सेदारी नहीं बेच रही।

3. प्राइस बैंड और लिस्टिंग

IPO का प्राइस बैंड ₹304 से ₹321 प्रति शेयर तय किया गया है। शेयर की फेस वैल्यू ₹1 रखी गई है। लॉट साइज 46 शेयरों का होगा। इसका मतलब है कि रिटेल इन्वेस्टर्स को एक लॉट के लिए कम से कम ₹14,766 का निवेश करना होगा। कंपनी NSE और BSE पर लिस्ट होगी।

4. वित्तीय स्थिति: घाटे में है Ather Energy

FY24 में कंपनी को ₹1,059.7 करोड़ का घाटा हुआ है। FY23 में घाटा ₹864.5 करोड़ और FY22 में ₹344.1 करोड़ रहा था। यानी Ather Energy का घाटा लगातार बढ़ रहा है।

5. Ather Energy के रेवेन्यू में मामूली गिरावट

FY24 में कंपनी ने ₹1,753.8 करोड़ का रेवेन्यू दर्ज किया, जो FY23 के ₹1,780.9 करोड़ से थोड़ा कम है। इसका मतलब यह है कि घाटे के साथ-साथ रेवेन्यू ग्रोथ भी थमी है।

6. Ather Energy का बिजनेस मॉडल

Ather Energy इन-हाउस डिजाइन, R&D, मैन्युफैक्चरिंग और चार्जिंग नेटवर्क पर काम करती है। इसका पूरा फोकस टेक्नोलॉजी, परफॉर्मेंस और यूजर एक्सपीरियंस पर है।

7. प्रोडक्ट लाइन और टेक्नोलॉजी

Ather Energy के पास दो प्रमुख प्रोडक्ट सीरीज हैं:

  • Ather 450 Series – परफॉर्मेंस स्कूटर
  • Ather Rizta – फैमिली ऑडियंस को ध्यान में रखकर हाल ही में लॉन्च किया गया स्कूटर

इनमें स्मार्ट डिस्प्ले, वॉट्सऐप नोटिफिकेशन, ट्रैक्शन कंट्रोल जैसे फीचर्स दिए गए हैं।

8. मार्केट पोटेंशियल

भारत दुनिया का सबसे बड़ा दोपहिया बाजार है। FY24 में 18.4 मिलियन यूनिट्स बिकी थीं। CRISIL के अनुसार, यह संख्या FY31 तक 29-30 मिलियन तक पहुंच सकती है। EV सेगमेंट में तेज ग्रोथ की संभावना है।

9. IPO के बाद हिस्सेदारी और प्रमोटर कंट्रोल

IPO के बाद भी Ather के फाउंडर और Hero MotoCorp मिलकर कंपनी में बहुमत हिस्सेदारी बनाए रखेंगे। Hero की हिस्सेदारी लगभग 40% है और वह एक प्रमुख रणनीतिक निवेशक है। DRHP के मुताबिक,प्रमोटर्स ग्रुप के पास कुल 51.80% हिस्सेदारी है।

10. ग्रे मार्केट प्रीमियम (GMP)

Ather IPO का GMP फिलहाल ₹6 चल रहा है, यानी ₹321 के अपर प्राइस पर ₹327 की संभावित लिस्टिंग। यह 1.87% का मामूली प्रीमियम दिखाता है। हाल के दिनों में Ather का GMP घटा है, जो सतर्कता का संकेत है। यह प्रीमियम ₹17 से घटकर ₹6 पर आ चुका है।

Ather Energy IPO से जुड़े प्रमुख जोखिम

RHP में Ather Energy ने अपने बिजनेस से जुड़े जोखिम के बारे में भी बताया है। आइए कुछ प्रमुख जोखिम बारे में जान लेते हैं:

सप्लायर्स पर अधिक निर्भरता

एथर एनर्जी सिर्फ बैटरी मैन्युफैक्चरिंग खुद करती है। बाकी सभी इलेक्ट्रिक व्हीकल के पुर्जों के लिए वह अपने सप्लायर्स पर निर्भर है। अगर सप्लायर्स जरूरी पुर्जे देना बंद कर दें, देरी करें या किसी कारण सप्लाई रुक जाए, तो कंपनी के प्रोडक्शन और बिजनेस पर गंभीर असर पड़ सकता है।

ग्राहकों से जुड़ा जोखिम

अगर कंपनी अपने टारगेट कस्टमर्स को नहीं लुभाई पाई, तो तो इसका असर उसके पूरे कारोबार पर पड़ेगा। उसकी परिचालन क्षमता, वित्तीय स्थिति, लाभप्रदता और भविष्य की संभावनाओं पर काफी बुरा प्रभाव पड़ सकता है।

सरकारी प्रोत्साहनों पर निर्भरता

अगर कंपनी के इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर सरकार की FAME (Faster Adoption and Manufacturing of Hybrid and Electric Vehicles) योजना के अंतर्गत सब्सिडी के योग्य नहीं रहते, या सरकार इन इंसेंटिव्स को घटा देती है या पूरी तरह से बंद कर देती है, तो उत्पादों की रिटेल कीमतें बढ़ सकती हैं। इससे डिमांड में गिरावट आ सकती है।

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